डॉ केके अग्रवाल अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता और परोपकारी गतिविधियों के माध्यम से अनगिनत जीवन को छुआ
उ
न्होंने अपने काम के माध्यम से महामारी के दौरान अनगिनत जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
नई दिल्ली : प्रसिद्ध चिकित्सक और हृदय रोग विशेषज्ञ, पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ केके अग्रवाल का 17 मई को रात 11:30 बजे COVID-19 के खिलाफ लंबी लड़ाई के बाद निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी (डॉ वीना अग्रवाल) और बच्चे (बेटा नीलेश अग्रवाल, बेटी नैना अग्रवाल आहूजा और दामाद अंकित आहूजा) हैं। डॉ. अग्रवाल, कन्फेडरेशन ऑफ मेडिकल एसोसिएशन ऑफ एशिया एंड ओशिनिया (CMAAO) और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (HCFI) के अध्यक्ष भी थे; एडिटर-इन-चीफ, IJCP ग्रुप और medtalks.in और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष। वह अपने समकालीनों और मेडिकल स्कॉलर के बीच एक रेयर व्यक्ति थे जो अपनी विशेषज्ञता और मार्गदर्शन के माध्यम से लोगों के फायदा के लिए लगातार कोशिश करते थे।
डॉ अग्रवाल कई हिस्सों के व्यक्ति थे। एक सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, माइंड बॉडी कंसल्टेंट और एक वर्ल्ड क्लास क्लिनिकल इकोकार्डियोग्राफर होने के अलावा, वह एक लेखक, एंकर, वक्ता, कोलुमिनिस्ट, स्वास्थ्य संचारक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, कन्सेप्टुलीज़ेर, निर्माता, उपदेशक, प्रशासक, सलाहकार, शोधकर्ता और मैडिटेशन टीचर भी थे। उनका जीवन युवा डॉक्टरों के लिए प्रेरणा है, जो की इन्हेरिट करती है उनकी एम्पथी, एफिशिएंसी, और हुमिलिटी को, जिसके साथ वे भारत और विदेशों में अपने रोगियों की अंतहीन धारा से सेवा कर रहे हैं।
डॉ अग्रवाल को सामाजिक कार्य के लिए 2010 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री (भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से सम्मानित किया गया था। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा पर कई किताबें लिखी, इकोकार्डियोग्राफी पर टेक्स्ट बुक चैपटर और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रेस में प्रकाशित हजारों पेपर लिखे। भारत में दिल के दौरे के लिए स्ट्रेप्टोकिनेस थेरेपी के लिए प्रसिद्ध है, वह वो व्यक्ति थे जिन्होंने भारत में कलर डॉप्लर इकोकार्डियोग्राफी टेक्नोलॉजी की शुरुआत की थी। उनकी उपलब्धियों के लिए, उन्हें 2005 में भारत में हाईएस्ट मेडिकल कैटेगरी के पुरस्कार डॉ बीसी रॉय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
“वह ख़ास तौर से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए क्वालिटी हेल्थकेयर सेवा उपलब्ध कराने के अपने मिशन में अटूट थे। महामारी के प्रकोप के बावजूद, उन्होंने अपनी डिजिटल पहल से 100 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए बहुत काम किया। उनके इन्फॉर्मेशनल वीडियो और एजुकेशनल प्रोग्राम वायरल संक्रमण से बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण साबित हुए, “ उनके परिवार के सदस्यों ने कहा,” वह चले गए, लेकिन इस स्थिति के बावजूद सकारात्मकता फैलाने की उनकी भावना कुछ ऐसी है जिसे हम सभी को आत्मसात करने की ज़रूरत है।"
डॉ अग्रवाल एक पाथ ब्रेकिंग डॉक्टर थे, जिन्होंने अपने रोगियों के स्वास्थ्य को ठीक करने के अलावा किसी और चीज की परवाह नहीं की, और अपने साथियों के साथ-साथ युवा मेडिकल प्रोफेशनल्स को लगातार प्रेरित, मार्गदर्शन और शिक्षित किया। वह सामूहिक प्रयासों की शक्ति में विश्वास करते थे और अक्सर उन रोगियों का मुफ्त में इलाज करते थे जो हृदय सर्जरी ट्रीटमेंट जैसे महंगे उपचार का खर्च नहीं उठा सकते थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने महात्मा गांधी के निधन पर जो कहा वह डॉ केके अग्रवाल के लिए उपयुक्त है।
“उन्होंने भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर जो प्रकाश डाला, वह भले ही बुझ गया हो, लेकिन यह कोई सामान्य प्रकाश नहीं था। इसने कई वर्षों तक देश को रोशन किया और एक हजार साल बाद भी ऐसा करता रहेगा। यह जीवित, अनन्त सच्चाई का दिखता है, और हमें लगातार सही रास्ते की याद दिलाता है, हमें गलती से खींचता है। ज्ञान की अविश्वसनीय विरासत के माध्यम से उनकी चमक और गर्मजोशी को हमेशा महसूस किया जाएगा जिसे उन्होंने पीछे छोड़ दिया है और असंख्य दिलों को सांत्वना देना जारी रखेंगे!"