केन्द्र सरकार कोरोना वैक्सीन अभियान के तहत् पूरे देश के आम लोगों को यह वैक्सीन मुफ्त मंे दे - मायावती
देश में सर्वसमाज के करोड़ों लोगों के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की प्रतीक व बी.एस.पी. मूवमेन्ट की प्रमुख सुश्री मायावती का 65वाँ जन्मदिन पूरे देश में कोरोना प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए अति-गरीबों व असहायों आदि की मदद करके पूरी सादगी के साथ ’’जनकल्याणकारी दिवस’’ के रूप में मनाया गया
मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर स्वलिखित पुस्तक ’’मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा, भाग 16’’ का हिन्दी व अंग्रेज़ी संस्करण भी, जो मुख्यतः एक वर्ष के भीतर पार्टी व मूवमेन्ट के कार्यकलापों व संघर्षों आदि का साफ-सुथरा लेखा-जोखा होता है, उसे भी जारी किया
लखनउ। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आज अपने जन्म दिन के अवसर पर कहा कि मेरा यह 65वाँ जन्मदिन है और इस बार मेरे जन्मदिन को पूरे देशभर मे बी.एस.पी. के लोग कुछ अलग हटकर अर्थात् कोरोना ;महामारी के चलते व सभी सरकारी नियमों का भी पालन करते हुये तथा बिना कोई केक काटे व लड्डू आदि बांटते हुए बहुत ही सादगी व संजीदगी से विशेषकर कोरोना के कारण दुःखी व पीड़ित चल रहे लोगोें की थोड़ी-बहुत मदद करने के खास उद्देश्य से इसे विभिन्न स्तर पर व पूरी तैयारी के साथ ही अपने महान सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों में भी ख़ासकर महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू जी महाराज, नारायणा गुरु, बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर एवं कांशीराम आदि की ‘‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’’ की नीतियों पर आधारित उनकी मानवतावादी सोच व मूवमेन्ट को ध्यान में रखकर इसको ‘‘जनकल्याणकारी दिवस’’ ;च्मवचसमश्े ॅमसंितम क्ंलद्ध के रूप मे ही मना रहे हैं, जिनके बताये हुये रास्तों पर चलकर ही मैंने उनकी इसी सोच व मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने के लिए अपनी पूरी जिन्दगी भी समर्पित की है और इसी धारणा के तहत् ही मेरे जन्मदिन को मनाने के मौके पर हर वर्ष बी.एस.पी के लोग अपने-अपने क्षेत्रों में तथा अपने आर्थिक-सामथ्र्य को देखते हुये सर्वसमाज मेें से विशेषकर गरीब, कमजोर, लाचार, असहाय व अन्य अति-जरूरतमंद लोगों की विभिन्न रूपों में मदद भी करते हैं जिसकी इस बार (इस वर्ष) खासकर कोरोना महामारी के चलते ऐसे लोगों की आर्थिक मदद करने की काफी सख्त जरूरत भी है।
उन्होंने कहा कि वैसे भी समाज में विशेषकर, गरीब, कमजोर व उपेक्षित वर्गों के हित व कल्याण के लिए हमेशा हमारी पार्टी अति-गम्भीर, तत्पर संवेदनशील, ईमानदार व संघर्षरत रहती है जिसके मुताबिक चलकर ही बी.एस.पी ने यू.पी. में चार बार अपने नेतृत्व में यहाँ सरकार भी चलाई है। लेकिन यह सब यहाँ जातिवादी, पूँजीवादी व संकीर्ण मानसिकता रखने वाली विपक्षी पार्टियों को अच्छा नहीं लगा और फिर इन्हांेने यहाँ बी.एस.पी. के विरूद्ध अन्दर-अन्दर एक होकर व किस्म-किस्म के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेको हथकण्डे इस्तेमाल करके, हमारी (इस) पार्टी को आगे सत्ता में आने से रोका है।
मायावती ने बताया कि अब तो ये विरोधी पार्टियाँ षड्यंत्र के तहत् खासकर कमजोर वर्गों में से स्वार्थी किस्म के लोगों की खरीद-फरोख्त करके व पर्दे के पीछे से उनके जरिए अनेकांे संगठन एवं पार्टियाँ आदि बनवाके तथा अपने फायदे के हिसाब से चुनाव में उनके उम्मीदवार उतार कर, इनका अर्थात् कमजोर वर्गों के लोगों का वोट बाँटने मे लगी हुई है ताकि बी.एस.पी. के उम्मीदवार सफल ना हो सके और फिर ये पार्टियाँ अंग्रेजों की ’’फूट डालो व राज करो’’ की नीति की तरह ही हमेशा यहाँ कमजोर व उपेक्षित वर्गों के ऊपर राज करके इनका शोषण व उत्पीड़न आदि करती रहे। लेकिन इनके इस हथकण्डे कोे भी बी.एस.पी के लोगों को कामयाब नही होने देना है बल्कि अपनी फिर से यहाँ खुद की सरकार बनाने के लिए इन्हें पूर्णरूप से आशावादी बनकर व इसके जवाब में इनको अपने कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के वोटो को किसी भी कीमत बँटने व बिकने नहीं देना है अर्थात् इनके इन सभी हथकण्डों का मुकाबला करके इन वर्गों को पुनः यहाँ सत्ता हासिल करना है तभी यहाँ सर्वसमाज में से खासकर गरीब, दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में व साथ ही किसान, मजदूर, व्यापारी एवं अन्य मेहनतकश लोगों की भी दयनीय स्थिति में काफी कुछ सुधार व बदलाव आ सकता है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए बी.एस.पी के लोगों को पूर्ण रूप से आशावादी बनकर व खासकर सन् 2003 के अपने खुद के अनुभवांे से भी काफी कुछ प्रेरणा लेकर इन्हें पुनः यहाँ सत्ता में वापिस आना है जिसके बारे में यहाँ मैं यह बताना भी जरूरी समझती हूँ कि सन् 2002 में जब यू.पी. में बी.एस.पी के नेतृत्व में बी.एस.पी व बीजेपी की संयुक्त सरकार बनी थी तो तब कुछ समय के बाद, ही सन् 2003 में जब हमें बीजेपी की शर्तों से यह लगा कि इनके साथ मिलकर लोकसभा का आमचुनाव लड़ने से हमारी पार्टी की नीतियाँ काफी कुछ गड़बड़ा (कमजोर) सकती है तो फिर मैंने उस समय अपनी पार्टी व मूवमेन्ट के हित में लगभग 16 महीनों की चली सरकार के दौरान् ही अपने मुख्यमंत्री के पद व अपनी सरकार को खुद ही छोड़ दिया था तो तब उस समय हमारी पार्टी के लोग काफी निराश हो गये थे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि लेकिन जब मैंने उनको यह समझाया कि राजनीति में कुर्सी व सत्ता बड़ी नहीं होती है बल्कि उससे बड़ी पार्टी व उसकी नीतियाँ एवं सिद्धान्त होते हैं और इस मामले में हमें अपने सन्तों, गुरुओ व महापुरुषों के संघर्षों से भी काफी कुछ सबक सीखना चाहिए तो तब फिर उस दौरान् पार्टी के लोग धीरे-धीरे अपनी निराशा को छोड़कर व आशावादी बनकर यहाँ अकेले अपने बलबूते पर अपनी सरकार बनाने के लिए पूरे जी-जान से जुट गये थे जिसके कारण फिर सन् 2007 में बी.एस.पी की अकेले अपने बलबूते पर ही खुद की सरकार बन गयी थी। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें राजनीति में कुर्सी व सत्ता के लालच में आकर अपनी पार्टी की नीतियों व सिद्धान्तों से कभी भी अलग नहीं होना है बल्कि इनको प्राथमिकता देते हुये ही आगे बढ़ना है और ना ही कभी निराश होकर इधर-उधर भटकना है बल्कि पूर्ण रूप से आशावादी बनकर सन् 2007 की तरह ही फिर से यहाँ सत्ता को प्राप्त करना है और अब मेरा यही कहना है कि यदि बी.एस.पी के लोग मेरी इन सभी बातों पर अमल करते हुये अपनी पार्टी को सन् 2007 की तरह पुनः यहाँ सत्ता में लाते है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, देश के अन्य सभी राज्यों में भी पार्टी को यू.पी. के तर्ज पर आगे बढ़ाते है तो फिर यही इनका मेरे जन्म-दिन के लिए खास तोहफा भी होगा। इतना ही नहीं बल्कि आज मैं अपने जन्मदिन के खास मौके पर केन्द्र सरकार से कुछ आग्रह भी करना चाहँूगी जो यह है कि दिल्ली मेें किसान काफी लम्बे समय से अपनी माँगों को लेकर जबरदस्त आन्दोलित है और उनकी माँगो को लेकर किसानों व केन्द्र सरकार के बीच में कई बार वार्ता भी हो चुकी है, जो अभी तक नाकाम रही है, और आज भी इनकी वार्ता होने वाली है जिसको लेकर हमारी पार्टी आज पुनः यह अनुरोध करती है, कि केन्द्र सरकार को अब इनकी सभी माँगो को मान लेना चाहिये तो यह बेहतर होगा क्योंकि किसान अपने हित व अहित को अच्छे प्रकार से समझते हैं।
मायावती ने बताया कि हमारा पार्टी का केन्द्र सरकार से यह भी कहना है कि देश मे कल से कोरोना टीकाकरण (वैक्सीन) का अभियान शुरू हो रहा है, जिसका बी.एस.पी स्वागत भी करती है। लेकिन इसके साथ ही यहाँ हमारी पार्टी का यह भी विशेष अनुरोध है कि केन्द्र की सरकार यह कोरोना वैक्सीन पूरे देश के आम लोगों को फ्री (मुफ्त) मंे ही दे तो यह उचित होगा। और यदि केन्द्र की सरकार हमारे इस विशेष अनुरोध को स्वीकार नहीं करती है तो फिर ऐसी स्थिति में देश की सभी राज्य सरकारों को इन्हें यह सुविधा ‘फ्री’ में ही देनी चाहिये। यह भी हमारी पार्टी का सभी राज्य सरकारों से विशेष अनुरोध भी है।इस मामले में मैं खासकर यू.पी. के लोगों को एडवांस में ही आज यह भी विश्वास दिलाना चाहती हूँ कि यदि केन्द्र व यू.पी. की वर्तमान भाजपा सरकार, भी यहाँ के आम लोगों को यह सुविधा ‘फ्री’ में नहीं देते है तो फिर इस बार यहाँ बी.एस.पी की सरकार बनने पर इन्हें यह सुविधा ‘फ्री’ में ही दी जायेगी, किन्तु फिर भी हमारी पार्टी यही चाहती है कि केन्द्र की सरकार इन दोनों मामलों मंे अर्थात् किसानों व वैक्सीन के मामले में अपना जरूर सकारात्मक रवैया अपनायें जिसका सभी को इन्तजार भी हैै।
मायावती ने कहा कि अपने जन्मदिन के मौके पर यह भी स्पष्ट कर देना चाहती हूँ कि कुछ ही समय के बाद उत्तर-प्रदेश व उत्तराखण्ड स्टेट में भी एक साथ यहाँ विधानसभा के आमचुनाव होने वाले है, लेकिन बी.एस.पी अब इन दोनों राज्यों में, बिहार प्रदेश की तरह व लोकसभा आमचुनाव की तरह भी यहाँ किसी भी पार्टी के साथ, किसी भी प्रकार का कोई भी चुनावी समझौता आदि नहीं करेगी, अर्थात् इन दोनों राज्यों मंे हमारी पार्टी अकेले अपने बलबूते पर ही यहाँ सभी विधानसभा की सीटों पर पूरी तैयारी व दमदारी के साथ यह चुनाव लड़ेगी तथा अपनी सरकार भी बनायेगी।वैसे यह बात भी काफी हद तक विदित है कि खासकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस व समजवादी पार्टी के रहे शासनकाल में तथा वर्तमान मे बीजेपी के चल रहे शासनकाल मे भी इनकी नीतियाँ व कार्यशैली को अब यहाँ कि जनता कतई भी पसन्द नहीं कर रही है। यही स्थिति हमें उत्तराखण्ड स्टेट मे भी देखने को मिल रही है और अब इस मामले में यहाँ की जनता बी.एस.पी को ही सत्ता मे लाने का अपना काफी कुुछ मन बना चुकी है जिसकी हमारी पार्टी को पूरी-पूरी उम्मीद भी है।
उन्होंने कहा कि इन्हीं जरूरी बातों के साथ ही अब मैं अपने जन्मदिन के खास मौके पर मेरे खुद के द्वारा लिखित पुस्तक ’’मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफरनामा’’ ;। ज्तंअमसवहनम व िडल ैजतनहहसम त्पककमद स्पमि ंदक ठैच् डवअमउमदजद्ध . ए ट्रेवेलोग आॅफ माई स्ट्रगल-रिडेन लाइफ एण्ड बी.एस.पी. मूवमेन्ट) का हिन्दी व अंग्रेज़ी संस्करण भी जो मुख्यतः एक वर्ष के भीतर पार्टी व मूवमेन्ट के कार्यकलापों व संघर्षों आदि का साफ-सुथरा लेखा-जोखा होता है, उसे भी जारी किया जाता है, जो यह पुस्तक खासकर वर्तमान में नई पीढ़ी व आगे आने वाली पीढ़ी के लिये भी काफी प्रेरणादायक साबित (सिद्ध) होगी ताकि मान्यवर श्री कांशीराम जी की कड़ी त्याग-तपस्या व कठोर मेहनत से बनी बी.एस.पी. की अम्बेडकरवादी व मानवतावादी मूवमेन्ट आगे ही बढ़ती रहे अर्थात् फिर यह मूवमेन्ट आगे कभी भी ना रुके और अब मैं इस पुस्तक का विमोचन करू, लेकिन इससे पहले मैं पूरे देशभर में अपनी पार्टी के लोगों का व शुभचिन्तकों का भी, जो इस बार मेरे जन्मदिन को कोरोना महामारी को विशेष ध्यान में रखकर व इसके कारण दुःखी एवं पीड़ित चल रहे लोगों की मदद करने के खास उद्देश्य से, इसे बहुत ही सादगी व संजीदगी से ’’जनकल्याणकारी दिवस’’ के रूप में मना रहे हैं, उन सभी का मैं पूरे तहेदिल से आभार प्रकट करती हूँ।