"फिल्मों की धार, आतंकवाद पर वार" कर सकती है- मुख्तार अब्बास नकवी
मुंबई : केंद्रीय कैबिनेट मंत्री एवं उपनेता, राज्यसभा श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि "फिल्मों की धार, आतंकवाद पर वार" कर सकती है।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आज मुंबई में आयोजित “5वें ग्लोबल फिल्म टूरिज्म कॉन्क्लेव” को सम्बोधित करते हुए श्री नकवी ने कहा कि भारत और दुनिया के विभिन्न देशों में बनी आतंकवाद, हिंसा, कट्टरवाद की बीमारी पर गहरा प्रहार करने वाली फिल्मों ने कई बार यह साबित कर के दिखाया है, आज के माहौल में मनोरंजन के साथ मैसेज वाली फिल्मों की जरूरत है।
श्री नकवी ने कहा कि भारतीय सिनेमा उद्योग का आम लोगों से शुरू हुआ सफल सफर, खास लोगों तक सीमित नहीं होना चाहिए। भारतीय फिल्म जगत, दुनिया के बेहतरीन कौशल और कला के कुबेरों का कुनबा है। हमें इस बेहतरीन विरासत से भरपूर भारतीय सिनेमा को पहले पायदान पर ले जाना है।
श्री नकवी ने कहा कि भारत दुनिया का अकेला देश है जहाँ हर मौसम, माहौल, संस्कृति, संस्कार, गर्मी, सर्दी, बारिश, बर्फ, पहाड़, नदी, झरने, समुद्र, जंगल, खूबसूरत गांव, शहर, बेहतरीन ऐतिहासिक घरोहर सब कुछ मौजदू हैं। जो किसी भी विश्वस्तरीय फिल्म निर्माण की सभी जरूरतों को पूरा करते हैं।
श्री नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ने भारत को दुनिया का बेहतरीन “फिल्म प्रोडक्शन डेस्टिनेशन” बनाने के लिए कई कदम उठायें हैं, जिनमें भारत में विदेशी फिल्मों के प्रोडक्शन के लिए विभिन्न आर्थिक प्रोत्साहन एवं अन्य सहूलियतें शामिल हैं।
पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री नकवी ने कहा कि आज कई देशों के फिल्म उद्योग उन देशों की अर्थव्यवस्था में लाखों करोड़ रूपए की बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। रिपोर्टों के अनुसार, आज हॉलीवुड की फिल्मों की विश्व भर से कमाई लगभग 47 लाख करोड़ रूपए से ज्यादा है; ब्रिटेन के फिल्म उद्योग की विश्व भर से कमाई लगभग 3 लाख 31 हजार करोड़ रूपए है; चीन के फिल्म उद्योग की विश्व भर से कमाई लगभग 2 लाख 53 हजार करोड़ रूपए है; वहीँ भारतीय फिल्म उद्योग की विश्व भर से कमाई लगभग 48 हजार करोड़ रूपए है।
श्री नकवी ने कहा कि क्रिएटिव फ़िल्में इतिहास का गौरव बनती हैं, कैज़ुअल फ़िल्में इतिहास से गायब हो जाती हैं। भारत दुनिया भर में फिल्म निर्माण में 5वें स्थान पर है जहाँ प्रति वर्ष 20 से अधिक भाषाओँ में लगभग 2 हजार फ़िल्में बनाई जाती हैं। वहीँ बेहतरीन फिल्मों के निर्माण में भारत 8वें स्थान पर है। हमें इसे और आगे बढ़ाना है।
श्री नकवी ने कहा कि हमें भारतीय फिल्म उद्योग को लोकल से ग्लोबल के पहले पायदान पर लाने के लिए क्लासेस से ऊपर मासेस की पहली पसंद बनाना होगा तभी भारतीय फिल्म उद्योग की गरिमा-गौरव की पहचान-प्रगति होगी।
श्री नकवी ने कहा कि हमारे पास बेहतरीन निर्देशक, निर्माता, कहानीकार, कलाकार, टेक्नीशियन, लोकेशन, दर्शक और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय बाजार हैं। यह सभी सुविधा-संसाधन भारत को “सिनेमा संसार का सिरमौर” बनाने की शक्ति रखते हैं।