आत्मनिर्भर गांवों से साकार होगा आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य- केंद्रीय मंत्री श्री तोमर

आत्मनिर्भर भारत: ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने पर हुआ वेबिनार


देशभर में विकसित हो रहे हैं 5,000 कम्प्रेस्ड बॉयो-गैस (सीबीजी) संयंत्र- केंद्रीय मंत्री श्री प्रधान


नई दिल्ली । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए आत्मनिर्भर भारत के आव्हान को साकार करने का मार्ग आत्मनिर्भर गांवों से होकर जाता है। हमारे गांवों को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने में इस्पात की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। श्री तोमर ने यह बात आत्मनिर्भर भारत: ग्रामीण अर्थव्यवस्था (कृषि, ग्रामीण विकास, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण) में इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने पर आयोजित वेबिनार में कही।


केंद्रीय स्टील मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित इस वेबिनार में श्री तोमर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान ग्रामीण मांग में उत्साहजनक बदलाव आया है। नीतिगत सहायता, विकास प्रयासों, कृषि ऋण छूट, उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) व ग्रामीण विकास केंद्रित बजटीय प्रक्रिया द्वारा ग्रामीण उपभोक्ताओं के खर्च की क्षमता में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, “इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण आवास, खाद्य भंडारण, कृषि उपकरण विनिर्माण आदि को कवर करने वाले ग्रामीण क्षेत्र में अपार अवसर उपलब्ध हैं। बढ़ती ग्रामीण अर्थव्यवस्था इस्पात के अधिक उपयोग के नए अवसर खोल रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, एमएसपी जैसी महत्वपूर्ण सरकारी योजनाएं जीवन को बेहतर बना रही हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में इस्पात का अधिक उपयोग भी शामिल है।” श्री तोमर ने कहा कि ऊर्जा, डेयरी, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-उपकरण आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में विकास का ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की आवश्यकता को देखने और घरेलू इस्पात उत्पादन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कार्यदल के गठन का भी सुझाव दिया। श्री तोमर ने बताया कि 2,48,626 करोड़ रू. का पीएमएवाई-ग्रामीण के तहत आवासों में निवेश होगा, पीएमजीएसवाई में ग्रामीण सड़कों में सुधार लाने के लिए करीब 139,621 करोड़ रू. का निवेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत 1.17 करोड़ आवास का निर्माण पूर्ण हो चुका हैं, वहीँ 1.09 करोड़ आवास का निर्माण जारी है। इन आवासों के निर्माण में लगभग 46.90 लाख मीट्रिक टन इस्पात के उपयोग किया जा चुका है, वहीं 43.80 मीट्रिक टन इस्पात निर्माणाधीन आवासों में उपयोग होने की सम्भावना है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बनने वाली सड़कों व पुलों के निर्माण में भी भारी मात्रा में इस्पात का उपयोग होता है। अनुमान है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के प्रथम एवं द्वितीय चरण के तहत स्वीकृत कार्यों के लिए लगभग 102 लाख मीट्रिक टन इस्पात की आवश्यकता है, इसमें से लगभग 58.50 लाख मीट्रिक टन इस्पात उपयोग में लाया जा चुका है। इस योजना के तृतीय चरण के तहत भी सड़कों एवं नालियों का निर्माण किया जा रहा है। आगामी 5 वर्षों में 1.25 लाख किलोमीटर सड़कों का उन्नयन करना है। इसमें से 28,233 किलोमीटर सड़क एवं 254 लम्बी अवधि के पुलों की स्वीकृति जारी की जा चुकी है। इस कार्य में भी भारी मात्रा में इस्पात का उपयोग होना है। अभी विश्व में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद भारत की प्रति व्यक्ति इस्पात की वार्षिक खपत 74.1 किग्रा है, जो वैश्विक औसत (224.5 किग्रा) की एक-तिहाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात का उपयोग शहरी क्षेत्रों की की तुलना में कम रहा है। देश में ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत वर्ष 2019 में 74.1 कि.ग्रा. के अखिल भारतीय औसत के मुकाबले लगभग 19.1 किग्रा रही है।


वेबिनार में केंद्रीय स्टील तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की मांग को बढ़ावा देने के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि सरकार 1,00,000 करोड़ रू. के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के संवितरण के साथ कई नए क्षेत्रों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल कर रही है। उन्होंने बताया, “हम देश भर में 5,000 कम्प्रेस्ड बॉयो-गैस (सीबीजी) संयंत्र विकसित कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में सीबीजी को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल किया है। हम चावल से इथेनॉल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। सभी के लिए आवास सुनिश्चित करने का मिशन, ग्रामीण सड़कों में निवेश, रेलवे की आधारभूत संरचना को उन्नत करने और कृषि को गति, सभी में इस्पात की बड़ी मांग पैदा करेंगे। प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत बढ़ाना सभी के हित में है। श्री प्रधान ने उल्लेख किया कि देश में प्रति व्यक्ति इस्पात उपयोग को बढ़ाने में ग्रामीण भारत की अहम भूमिका है। यह समाज में अधिक सशक्त बनाएगा, ग्रामीण विकास सुनिश्चित करेगा और रोजगार पैदा करेगा।”


स्टील राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने ग्रामीण परिदृश्य को बदलने के लिए कई पहल की है। फसलों के लिए एमएसपी व कृषि उपज के समर्थन मूल्य, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना, पर्याप्त ऋण उपलब्धता के कारण मजबूत ग्रामीण लिक्विडी बरकरार है और प्रतिस्थापन मांग सभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद कर रही हैं और इसके कारण ग्रामीण क्षेत्र से इस्पात की मांग बढ़ रही है।


सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बैनर्जी व स्टील मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुश्री रसिका चौबे ने संबोधित किया। स्टील, ग्रामीण विकास, कृषि एवं किसान कल्याण, पंचायत राज, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, मत्स्य एवं पशुपालन मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी और उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र व अन्य राज्यों के अधिकारियों, स्टील उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि तथा सीआईआई के अधिकारी भी शामिल हुए।


 


 


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