सफल हुआ गगनयान के विकास इंजन का तीसरा परीक्षण


नई दिल्ली, (इंडिया साइंस वायर): अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश को एक से बढ़कर एक उपलब्धियों से गौरवान्वित करने वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 14 जुलाई को एक और बड़ी उपलब्धि की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस दिन इसरो ने गगनयान के विकास इंजन का तीसरा हॉट टेस्ट किया और यह परीक्षण पूरी तरह सफल रहा। परीक्षण के दौरान तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्पलेक्स में इंजन को 240 सेकंड तक चलाया गया। मानव आधारित जीएसएलवी एमके3 मिसाइल पर के कोर एल110 लिक्विड स्टेज पर यह परीक्षण पूरा हुआ। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को इस सफलता पर आम नागरिकों ने भी हर्ष व्यक्त किया है। दुनिया के जाने-माने उद्योगपति और अंतरिक्ष गतिविधियों में खासी दिलचस्पी रखने वाले अमेरिकी कंपनी टेस्ला के मुखिया एलन मस्क ने भी इस कामयाबी के लिए ट्विटर पर इसरो और भारत को बधाई दी है। 

गगनयान परियोजना के लिए इसरो की यह बड़ी कामयाबी कई लिहाज से मायने रखती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह इसरो का पहला मानवीय अंतरिक्ष अभियान है, जिसमें उसने तीन भारतीयों को अपने दम पर अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य तय किया है। इस कारण इस लक्ष्य की पूर्ति में हर सफल पड़ाव से उसका हौसला बढ़ना स्वाभाविक है। गगनयान मिशन का उद्देश्य मानव-युक्त भारतीय अंतरिक्ष यान को पृथवी की परिक्रमा के लिए अंतरिक्ष में भेजना और फिर उसे धरती पर सुरक्षित वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन करने का है। इसके तहत अंतरिक्ष-यान को इस प्रकार तैयार किया गया है कि वह अंतरिक्ष में तीन लोगों को ले जाने में सक्षम हो सके। इसके साथ ही यह परियोजना में प्रयुक्त किए जाने वाले यान को उन्नत संस्करण डॉकिंग क्षमता से लैस किया जाएगा। अपने पहले मानवयुक्त मिशन के तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का दल सात दिनों के लिए 400 किमी यानी 250 मील की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। वर्ष 2022 में भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से इस मिशन की प्रगति में विलंब हुआ है। 


पहले इसका प्रक्षेपण दिसंबर 2020 में होना था, लेकिन अब मिशन का प्रक्षेपण इस साल दिसंबर के अंत तक होने की संभावना है। केंद्र सरकार ने गगनयान प्रोजेक्ट के लिए 10,000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। गगनयान मिशन के अंतर्गत भारतीय वायु सेना के एक ग्रुप कैप्टन और तीन विंग कमांडरों को अंतरिक्ष में जाने के लिए चयनित किया गया है। ये सभी रूसी लॉन्च सेवा प्रदाता ग्लाव्कॉस्मॉस में अंतरिक्ष की परस्थितियों के अनुसार ढलने की एक वर्ष की ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं। अब यह भावी अंतरिक्ष यात्री इसरो के डिजाइन किए गए ट्रेनिंग मॉड्यूल से ट्रेनिंग लेंगे। 

गगनयान मिशन की कामयाबी के साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपने दम पर मानव को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम रहे हैं। इससे पहले भारत के प्रथम अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से लेकर नासा में कार्यरत रहीं कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स से लेकर हाल में अंतरिक्ष पर्यटन के लिए वर्जिन समूह के मुखिया रिचर्ड ब्रैनसन के साथ गईं भारतवंशी शिरीषा बंदला जैसे सभी नाम अंतरिक्ष में विदेशी सहयोग के माध्यम से ही जाने में सफल हुए हैं। स्वाभाविक है कि इस दिशा में बुधवार को मिली सफलता से इसरो का उत्साह और बढ़ेगा। (इंडिया साइंस वायर) 

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