कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य- केंद्रीय मंत्री श्री तोमर

आत्मनिर्भर भारत निर्माण हेतु जैविक-प्राकृतिक कृषि पद्धति के साथ एकीकृत कृषि को बढ़ावा देना जरूरी


10 हजार एफपीओ के गठन से किसानों को होगा काफी लाभ, फसल बीमा योजना भी बहुत फायदेमंद


भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की क्षेत्रीय समिति की बैठक


नई दिल्ली भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय समिति–I (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू- कश्मीर व लद्दाख) की 26वीं बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में हुई। इसमें श्री तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार का, कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य है। इसके लिए उन्होंने समन्वित प्रयास करने पर जोर दिया। श्री तोमर ने कहा कि इन क्षेत्रों की विशेष जलवायु के कारण यहां के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर होने से निर्यात की और भी काफी संभावनाएं है। यह क्षेत्र एक्सपोर्ट का हब बन सकता है।


श्री तोमर ने खेती की दृष्टि से मैदानी और पहाड़ी इलाकों के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए कहा कि क्षेत्रीय समिति– I के अंतर्गत आने वाले इलाके पहाड़ी होते हुए भी समृद्ध जलवायु, औषधीय कृषि, सुगंधित पौधे, केसर, महंगे व उन्नत फलों की खेती के मामले में व आध्यात्मिक दृष्टि से भी संपन्न हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण हेतु जैविक व प्राकृतिक कृषि-पद्धति के साथ-साथ एकीकृत कृषि को बढ़ावा देने की बहुत जरूरत है। श्री तोमर ने भाकृअनुप और संबंधित संस्थानों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी की सराहना करते हुए कहा कि क्षेत्रीय समिति-I के लिए पिछली समितियों द्वारा लिए गए निर्णयों व सिफ़ारिशों ने इन प्रदेशों में कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में काफी सफलताएं अर्जित की हैं।


उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के विकास के लिए, हाल ही में लाए गए अध्यादेशों का जिक्र करते हुए हर स्तर पर किसानों को कानूनी बदलावों का लाभ दिलाने के लिए प्रयत्न करने का आग्रह किया। फसल बीमा योजना के फ़ायदों का जिक्र करते हुए श्री तोमर ने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा व अन्य स्तर पर छोटे किसानों को भी इसका लाभ दिलाया जाना चाहिए। उन्होंने 10 हजार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की केंद्र सरकार की योजना बताते हुए एफपीओ से मिलने वाले लाभों को रेखांकित किया।


श्री तोमर ने कहा कि हम सूक्ष्म सिंचाई के दायरे में खेती को जितना ज्यादा लाएंगे, उतनी ही अधिक उत्पादकता बढ़ेगी और जल बचाने के हमारे मिशन को भी पूरा कर पाएंगे। कृषि अधोसंरचना की उपलब्धता गांव-गांव में होना चाहिए, फूड प्रोसेसिंग की छोटी-छोटी यूनिट्स भी जगह-जगह लगें। प्रधानमंत्री जी ने हाल ही में एक लाख करोड़ रू. के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के साथ ही अन्य कई पैकेज दिए हैं। इनसे काफी लाभ मिलेगा। बैठक को कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला एवं  कैलाश चौधरी ने भी संबोधित किया। डॉ. त्रिलोचन महापात्र, महानिदेशक (भाकृअनुप) एवं सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग ने खेती संबंधित समस्याओं और उसके समाधान हेतु हो रहे अनुसंधानों का जिक्र किया। भाकृअनुप की पुस्तकों और प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया। बैठक का आयोजन भाकृअनुप-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला द्वारा किया गया। बैठक में इन राज्यों के कृषि, बागवानी, पशुपालन व मत्स्य मंत्री, भाकृअनुप शासी निकाय,  बिम्बाधर प्रधान विशेष सचिव व वित्त सलाहकार भाकृअनुप, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति व वैज्ञानिक सहित अन्य अधिकारी भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से शामिल हुए।


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