राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के ऑनलाइन पुस्तक प्रकाशन पाठ्यक्रम के तीसरे बैच का समापन
नई दिल्ली
"पुस्तक प्रकाशन का उद्योग व्यवसाय ही नहीं अपितु मिशन भी है क्योंकि आज़ादी के पूर्व प्रकाशक-मुद्रकों ने क्रांतिकारी संदेशवाहक के रूप में कार्य करते हुए बहुत संघर्ष किया है, तब जाकर इस दिशा में आमूल परिवर्तन हुए हैं और परिणामस्वरूप वर्तमान में इस क्षेत्र में गौरव प्राप्त हुआ है. अत : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने इस उद्योग को केवल व्यवसाय न मानकर बल्कि एक मिशन के रूप में अपनाने पर ज़ोर दिया और इस मंच से लेखकों का सम्मान करने के लिए आहवान भी किया", प्रो. गोविंद प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने ऑनलाइन पुस्तक प्रकाशन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के समापन समारोह में कहा.
तीसरे बैच के तीन महीने के ऑनलाइन पुस्तक प्रकाशन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के सहयोग से 20 फरवरी में 16 मई 2021 तक वर्चुअल मोड पर आयोजित किया गया।
प्रो. शर्मा ने यह भी कहा कि विश्व में मुख्य 10 प्रकाशकों में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत की गिनती की जाती है तथा वर्तमान में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत में अग्रणी है और भविष्य में भी हमें गौरव प्रदान करेगा.
प्रो. रामदेव भारद्वाज, कुलपति, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल ने तीन माह से चल रहे ऑनलाइन पुस्तक प्रकाशन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के समापन कार्यक्रम में कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला में पुस्तक प्रकाशन के विविध पहलुओं पर सूक्ष्मता से गहन अध्ययन -अध्यापन हुआ है जिसका लाभ 47 प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में भरपूर मिलेगा ही. "आज का युग डिजिटल है और नई पीढ़ी डिजिटल की ओर अधिक प्रवृत्त है किंतु वर्तमान में प्रिंट मीडिया का भी उतना ही महत्व है क्योंकि जब लेखक क्रोनोलॉजिकल आर्डर में घटना व प्रसंग का विस्तृत विवरण समाज के समक्ष प्रस्तुत करता है, कालांतर में वह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है तथा भविष्य में नई पीढ़ी उससे न केवल ज्ञान अर्जित करती है बल्कि इतिहास के लेखा-जोखा से परिचित भी होती है और उसी का आधार लेकर उस क्षेत्र में अनुसंधान व अन्वेषण भी कर सकती है. अत : मेरा मानना है कि लेखक को पूर्वाग्रसित न होकर सृजनात्मक, रचनात्मक एवं गुणवत्ता को अपनी लेखन प्रक्रिया में अपनाकर भविष्य में भ्रम की स्थिति पैदा न हो, ऐसी दूरदर्शिता रखकर अपना लेखन कार्य ज़ारी रखना चाहिए."
युवराज मलिक, निदेशक, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने कोरोना काल में तीन माह से चल रहे पुस्तक प्रकाशन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में क्लासेस, असाइनमेंट, एग्जाम, फीडबैक आदि को सुव्यवस्थित सुचारु रूप से संचालित करने और सफल बनाने के लिए इस पाठ्यक्रम के आयोजकों-संयोजकों का आभार माना और कहा कि इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर बहुत हैं जिनका लाभ विद्यार्थी अपने जीवन में नैतिक मानवीय मूल्यों को अपनाकर किसी एक फिल्ड का चयन कर, उसमें मास्टर बनकर अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं तथा इसी प्रकार से आगे भी ऐसे उपक्रम सफल तरीकों से आयोजित करने का आश्वासन भी दिया.
अंत में श्रीमती नीरा जैन, मुख्य संपादक व संयुक्त निदेशक, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने प्रतिभागियों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में सम्मिलित विषय-विशेषज्ञों, उपस्थित मान्यवरों एवं आयोजकों-संयोजकों का सहृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया और इसी प्रकार से भविष्य में भी संचालित करने की प्रेरणा दी. इस तीन माह के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का संचालन श्री नरेन्द्र कुमार, प्रशिक्षण अधिकारी, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने किया.