प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड -19 से मुकाबला करने की भारत की सुदृढ़ प्रणाली और जुझारू भावना की सराहना की



  • आगामी वर्षों के दौरान और सुधार किए जाएंगे।


नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड -19 को शताब्दी के दौरान कभी-कभी होने वाली स्वास्थ्य महामारी करार देते हुए देश की जुझारू भावना, सुदृढ प्रणालियों और संस्थानों की सराहना की जिनकी बदौलत इस संकट का मजबूती से मुकाबला किया जा सका। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इसने महत्वाकांक्षी आत्मनिर्भर भारत बनाने के संकल्प को और मजबूत किया है और इसमें टेक्नोलॉजी प्रमुख साधन होगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मनोरमा ईयरबुक 2021 के लिए आलेख में लिखा है – "आने वाले वर्षों में प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और मजबूती पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। प्रौद्योगिकी न केवल डोमेन के रूप में बल्कि प्रेरक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।"

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार और तकनीक पारिस्थितिकी तंत्र दोनों स्वदेश में विकसित स्टार्टअप और मोबाइल इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम करना जारी रखेंगे।

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हालांकि कुछ लोगों ने वर्ष 2020 को महामारी के कारण ‘‘बाहरी व्यवधानों वाला वर्ष" कहा लेकिन वह इसे "हमारे नागरिकों के लिए, हमारे समाज के लिए और हमारे देश के लिए आंतरिक खोज का वर्ष" मानेंगे।

उन्होंने कहा, "इस वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व के समक्ष मजबूत और एकजुट राष्ट्र के रूप में भारत के राष्ट्रीय चरित्र को सामने लाया है। दुनिया भर में, लोगों ने इस बातपर आश्चर्य व्यक्त किया कि भारतीय, चाहे वह गरीब हो या अमीर, युवा हो या बूढ़ा, ग्रामीण हो या शहरी, संकट के दौरान अभूतपूर्व अनुपात में जिम्मेदार, अनुशासित, केंद्रित, कानून का पालन करनेवाला, धैर्यवान और सक्षम होने की ताकतको दर्शाता है।"

संकट की इस घड़ी में सामने आकर भारत की तरफ से संकट का डटकर मुकाबला करने वाले कोविड योद्धाओं को सलाम करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि युद्ध स्तर पर किए गए उल्लेखनीय प्रयासों की बदौलत हमारा देश पीपीई उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया।

उन्होंने रेखांकित किया – "हमारे स्वास्थ्य कर्मियों और देखभाल करने वालों की बदौलत भारत ने दुनिया के विकसित पश्चिमी देशों सहित ज्यादातर देशों की तुलना में हमारे देश में कोविड मरीजों के स्वस्थ होने की दर को काफी अधिक तथा मृत्यु दर को कम बनाए रखा।"

इसने "दुनिया के लिए एक फार्मेसी" के रूप में उभरने की भारत की क्षमता का भी प्रदर्शन किया। भारत ने दूर–दूर तक जीवन रक्षक दवाइयां भेजी और साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया कि देश के लोगों के लिए दवाइयों की कोई कमी नहीं हो। "हमारे स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को कसौटी पर कसा गया और यह खरा साबित हुआ।"

यहां तक कि जब कई अन्य देशों में ढांचा चरमरा रहा था, तब हमारे बुनियादी ढांचे ने विभिन्न तरीकों से करोड़ों लोगों की मदद करने के लिए तेजी से और तत्काल मदद का हाथ बढ़ाया। अनगिनत अनजाने नायकों, एम्बुलेंस चालकों से लेकर फार्मासिस्टों तक, सुरक्षाकर्मियों से लेकर पास– पड़ोस के वेंडरों तक ने, कठिन परिस्थितियों में भी जीवन को निरंतर जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साथ ही साथ ये सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने, मास्क पहनने और डिजिटल भुगतान को अपनाने के प्रति सजग रहे।

 नरेन्द्र मोदी ने जोर देकर कहा कि देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है, जिसका अर्थ है “एक ऐसा भारत जो अधिक प्रतिस्पर्धी होगा, एक ऐसा भारत जो अधिक उत्पादक होगा और एक ऐसा भारत जो स्थानीय प्रतिभाओं को आगे बढ़ाएगा। आत्मनिर्भर भारत भारत की नीतिगत स्थिरता, कर की कम दरों और कुशल मानव संसाधनों का पूरा लाभ उठाते हुए भारत के लिए अधिक वैश्विक व्यवसायों को आकर्षित करके वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भूमिका को बढ़ाएगा।"

इसकी विस्तार से व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा, कृषि और श्रम कानूनों में सुधारों की त्रिमूर्ति भारत के छात्रों, किसानों और युवाओं को अधिक विकल्पों के जरिए सशक्त बनाने और उनकी पूरी क्षमता को उजागर करने में मदद करेगी।

उन्होंने कहा "ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बढ़ाने के लिए हम कंपनी अधिनियम के तहत अपराधीकरण को खत्म कर रहे हैं और अपराधों पर लगाम लगा रहे हैं। हम प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए तथा उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प प्रदान करने के लिए सभी क्षेत्रों में निजी उद्यमों का स्वागत रहे हैं। जब एफडीआई की बात आती है तो भारत आज भी सबसे खुले देशों में से एक है, जिसके परिणामस्वरूप दुनिया भर से एफडीआई का रिकॉर्ड प्रवाह होता है।”

श्री मोदी ने कहा कि कोविड -19 महामारी ने एक मूल्यवान पुल की भूमिका निभाने की प्रौद्योगिकी की क्षमता को सुदृढ़ किया है। “बहुराष्ट्रीय सम्मेलनों से लेकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों तक के सभी काम ऑनलाइन होने लगे हैं। महामारी के कारण उत्पन्न व्यवधानों के बावजूद, जम (जन धन, आधार और मोबाइल) त्रिमूर्ति के रूप में प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म ने देश के गरीब से गरीब व्यक्ति तक मदद पहुंचाने में सरकार की बहुत अधिक मदद की और इसकी मदद से वैसे समय में सरकार ने लाखों करोड रूपए की प्रत्यक्ष वित्तीय मदद पहुंचाई जब विकसित देश पुरातन आईटी प्रणालियों से जूझ रहे थे।”

उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों से भारत के विकास को बल मिल रहा है। “पहले, सुधारों का इस्तेमाल राजनीतिक अभियानों के लिए किया जाता था। हालांकि, राजनीतिक समीकरण केवल तभी मायने रखते हैं जब कोई राष्ट्र मामूली लक्ष्य करके चल रहा हो। एक ऐसे आकांक्षी राष्ट्र के लिए जो अपनी नियति की ओर बढ़ना चाहता है, हमारे लिए कोई भी छलांग पर्याप्त नहीं है।”

इसकी विस्तार से व्याख्या करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी नेकहा कि सुलभता का विकेन्द्रीकरण प्रौद्योगिकी की शक्ति को कई गुना बढ़ाएगा। भारत के अत्याधुनिक डिजिटल भुगतान ढांचे ने ही यह सुनिश्चित किया कि सोशल डिस्टेंसिंग के समय में वाणिज्य उपभोक्ताओं के साथ छोटे व्यवसायों से भी जुड़े रहें। भारत की तकनीकी क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए, हम एक लाख से अधिक गांवों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और अगले 1,000 दिनों के भीतर, यह भारत के सभी छह लाख गांवों तक पहुंच जाएगा।"

अंतरिक्ष क्षेत्रमें अधिक से अधिक निजी भागीदारी, उद्योगों की सहायता के लिए सुधारों, फेसलेस टैक्स असेसमेंट प्लेटफ़ॉर्म और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि "आने वाले वर्ष में ऐसी कई प्रौद्योगिकी आधारित पहल की जाएंगी जो भावी व्यवधानों से भारत के विकास को सुरक्षा प्रदान करेंगी।"

उन्होंने कहा "भारत ऐसा राष्ट्र है जो आने वाले दशक में विकास की राह पर महत्वाकांक्षी मैराथन के लिए तैयार है। हमें भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति को सुनिश्चित करते हुए कोविड -19 के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई जारी रखनी होगी। 2022 में, हम आजादी के 75 साल पूरे करेंगे। "सुधार और संकल्प, दृढता और उत्तरदायित्व आने वाले वर्ष में हमारी यात्रा को मजबूत करेंगे।”

श्री मोदी ने मनोरमा ईयरबुक की भी सराहना करते हुए कहा कि यह पूरे भारत में और भारत से भी परे फैले समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ बिंदु के रूप में उभरी है।

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