बीजेपी व कांग्रेस पार्टी के बीच तकरार व आरोप-प्रत्यारोप अतिदुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण - मायावती


 देश काफी नाजुक दौर से गुजर रहा है व जनता हर प्रकार से महंगाई आदि से परेशान है।  केन्द्र पेट्रोल-डीजल की कीमत को तुरन्त नियंत्रित करे


नई दिल्ली: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती  ने आज यहाँ मीडिया वार्ता में कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद,कब्जा,संघर्ष व कर्नल सहित 20 सैनिकों की शहादत व सम्बन्धित सीमा सुरक्षा आदि को लेकर सत्ताधारी बीजेपी व कांग्रेस पार्टी के बीच जो तकरार व आरोप-प्रत्यारोप लगातार हर दिन हो रहे हैं, वह अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण हैं। साथ ही, इन पार्टियों के इस आपसी झगड़े में लगभग 125 करोड़ जनता से जुड़े जनहित के असली मुद्दे जैसे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि व इसके कारण हर तरफ हर प्रकार की बढ़ रही महंगाई जिससे आम जन-जीवन त्रस्त है, के मामले दब कर गौण से हो गए हैं।
अपनी प्रेसवार्ता में सुश्री मायावती जी ने कहा कि बी.एस.पी. खासकर देश के गरीबों व दबे-कुचले शोषित लोगों के व्यापक हित व देशहित से जुड़ी एक सिद्धान्तवादी राष्ट्रीय पार्टी व मूवमेन्ट है और खासकर देशहित व देश की रक्षा व सुरक्षा से सम्बन्धित मामलों में केन्द्र के साथ ही खड़ी रहती है, चाहे वह किसी भी पार्टी की सरकार केन्द्र में रही हो। जब कांग्रेस पार्टी केन्द्र की सत्ता में थी तो बी.एस.पी. ने देशहित के हर मामले में उसका साथ दिया और अब जबकि बीजेपी केन्द्र की सत्ता में है, तो चीन के साथ जारी सीमा विवाद व संघर्ष के मामले में वह उसके साथ है, क्योंकि देश की रक्षा व सीमा की सुरक्षा के मामले में सर्वाधिक दायित्व व असली संवैधानिक जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की ही बनती है। इसलिए चीन के साथ सीमा विवाद व संघर्ष के मामले में अगर कांग्रेस पार्टी सोचती है कि बी.एस.पी. उसका साथ देकर केन्द्र सरकार से उसकी तरह ही तू-तू, मैं-मैं करेगी तो यह सम्भव नही हैं। एक असली अम्बेडकरवादी पार्टी का यह स्वभाव नहीं हो सकता है।
और इस सम्बन्ध में कांगे्रस पार्टी को साफ तौर पर चेतावनी दी कि वह बी.एस.पी. को ’’बीजेपी के हाथ का खिलौना’ व ’’बीजेपी का अघोषित प्रवक्ता’’ आदि कहने की गलत, बेतुकी व बेहूदी बातें तत्काल बन्द करे। बी.एस.पी. ना तो कभी कांग्रेस के हाथ का खिलौना रही है ना ही कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता कभी भी रही है और ना ही बीजेपी की है और ना ही आगे कभी ऐसा संभव है। वास्तव में कांग्रेस हो या बीजेपी, जो भी पार्टी केन्द्र की सत्ता में होती है तो वह अपनी-अपनी सुविधा के लिए बी.एस.पी. पर इस प्रकार का तुच्छ आरोप लगाती है, जो कि जगजाहिर है, अर्थात् कांगे्रस व बीजेपी अपने-अपने राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ के हिसाब से समय-समय पर इस प्रकार का मिथ्या आरोप लगाते रहते हैं। 
जबकि वास्तविकता यह है कि बी.एस.पी. देश में एक मजबूत विचारधारा वाली एक मात्र अम्बेडकरवादी पार्टी व मूवमेन्ट है। इसे इसके उसूलों से ना तो कोई झुका सकता ना ही कोई डिगा सकता है। बी.एस.पी. प्रवक्ता जरूर है, मगर परम-पूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के मूवमेन्ट की प्रवक्ता है व मान्यवर  कांशीराम जी के त्याग व तपस्या की प्रवक्ता है और इसमें किसी को कोई शक नहीं होनी चाहिये।
 मायावती जी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोग ऐसी बेहूदी बातें जान-बूझकर लोगों में भ्रम फैलाने व नेतृत्व को बेवजह बदनाम करने के लिए करते है, जबकि उन्हें ही क्या बल्कि पूरे देश को अच्छी तरह से मालूम है कि बी.एस.पी. अपनी आइडियोलाजी के हिसाब से ही काम करती है और बीजेपी के साथ मिलकर कभी भी कोई चुनाव आजतक कहीं लड़ा है, क्योकि दोनों पार्टियों की विचारधारा अलग-अलग है। इसी अपने मूल सिद्धान्त को लेकर ही सन् 2003 में हमने यूपी के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और स्पष्ट कर दिया था कि बीजेपी के साथ गठबन्धन की सरकार बनाना अलग बात है, परन्तु साथ मिलकर चुनाव लड़ना अलग मामला है।
साथ ही, कांग्रेस पार्टी के लोगों को यह भी मालूम है कि जब बी.एस.पी. की स्थापना हुई तब कांग्रेस पार्टी ही सत्ता में थी और बी.एसपी. की स्थापना ही इसलिए हुई क्योंकि देश के करोड़ों दबे-कुचले लोगों, दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित व कल्याण के मामलें में कांग्रेस पार्टी व इनकी केन्द्र व राज्य सरकारों ने वायदे के मुताबिक कभी पूरी निष्ठा व ईमानदारी से काम नहीं किया। 
देश के संविधान निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा देश के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देने के पीछे भी यह एक बड़ा कारण था कि कांग्रेस खासकर दलितों, पिछड़ों व महिलाओं के हित व कल्याण से सम्बन्धित अपने वायदे पर पूरी तरह से कायम नहीं रही थी। इसीलिए बी.एस.पी. के लोगों से मेरा यही आग्रह है कि वे कांग्रेस पार्टी के गलत प्रोपागण्डा आदि से सावधान रहंे, संयमित रहें, हालाँकि बी.एस.पी. के लोगों को जैसे-को-तैसा जवाब देना भी आता है।
 मायावती ने कहा कि कोरोना बीमारी की महामारी व लाॅकडाउन के कारण बेरोजगारी आदि से देश की लगभग 125 करोड़ जनता पहले से ही बेहाल व परेशाान है और अब चीन के साथ लद्दाख में खूनी संघर्ष में 20 जवानों की शहादत ने उसे काफी विचलित कर दिया है तथा ऐसे नाजुक समय में भी बीजेपी व कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो रही प्रतिदिन की अप्रत्याशित वृद्धि से अन्ततः जनता का ही काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है व उसका जनजीवन त्रस्त हो रहा है, लेकिन व्यापक जनहित का यह असली मुद्दा काफी दब सा गया है। इस सम्बंध में बी.एस.पी. की केन्द्र सरकार से पुरजोर माँग है कि वह पेट्रोल-डीजल की कीमतों को तुरन्त नियंत्रित करे व जनता को इससे लगातार हो रहे भारी नुकसान से राहत दे।
इसके साथ ही मायावती  ने कहा कि देश को ’’आत्मनिर्भर’’ बनाने की कोशिश अच्छी बात है, लेकिन इसके नाम पर केन्द्र व राज्य सरकारें जो भी योजनायें चला रही हैं वे पूरी निष्ठा, ईमानदारी व निष्पक्षता के साथ जमीन पर अमल में नहीं लाई जा रही हैं। लोगों का यह कहना है कि इसमें पक्षपात किया जा रहा है। इनका लाभ सर्वसमाज के गरीबों व अन्य अति-जरूरतमंद लोगों को सही से पूरा नहीं मिल रहा है, बल्कि जिस राज्य में जिस पार्टी की सरकार है वह अपने-अपने हिसाब से अपने लोगों को ही ज्यादातर इसका लाभ दे रही है। इस सम्बंध में यू.पी. से भी काफी शिकायतें मिल रही हैं जबकि इन योजनाओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लागू करने की सख्त जरूरत है। इन योजनाओं के केवल प्रचार करने व इन्हें लांच करने से काम नहीं चलेगा बल्कि इसको निष्पक्ष तौर पर जमीनी हकीकत में बदलना होगा, जिसके लिए इन योजनाओं की मानिटरिंग भी बहुत जरूरी है जिसकी व्यवस्था केन्द्र सरकार को जल्द से जल्द करनी चाहिए, यह बी.एस.पी. की माँग है।
साथ ही, इस सम्बन्ध में बीजेपी की केन्द्र व सभी राज्य सरकारों से भी बी.एस.पी. का यही कहना है कि कांग्रेस पार्टी की भरपूर वादाखिलाफी आदि के कारण उसके सत्ता से बाहर हो जाने से वे सबक सीखे तथा जो वायदा जनता से लगातार कर रहे हैं उसे पूरी निष्ठा व ईमानदारी से पूरा भी करें।
कोरोना महामारी के कारण लाॅकडाउन से हर तरफ हुई बंदी व तालाबन्दी से बेहाल, बेरोजगार व परेशान करोड़ों प्रवासी मजदूरों को उनके मूल राज्य में स्थानीय स्तर पर रोजगार देने का अपने वायदे को भी बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें आत्मनिर्भर अभियान के तहत् जरूर याद रखंे। केवल आत्मनिर्भर कहने व उसको प्रचारित करना काफी नहीं है, बल्कि उसके लिए बहुत मेहनत से काम करने की जरूरत है। वैसे भी यह जग-जाहिर है कि कांग्रेस पार्टी का केन्द्र व राज्यों में एकछत्र राज रहने के दौरान ही खासकर यू.पी. व बिहार आदि से लोगों को बड़े पैमाने पर रोजी-रोटी के लिए पलायन करना पड़ा था क्योंकि स्थानीय स्तर पर इनको सही से रोजगार देने की व्यवस्था कांगे्रसी पार्टी की सरकारें नहीं कर पाईं थीं और अब बीजेपी का दायित्व बनता है कि वह कांग्रेस पार्टी की गलतियों से सबक सीखे, उसके पदचिन्हों पर ना चले बल्कि सही सुधार लाकर खासकर देश के गरीबों व मेहनतकश जनता से किया गया अपना सभी जनहित का वायदा पूरी निष्ठा व ईमानदारी से निभाये।


 


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