सेल घरेलू रिफ्रेक्ट्रीज मेटेरियल के इस्तेमाल पर ज़ोर के जरिये आत्मनिर्भर भारत को दे रहा है बढ़ावा

नई दिल्ली / बर्नपुर : स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) भारत को आत्मनिर्भर बनाने  की दिशा मेँ सक्रिय रूप से अपनी भागीदारी निभा रहा है। हाल ही मेँ, सेल ने पश्चिम बंगाल के बर्नपुर मेँ स्थित अपने इस्को स्टील प्लांट मेँ विभिन्न क्षेत्रों के घरेलू रिफ्रेक्ट्रीज निर्माताओं के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार का आयोजन इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट्स मेँ गुणवत्ता और खपत दोनों के हिसाब से घरेलू रिफ्रेक्ट्रीज उत्पादन के उपयोग को बढ़ावा देने की संभावनाओं को तलाशने के लिए किया गया। मौजूदा समय मेँ, भारत के इस्पात संयंत्रों द्वारा पर्याप्त मात्रा मेँ  आयातित रिफ्रेक्ट्रीज का इस्तेमाल किया जाता है। इस वेबिनार का उद्देश्य आयातित रिफ्रेक्ट्रीज की जगह घरेलू उत्पादित रिफ्रेक्ट्रीज को बढ़ावा देने पर फोकस था। इस वेबिनार का शीर्षक “इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट्स मेँ रिफ्रेक्ट्रीज : घरेलू निर्माताओं के लिए अवसर और चुनौतियां” था। इस वेबिनार मेँ सेल के सभी संयंत्रों के साथ–साथ बड़ी संख्या मेँ घरेलू रिफ्रेक्ट्रीज उत्पादकों ने भाग लिया। रिफ्रेक्ट्रीज़ स्टील उद्योग द्वारा ब्लास्ट फर्नेस और कन्वर्टर्स की आंतरिक लाइनिंग के साथ-साथ वेसेल्स मेँ होल्डिंग और मेटल के ट्रांसपोर्टिंग के लिए और फर्नेसेज मेँ आगे की प्रोसेसिंग से पहले हीटिंग इत्यादि मेँ इस्तेमाल किया जाता है।


सेल ने घरेलू रिफ्रेक्ट्रीज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई पहल किए हैं। सरकार के आत्मनिर्भर भारत पर ज़ोर घरेलू रिफ्रेक्ट्रीज उत्पादकों के लिए एक बढ़िया अवसर की तरह है और वे खुद के विकास के साथ–साथ स्थानीय इस्पात उद्योग को भी फायदा पहुंचा सकते हैं। इस वेबिनार के दौरान, इस बात पर ज़ोर दिया गया कि घरेलू रिफ्रेक्ट्रीज उत्पादकों के पास यह एक बड़ा अवसर है कि वे यह घरेलू रिफ्रेक्ट्रीज की जरूरतों को पूरा करें। इसके लिए, उनके पास एक अच्छा अवसर है कि वे अनुसंधान एवं विकास पर निवेश करें और कुछ वैकल्पिक रिफ्रेक्ट्रीज उत्पाद विकसित करें, जिन्हें सेल अपने संयंत्र मेँ परीक्षण के लिए अनुमति देगा। इस वेबिनार में, रिफ्रेक्ट्रीज उत्पादों की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं तथा स्वदेशी रिफ्रेक्ट्रीज उत्पादों को अपनाने में एकीकृत स्टील प्लांटों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई। इस वेबिनार का उद्देश्य एक-दूसरे की जरूरतों को पहचानने के लिए एक साझा मंच प्रदान करना था ताकि आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार किया जा सके और “वोकल टू लोकल” की अवधारणा को बढ़ावा दिया जा सके।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*"आज़ादी के दीवानों के तराने* ’ समूह नृत्य प्रतियोगिता में थिरकन डांस अकादमी ने जीता सर्वोत्तम पुरस्कार

ईश्वर के अनंत आनंद को तलाश रही है हमारी आत्मा

सेक्टर 122 हुआ राममय. दो दिनों से उत्सव का माहौल