रोकथाम और बचाव कार्यो में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का रहा जबरदस्त योगदान : डीजी स्कोप

 *कोविड के दौरान सीपीएसई ने दिखाई आगे की राह* 


 "वर्क फ्रॉम होम" बन गया है "वर्क फ्रॉम एनीवेयर - कैरी योर हॉटस्पॉट" पीआर और कॉरपोरेट कम्युनिकेटरों के लिए नया मंत्र है

नई दिल्ली: केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) ने कोविड-19 महामारी के दौरान अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति, बुनियादी ढांचे के निर्माण से लेकर लाखों प्रवासियों की सहायता लिए अपनी  बहुमुखी पहल के साथ जबरदस्त काम किया  है . स्टैंडिंग कांफ्रेंस ऑफ़  पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज  ( स्कोप)  के महानिदेशक अतुल सोबती ने उक्ताशय के विचार व्यक्त किया.  आप  यहाँ पब्लिक रिलेशन सोसाइटी के दिल्ली चैप्टर  द्वारा  " कोविड महामारी के दौरान सीपीएसई की भूमिका और योगदान और  जन संचार पेशेवरों के लिए आगे के लिए कार्य मंत्र " शीर्षक आयोजित  वेबिनार में बोल रहे थे।

महामारी की चुनौती के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों  कैसे आगे बढ़े , इस पर विस्तार से बताते हुए स्कोप के महानिदेशक  ने कहा कि महामारी के साथ  संघर्ष में  “सीपीएसई अहम योद्धा रहे। उन्होंने भावुकता से  कहा  कि सार्वजनिक क्षेत्र के अनेक कर्मचारियों ने  राष्ट्र की सेवा करते हुए अपनी जान गंवा दी। 24 मार्च 2020 को जब पहले लॉकडाउन की घोषणा की गई तो सभी डरे हुए थे लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों आगे आकर मोर्च संभाला . सीएम केयर फंड के अलावा पीएम केयर्स फंड में 2400 करोड़ रुपये का योगदान दिया।।  सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों ने दूरस्थ स्थानों में अपने मजबूत  बुनियादी ढांचा चिकित्सा और बचाव कार्यो के लिए उपलब्ध करवाया . अस्पतालों में मास्क, चिकित्सा उपकरण, सैनिटाइजर आदि उपलब्ध कराने के अलावा कई सीपीएसई ने युद्धस्तर पर अपनी सुविधाओं को परिवर्तित किया . इसके साथ ही देश के दूरस्थ स्थानों  पर मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में प्रभावी योगदान देकर संकट की स्थिति को हल करने में सरकार को मदद की .

 उन्होंने बताया कि कैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम   कमजोर  प्रदर्शन से लेकर घाटे में चल रहे कई दुष्प्रचार से घिरे हुए हैं। अपने संबोधन के दौरान  उन्होंने कुछ दिलचस्प तथ्यों और आंकड़ों के हवाले से   उद्योग  की स्थिति  को स्पष्ट  करते हुए बताया की "पहली पंचवर्षीय योजना के दौरान, केवल पांच सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों    थे और आज उद्यमों  की संख्या  348 हैं, जिनमें से 249 प्रचालित   हैं। ये उद्यम 363 बिलियन अमरीकी डालर के कारोबार के साथ भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 13% योगदान करते हैं।भारत के  सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का संयुक्त योगदान 140 देशों के सकल घरेलू उत्पाद के संयुक्त योगदान से अधिक है। कोयला क्षेत्र में कुल उत्पादन  का, 92%  सीपीएसई द्वारा किया जाता है; इसी तरह बिजली क्षेत्र में 51 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस क्षेत्र में 83 प्रतिशत, उर्वरक क्षेत्र में 37 प्रतिशत। ये आंकड़े डीपीई द्वारा  वर्ष 2018-19 में  तैयार की गई रिपोर्ट में  प्रकाशित किया गया हैI 

 उन्होंने कहा  सीपीएसई घाटे में चल रहे हैं की आम दुष्प्रचार के विपरीत कि सार्वजनिक क्षेत्र के 249 सीपीएसई में से 178 (75%) उद्यमों  ने 1.75 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया  हैंलाभ कमाने वाले  अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में, 7000 के करीब सूचीबद्ध कंपनियां हैं, उनमे से  केवल 38% लाभ कमा रही हैं। भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में हैं  लगभग ७४०० कंपनियाँ है ,इसमें  ५०% से अधिक लाभ कमा रही हैं।”

महामारी के दौरान हुए संचार तकनीकी बदलाव के बारे में बोलते हुए, श्री सोबती ने उल्लेख किया कि “पहले लोगों ने वेबिनार के  बारे में सुना भी नहीं था और वे केवल सभागारों में सम्मेलनों में भाग लेने के आदी थे, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। वेबिनार के माध्यम से दूर दूर के लोगो की भागीदारों हो रही है .

 कॉरपोरेट संचार में उभरते रुझानों और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों  द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग पर उन्होंने कहा, "कई सीपीएसई अभी भी  समुचित सोशल मीडिया का उपयोग नहीं कर रहे हैं। स्कोप में   हमने ट्विटर का उपयोग करना शुरू किया और धीरे-धीरे अन्य सोशल मीडिया पर चले गए। हमने प्रत्येक कर्मचारी से  व्यापक  प्रचार और विस्तार के लिए ट्विटर अकाउंट  से जुड़ने के लिए कहा और कुछ ही समय में हमने इसके सदस्यों में जबरदस्त वृद्धि देखी। मई माह के अंत में यह  आंकड़ा एक लाख  मार्क को पार कर गया । सभी सीपीएसई न सोशल मीडिया पर स्कोप से जुड़े हुए है  , हम उन्हें टैग कर रहे थे और वे इसे रीट्वीट कर रहे थे। अभी भी कई सीपीएसई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का समुचित आकलन नहीं कर पा रहे है ।

पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी दिल्ली के बारे में उन्होंने कहा, "मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि पीआरएसडी जनसम्पर्क  के कौशल को बढ़ाने  हुए जनसम्पर्क  को एक पेशे के रूप में मान्यता दिलाने   और सभी संबद्ध   होल्डर्स के सामंजस्य बैठाने  की  दृष्टि से   बहुत अच्छा काम कर रहा है।

 तकनीकी परिवर्तन के बारे में अपना मंतव्य को स्पष्ट करते हुए  श्री सोबती ने  कहा, की , स्कोप ने   अब भौतिक प्रारूप के बदले  सभी भर्ती आवेदन ऑनलाइन के माध्यम से भी आमंत्रित किए जा रहे हैं .एमिनेंस अवार्ड्स के लिए भी  ऑनलाइन नॉमिनेशन भेजने की सुविधा उपलब्ध   हैं।

जनसम्पर्क के सम्बन्ध में एक प्रश्न के उत्तर में आपने कहा की : “यह किसी न किसी रूप में तब से है जब से सभ्यता पृथ्वी पर शुरू हुई है। सभी राजा उनके पास दूतों की सेवाएं होती थीं और मशीनरी उनके काम के साथ पीआर का इस्तेमाल करती थी। विश्व युद्ध के दौर में भी प्रचार का इस्तेमाल किया गया था। जनसंपर्क एक पेशे के रूप में पिछले 75 वर्षों में अस्तित्व में रहा है और समय के साथ उसने  स्वयं को स्थापित किया है।

वास्तव में जनसंचार  मूल रूप से एक रणनीतिक पहल और कौशल   है. अब बदलते समय में कॉर्पोरेट संचार में ग्राहकों, कर्मचारियों, विक्रेताओं जैसे  स्टेकहोल्डर्स आदि को आकर्षित करने के कार्यकलाप के साथ ही  इवेंट मैनेजमेंट, हॉस्पिटैलिटी, लॉजिस्टिक्स अरेंजमेंट, पब्लिकेशन, क्राइसिस कम्युनिकेशन आदि जैसे गंभीर कार्य कलाप भी इसके दायरे में आ गए है.

प्रौद्योगिकी व्यवधान के बारे में उन्होंने कहा, " अब समय बदल गया है, हम  पुरानी पद्धति का पालन नहीं कर सकते, यहां तक कि कंप्यूटर पर टाइप करना भी है बदल रहा है। किसी भी  जगह से हॉटस्पॉट के  कभी भी साथ काम करने का कौशल हासिल करना  नई वास्तविकता है , और कॉर्पोरेट संचार के सदस्यों को  इस चुनौती को अंगीकार करना है .

कॉर्पोरेट संचार और जनसम्पर्कं के पेशेवरों को सलाह देते कुए कहा कि , "पीआर के रूप में, आपको  सामग्री को   संक्षिप्तता प्रदान करने की  महत्वपूर्ण विधा अर्जित करनी   होगी । । आज के समय में कम्युनिकेशन प्रोफेशनल्स को कंटेंट जेनरेट करना होता है और उसे पब्लिश भी करना होता है। पहले संचार पेशेवरों का उपयोग केवल आंतरिक संचार के लिए किया जाता था लेकिन अब आंतरिक और बाहरी संचार ,संस्थान की रणनीतियाँ और नवाचार पहलों  के बारे में ज्ञान होना चाहिए . उन्हें   कॉर्पोरेट से संबंधित सभी सूचनाओं का संरक्षक होना चाहिए। ”

एक अन्य सवाल पर कि क्या कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन को  नीतिगत  स्तर तक बढ़ाया जाना चाहिए, उन्होंने जवाब दिया, "संचार प्रमुख यह भूमिका निभा सकता है।

 उन्होंने जोर देकर कहा कि संचार पेशेवरों से अपेक्षा की जाती है की वे कंपनी के उद्देश्यों को पूरा करना, कंपनी को आंतरिक और बाह्य रूप से स्थापित करने , विभिन्न एजेंसियों के साथ संवाद करना, निर्णय लेने में मदद करने के साथ ही स्वस्थ मानव संसाधन वातावरण और  प्रभावी प्रशासन  में भी सक्रिय योगदान देगा । मुझे लगता है कि संचार प्रमुख सूचना संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं और इस प्रकार, वे प्रबंधन को मार्गदर्शन करेंगे कि क्या किया जाना चाहिए। संगठनों में, हमारे पास पहले से ही प्रमुख हैं

तकनीकी अधिकारी, मुख्य मानव संसाधन अधिकारी; इसी तरह मुख्य संचार अधिकारी के लिए भी प्रावधान होना चाहिए।

 आपने  सोसाइटी के चेयरमैन  एसएस राव को   सोसाइटी के मिशन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी.

श्री सोबती ने अपनी 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्कोप के 'केलीडोस्कोप' के विशेष अंक का विमोचन किया।  'केलीडोस्कोप' एक मासिक पत्रिका है जिसे .स्कोप  द्वारा प्रकाशित किया जाता है . स्कोप के महानिदेशक  ने उस संकलन   का भी उल्लेख किया जिसमें कोविड-19 के दौरान सीपीएसई द्वारा जारी किए गए कार्यों को शामिल किया गया था। यह संकलन माननीय केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन , केंद्रीय सूचना और प्रसारण ,और भारी उद्योग व  सार्वजनिक उद्यम मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा विमोचित  किया गया था. 

पीआरएसडी  के सचिव  जी.एस.बावा  वेबिनार का संयोजन किया . प्रारम्भ में   अध्यक्ष  एस.एस. राव ने श्री सोबती का  स्वागत किया । पीआरएसडी के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य  विपिन खरबंदा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया.

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