राष्ट्रीय चेतना का उद्घोष – अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण – 2, पतित-पावनी : अयोध्या
सिख मान्यतानुसार श्री गुरुनानक देव जी को यहां ब्रह्मकुंड नामक स्थान पर ब्रह्मा के दर्शन हुए. दशमेश पिता श्री गुरुगोविंद सिंह जी ने भी अयोध्या की तीर्थयात्रा की थी. औरंगजेब के काल में श्री गुरुगोविंद सिंह जी महाराज ने अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि की मुक्ति हेतु युद्ध भी किया था. उन्होंने अपना सम्बन्ध भगवान राम के सूर्यवंश से जोड़ा है. श्रीगुरु की आत्मकथानुसार बेदी और सोढी वंश दोनों का सम्बंध राम के पुत्रों लव और कुश से है. अतः समस्त भारत के आध्यात्मिक जीवन के साथ अयोध्या का इतिहास भारत के सांस्कृतिक राष्ट्र जीवन की निर्विवाद अभिव्यक्ति है. भारत राष्ट्र का वैभव और पराभव अयोध्या के उत्थान और पतन के साथ जुड़ा हुआ है. राम इसी राष्ट्र जीवन के नायक हैं. जैसे राम और अयोध्या को बांटा नहीं जा सकता, उसी प्रकार राम और राष्ट्र को बांटा नहीं जा सकता. राम भारत के राष्ट्र जीवन की सरल, स्पष्ट और अद्वितीय परिभाषा है. अयोध्या इसी राष्ट्र जीवन (राम) की जन्मस्थली है. इस जन्मस्थली पर श्रीराम का भव्य मंदिर पहले भी था, अब भी है और आगे भी रहेगा.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)