भारतीय उपभोक्ता शहीद सैनिकों के सम्मान के रूप में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के लिये आ रहे आगे

नोएडा


भारतीय उपभोक्ता उन सैनिकों के सम्मान के रूप में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं, जिन्होंने ड्यूटी पर अपनी जान दे दी थी।  इस चीनी कार्रवाई के समय मे आत्मनिर्भर होने के सरकारी आहवान को बढ़ावा  दिया है, जिसे एक महीने पहले आत्मानिर्भर भारत मिशन के माध्यम से सार्वजनिक किया गया था। साथ ही इस राखी पर  सुशील कुमार जैन, अध्यक्ष, सेक्टर 18 मार्किट ऐसोसिएशन नोएडा एवं संयोजक, दिल्ली एन सी आर , कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स  द्वारा सभी बहनो से अपील की गयी कि इस राखी पर भारतीयो द्वारा बनायी गयी राखी ही खरीदे चीन से आयातित राखी ना खरीदे। जैसा कि आप जानते है कि आज देश चीन से अपनी सीमा की रक्षा के लिए कूटनीतिक रूप में युद्ध लड़ रहा है।  इसमें कुछ दिन पूर्व हमारे 20 जवान शहीद हो गए हैं।  ये जवान किसी ना किसी माँ के बेटे, किसी बहन के भाई और किसी बेटी के पिता थे।  उनका कसूर कुछ नहीं था पर देश की आन बान और शान के लिए उन्होंने वीरगति पाई है।  


जब भी देश  पर संकट आया है तो इस देश की मातृ शक्ति ने रानी लक्ष्मी बाई, अहिल्या बाई और रानी पद्मावती की तरह हाथ में हथियार उठा कर दुश्मन को परास्त किया।  आज फिर देश को इस मातृ शक्ति की आवश्यकता है पर इस बार आपको हथियार उठा कर युद्ध नहीं करना है बल्कि अपने हुनर और कौशल से आर्थिक मोर्चे पर चीन को शिकस्त देनी है।  


जैसा कि हम जानते है कि 3 अगस्त को भाई-बहन का त्यौहार रक्षा बंधन आने वाला है और इस पवित्र त्यौहार में आप बहनों की राखी का हर भाई को इंतज़ार रहता है. पर क्या आप जानते हैं कि कुल राखी की बिक्री का 60% से अधिक हिस्सा चीन की राखी का है। 
 सुशील कुमार जैन, द्वारा अनुरोध किया गया  है कि इस बार बहने जहाँ तक संभव हो सके चीन की राखी ना खरीदें। आपके द्वारा बांधे गए रेशम की डोरी का भी हर भाई उतना मान रखेगा जितना की डिज़ाइनर राखी का होता है।  यदि बहने चाइना की राखी खरीदती हैं तो कही ना कहीं  सीमा पर खड़े उस भाई के हाथों को कमजोर करती हैं और उसकी बहन के माथे पर चिंता की लकीर को लम्बी करती हैं। मै अपने  व्यापारी साथियो से भी निवेदन करता हूॅ कि इस बार चीन से राखी आयात ना करे।
आपका यह पहला वार उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि तो होगी ही साथ ही चीन को भी आर्थिक क्षति, जो उसे घुटनों पर लाकर रख देगी।
चीनी उत्पादों को खरीदने का बहिष्कार करने के लिए लगभग 90% लोग तैयार हैं। सभी का का कहना है कि भारत को चीनी  उत्पादों को भारतीय मानक  बीआईएस जैसे गुणवत्ता से  प्रमाणित नही करना चाहिये। बहुत से भारतीयों का कहना है कि उन्होंने प्रमुख चीनी बस्तुयो जैसे मोबाईल,टीवी,फ्रिज एसी आदि के नए उत्पादों / सेवाओं को नहीं खरीदा है, लेकिन उनके पास जो है उसका उपयोग करेंगे।ज्यादातर लोग चीनी आयात पर 100% से 300% तक शुल्क लगाने के लिए सरकार की सरकार से मांग करते  है एवं आने वाले समय मे चीनी उत्पादों को खरीदने का बहिष्कार करने के लिए तैयार हैं


 सुशील कुमार जैन , संयोजक , कंफेडरेशन आफ आल इंडिय ट्रेडर्स ने  चीनी सैनिकों  के द्वारा अकारण आक्रामकता के जवाब में चीनी निर्मित उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया है लोगों को एहसास है कि भारत में उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाकई ब्रांड चीन  को प्रभावित करते हैं, लोगो से स्पष्ट रूप से पूछा गया था कि क्या वे Xiaomi, Oppo, Vivo, One Plus, Club , Aliexpress, Shein, Tik Tok, WeChat आदि का उपयोग बंद करेंगे प्रभावी, 75% ने कहा कि 'हाँ, अब से नहीं खरीदेंगे',  लेकिन जो पहले से हमारे पास है उसका उपयोग करना है।


इसका मतलब है कि  75% भारतीय कहते हैं कि वे प्रमुख चीनी ब्रांडों को खरीदने का बहिष्कार करेंगे और इसके बजाय, भारतीय ब्रांडों का समर्थन करेंगे।  इनमें से कई कंपनियों का पिछले एक दशक में चीन के आर्थिक विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और भारत कई चीनी कंपनियों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बाजार बना हुआ है।  चीन से आयात की प्रमुख श्रेणियों में स्मार्टफोन, दूरसंचार उपकरण, टीवी, घरेलू उपकरण, ऑटो घटक, फार्मा  आदि बस्तुये शामिल हैं। कैट द्वारा पहले ही 3000उत्पादो की सूची जारी की जा चुकी है।
 
लोगो ने कहा कि भारत अपनी तकनीक को विकसित करके चीन से अच्छे एवं सस्ते उपकरण बनाकर पेश करे एवं चीन को पछाड़कर दिखाये।
 सुशील कुमार जैन ने कहा कि भारत ने फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान से आयातित सभी उत्पादों पर 200% शुल्क लगाया था।  चीन के साथ मामला हालांकि उपभोक्ता वस्तुओं, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स के एक बड़े प्रतिशत के रूप में काफी भिन्न है।  भारत में बेचा जाने वाला माल या तो पूरी तरह से चीन में बनाया जाता है या चीन से कल पुर्जे  लाकर यहा पुनर्निरमित होता  हैं।  चीनी निर्मित वस्तुओं पर 100% सा 300% तक आयात शुल्क लगाने का समर्थन करने वालो ने कहा कि अब चीन को सबक सिखाना जरूरी है। 
 हालाँकि, कई भारतीय निर्माता स्वीकार करते हैं कि चीनी विनिर्माण दक्षता भारत से कहीं आगे है और परिणामस्वरूप, उनमें से कुछ भारत में सभी पार्ट्स के निर्माण के बजाय अब चीन से महत्वपूर्ण मात्रा में आयात कर रहे हैं और भारत में असेंबल कर रहे हैं, जिससे कीमतों में कमी आई है।  किन्तु अवसर मिलेगा तो भारतीय कुछ भी कर दिखाने का साहस एवं क्षमता रखते है।भारत आधारित निर्माताओं के अनुसार, भारत में बिकने वाले कई चीनी उत्पादों ने उन्हें कीमतों पर हरा दिया क्योंकि वे भारतीय मानकों के अनुरूप नहीं हैं और उनकी गुणवत्ता भारतीय मानकों के अनुरूप नहीं है।  उनके अनुसार, एक अनुचित प्रतिस्पर्धा का  माहौल बनाने के अलावा, ऐसे उत्पाद हानिकारक भी हैं, और कुछ मामलों में, भारतीय उपभोक्ताओं के लिए खतरनाक हैं।


 भारत सरकार चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये। जिसमें चीनी निर्माताओं द्वारा भारतीय ग्राहकों तक पहुँच को सीमित करना भी आसान हो जाय ।   कई चीनी उत्पाद उन पर लगाए जा रहे एंटी-डंपिंग शुल्क को भी देख रहे हैं।  2019 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 56.77 बिलियन डॉलर था और चीन से कई भारी आयात श्रेणियां अब सरकार के दायरे में हैं।
 ऐसा लगता है कि 2 देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध एक मोड़ पर पहुंच गए हैं और चीजों को सामान्य स्थिति में लाने के लिए जल्दी से कुछ करना होगा।  हालाँकि, भारतीय लोगो ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्र के गौरव के ऊपर कुछ भी नहीं आता है और वे चीनी उत्पादों का बहिष्कार करके देश के साथ खड़े होने के लिए तैयार है ।  यह सर्वेक्षण  एक समूह के बीच किया गया। जिसमे हमारे साथ जुड़े हजारो लोगो ने अपने विचार रखे


 


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