चक्रवात जैसी आपदाओं की भविष्यवाणी में मौसम विभाग की भूमिका

 


फीचर


नई दिल्ली (इंडिया साइंस वायर): चक्रवात अपने भीषण रूप में हो तो वह जिंदगी को कई दशक पीछे धकेल सकता है। हाल ही में भारत अरब सागर में उठे ‘ताउते‘ तूफान के कारण हुई तबाही से पूरी तरह उबर नही सका था कि बंगाल की खाड़ी में आए ‘यास‘ तूफान ने अपनी दस्तक दे दी। चक्रवातों जैसी इन आपदाओं की सटीक जानकारी प्रदान करने में भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मौसम विभाग की सटीक जानकारियों के कारण ही हम जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम कर पाने में सक्षम हो सके हैं।

भारत एक उपमहाद्वीप देश है। दुनिया के लगभग 10 प्रतिशत उष्णकटिबंधीय चक्रवात इस क्षेत्र में आते हैं, जिससे यह दुनिया के चक्रवात प्रभावित प्रमुख क्षेत्रों में गिना जाता है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में हर साल औसतन लगभग पाँच से छह उष्णकटिबंधीय चक्रवात आते हैं, जिनमें दो से तीन चक्रवात गंभीर चक्रवाती तूफान की तीव्रता तक पहुँचते हैं। ऐसें में, भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की महत्ता बढ़ जाती है। 

चक्रवाती तूफानों के पैदा होने की बात की जाए तो यह कोरियॉलिस इफेक्ट की वजह से पैदा होते हैं, जिसका संबंध पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने से है। भूमध्य रेखा के नजदीक जहाँ समुद्र का पानी गर्म होकर 26 डिग्री सेल्सियस या उससे भी अधिक हो जाता है, इन च्रकवातों के उद्गम स्थल माने जाते हैं। सूरज की तपिश से जब हवा गर्म होकर ऊपर उठती है, तो वायुमंडल में वहाँ कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है। इस खाली जगह को भरने के लिए हवाएं काफी तेज गति से आती हैं, और गोल घूमकर कई बार चक्रवात में तब्दील हो जाती हैं।

पृथ्वी के दोनों गोलार्धों में चक्रवात के मामले देखने को मिलते हैं। दक्षिणी गोलार्ध में यह तूफानी बवंडर घड़ी की सुई की दिशा में घूमने के लिए जाना जाता है। जबकि, उत्तरी गोलार्ध में इसकी दिशा बदल जाती है। यहाँ पर यह घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में घूमता है। यह दोनों में एक बुनियादी फर्क है।

भारत जलवायु एवं मौसम की विविधता वाला देश है। यहाँ चक्रवात, बाढ़, सूखा, भूकंप, भूस्खलन, ग्रीष्म एवं शीत लहर सहित विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन प्राकृतिक खतरों के कारण विभिन्न समुदायों के लिए एक खतरा पैदा हो जाता है। इस खतरे को कम करने में प्रभावी पूर्वानुमान को जोखिम प्रबंधन का एक अहम हिस्सा माना जाता है। ऐसे पूर्वानुमानों से चक्रवात जैसी आपदाओं के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित करना और उन्हें विभिन्न माध्यमों से जनसामान्य तक प्रेषित करना भारत मौसम विभाग (आईएमडी) का एक महत्वपूर्ण कार्य है। चक्रवातों के संदर्भ में आईएमडी का जोखिम प्रबंधन कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें आसन्न खतरे और कमियों का विश्लेषण, योजना बनाना, पूर्व चेतावनी जारी करना और रोकथाम शामिल हैं।

चक्रवात जैसी आपदा के खतरा को कम करने में एक महत्वपूर्ण घटक उसकी भयावहता और विनाशक प्रवृत्ति का सटीक विश्लेषण कर उसकी उचित तैयारी करने से संबंधित। इसके लिए आईएमडी की कोशिश पूर्व चेतावनी और उसके प्रसार के संबंध में सटीक जानकारी देने की होती है। 

मौसम विभाग ने मौसम के पूर्वानुमान और अग्रिम चेतावनी के लिए देशभर में अनेक जगहों पर चक्रवात निगरानी रडार स्थापित किए हैं। ये रडार पूर्वी तट में कोलकाता, पारादीप, विशाखापट्टनम, मछलीपट्टनम, मद्रास एवं कराईकल और पश्चिमी तट में कोचीन, गोवा, मुंबई और भुज में स्थापित किए गए हैं। उपग्रहों के जरिये चक्रवातों की स्थिति की पहचान करने में मौसम विभाग की कार्यप्रणाली पहले की अपेक्षा काफी बेहतर हुई है। 

मौसम विभाग की इस छवि को बदलने का श्रेय भारतीय मौसम वैज्ञानिकों को जाता है। आज पूरी दुनिया इस दिशा में भारत की ओर देखती है और मौसम विभाग के सटीक पूर्वानुमान की जानकारी के कारण पड़ोसी देशों को भी जान-माल के नुकसान को रोकने के लिए काफी मदद मिली है।

भारत में मौसम विभाग की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल में हो गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने मौसम के अध्ययन के लिए इसकी स्थापना की थी। 

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