ब्रिक्स के सदस्य देशों को आतंकवाद के विरुद्ध अपने सामूहिक संघर्ष को तेज करने की आवश्यकता है : लोक सभा अध्यक्ष

“ब्रिक्स के सदस्य देशों को यह सुनिश्चित करना है कि इस वैश्विक महामारी के कारण सतत विकास लक्ष्य एजेंडा, 2030 को प्राप्त करने के मार्ग में कोई संकट पैदा न हो”:


लोक सभा अध्यक्ष ने आज ब्रिक्स संसदीय फोरम की बैठक को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया


 ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका की संसदों के पीठासीन अधिकारियों ने भी फोरम को सम्बोधित किया …


नई दिल्ली/कोटा, : लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज ब्रिक्स संसदीय फोरम की बैठक को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया, जोकि “ वैश्विक स्थिरता, जनसाधारण की सुरक्षा और प्रगतिशील विकास की दृष्टि से ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच भागीदारी: संसदीय आयाम ” विषय पर आयोजित की गई थी । इस अवसर पर बोलते हुए श्री बिरला ने कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों को आतंकवाद, जो मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है, के विरुद्ध अपने सामूहिक संघर्ष को तेज करने की आवश्यकता है ।


उन्होने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते सांसद मूकदर्शक नहीं बने रह सकते और उन्हें आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए । उन्होंने इस पर बल दिया कि आतंकवाद से जुड़ी सभी गतिविधियों के लिए मिलने वाली धनराशि पर तत्काल रूप से रोक लगनी चाहिए और आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद के पनपने के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों पर ध्यान दिए जाने और उनका यथाशीघ्र समाधान किए जाने की आवश्यकता है । उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ब्रिक्स के सदस्य देशों की संसदों को आतंकवाद को समाप्त करने संबंधी संधियों और समझौतों के समर्थन में अपने सामूहिक संकल्प को बल प्रदान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग करना चाहिए ।


श्री बिरला ने कहा कि कोविड – 19 महामारी के कारण लाखों निर्दोष लोगों की दु:खद मृत्यु हुई है, गंभीर आर्थिक चुनौतियां पैदा हुई हैं और सामान्य जनजीवन अस्त - व्यस्त हो गया है । उन्होंने यह भी कहा कि यह ऐसा समय है जबकि वैश्विक एकता और सहयोग की सबसे अधिक आवश्यकता है । श्री बिरला ने आगे यह कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच आपसी मतभेद होने के बावजूद एक न्यायसंगत और भेदभाव-रहित विश्व जहां गरीबी, भुखमरी और बीमारी के लिए कोई स्थान न हो और जहां प्रत्येक मनुष्य को जन्म से ही समान अवसर प्राप्त हों, यह हमारा साझा सपना है ।


उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देशों को यह सुनिश्चित करना है कि इस वैश्विक महामारी के कारण सतत विकास लक्ष्य एजेंडा, 2030 को प्राप्त करने के मार्ग में कोई संकट पैदा न हो और वे भुखमरी, गरीबी का पूरी तरह से उन्मूलन करने और एक समावेशी तथा न्यायसंगत विश्व की स्थापना करने के अपने उद्देश्य की दिशा में एकसाथ मिलकर कार्य करते रहें । कोविड-19 के इस अप्रत्याशित संकट का सामना करने में भारत के अनुभवों और कार्यनीतियों को साझा करते हुए श्री बिरला ने यह उल्लेख किया कि हमारी सरकार समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने, कृषि और कृषि से जुड़े व्यवसायों, एमएसएमई और अन्य उद्योगों को फिर से खड़ा करने की चुनौतियों का सामना करने के लिए 260 बिलियन डॉलर का आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज दे रही है ।


उन्होंने यह कहा कि “आत्मनिर्भर भारत अभियान” जैसी योजनाएं निर्धन लोगों, किसानों, शहरी कामकाजी वर्ग तथा मध्यम वर्ग का सशक्तिकरण करने में काफी सहायक होंगी । उन्होंने इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि इस वैश्विक महामारी के फैलने के शुरूआती दिनों में भारत ने तीन सुविधाओं अर्थात विशिष्ट पहचान संख्या (आधार), एक बैंक खाता तथा मोबाइल कनेक्शन के आधार पर तेजी से और सफलतापूर्वक समाज के कमजोर वर्गों को नकद धनराशि का अंतरण किया ।


श्री बिरला ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने आर्थिक संकट का सामना कर रहे लोगों के लाभ हेतु ‘गरीब कल्याण रोजगार योजना’ नामक एक व्यापक रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास योजना भी लागू की है । श्री बिरला ने कहा कि भारतीय संसद ने नागरिकों और कोरोना योद्धाओं - चिकित्सा तथा स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को सुदृढ़ करने, कृषि क्षेत्र को मज़बूत बनाने और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अनेक महत्वपूर्ण विधान बनाने हेतु सितंबर, 2020 में एक इन-पर्सन सत्र का आयोजन किया ।


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