कोरोना से पीड़ितों में लगभग 90 प्रतिशत लोग उपेक्षित वर्ग के हैं : मायावती


नई दिल्ली : बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जयन्ती पर मीडिया वार्ता में कहा कि आज देश के ख़ासकर करोड़ांे दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गाें के मसीहा व भारतीय संविधान के मूल निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती है जिनके अधूरे कारवाँ को पूरा करने के लिए आज के ही दिन यानि की 14 अप्रैल सन् 1984 को कांशीराम जी द्वारा बी.एस.पी. की विधिवत् स्थापना की गई थी और अब मैं आज इनकी अर्थात् बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के शुभ अवसर पर, इनको अपनी व पार्टी की ओर से तथा इनके अन्य सभी अनुयायियों की तरफ से भी, अपनी हार्दिक श्रद्धा-सुमन अर्पित करती हूँ जिन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी अनेकों दुःख तकलीफें उठाकर ख़ासकर यहाँ दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गाें के लोगों को भी स्वाभिमान के साथ अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए समर्पित की है, ऐसे महान् व्यक्तित्व की वर्तमान में अपने देश में भी फैले कोरोना वायरस व इसके बचाव में लगे सरकारी लाॅकडाउन की वजह से भी इस बार हमारी पार्टी के साथ-साथ, इनके अन्य तमाम् अनुयायी भी, इनकी जयन्ती ज्यादातर अपने घरों में ही रहकर मना रहे हंै, उन सभी का मैं पूरे तहेदिल से आभार प्रकट करती हूँ।
लेकिन इसके साथ ही यहाँ मैं इनके अनुयायियों को यह भी कहना चाहूँगी कि इस महामारी के चलते पूरे देश में ख़ासकर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित व गरीब लोगों की भी, जो हमें काफी दुर्दशा देखने के लिए मिली है तो उससे फिरसे अब यह बात काफी हद तक स्पष्ट हो जाती है कि इनके प्रति केन्द्र व राज्य सरकारों की भी, अभी तक भी ‘‘हीन व जातिवादी मानसिकता’’ पूरे तौर से बदली नहीं है।
और यह बात मैं बड़े दुःख के साथ आज इसलिए कह रही हूँ कि क्योंकि जैसे ही अपने देश में कोरोना वायरस की यह महामारी फैलनी शुरू हुई और केन्द्र सरकार ने इसको फैलने से रोकने के लिए पूरे देश की जनता को अपने घरों में ही रहने के लिए ‘‘लाॅकडाउन’’ की घोषणा की तो तब दिल्ली सहित अन्य और राज्यों में भी विशेषकर यू.पी., बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान आदि इन राज्यों से, वहाँ अपनी रोटी-रोजी कमाने के लिए गये इन वर्गाें के लोगों ने, अपने मालिकों की व राज्य सरकारों की भी, इनके प्रति उपेक्षा को देखते हुये तब फिर इन्होंने मजबूरी में अधिकांशः वहाँ से पलायन करके अपने-अपने इन मूल राज्यों में वापिस आना शुरू कर दिया था।
और यहाँ मैं यह भी बताना चाहूँगी कि ये पलायन करने वाले लगभग 90 प्रतिशत लोग अधिकांशः दलित, आदिवासी व अन्य पिछड़े वर्गाें’’ के ही थे व लगभग 10 प्रतिशत बाकी अन्य समाज में से गरीब लोग थे और जिन-जिन राज्यों से ये लोग पलायन करके अपने-अपने मूल राज्यों में वापिस जा रहे थे तो उन छोड़ने वाले राज्यों की सरकारों ने, इनके प्रति ‘‘अपनी हीन व जातिवादी मानसिकता’’ के चलते हुये ऐसे खराब हालात में भी इनको अपने मूल राज्यों में जाने से नहीं रोका और ना ही वहाँ उनके पलायन करने से पहले भी उनकी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश की गई जिसके कारण फिर इन पलायन करने वाले लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा, जो किसी से छिपा नहीं है।
इतना ही नहीं बल्कि इनको भेजने के लिए वहाँ कि सरकारों ने कोई उचित व्यवस्था तक भी नहीं की थी और ऐसी स्थिति में जब ये लोग बड़ी संख्या में अपने-अपने मूल राज्यों के लिए पैदल ही निकल पड़े, तो तब फिर उन राज्यों की सरकारों को इनसे कोरोना के वायरस फैलने की चिन्ता सताई तो तब फिर उसके बाद, इनको मजबूरी में उन्हें कुछ ट्रकांे व बसों आदि के जरिये उनके स्थानों पर भिजवाना पड़ा जहाँ इनसे इस बीमारी के फैलने के डर से उनको अभी तक भी अधिकांशः अलग ही रखा हुआ है।
इस प्रकार से अपने इन लोगों की आयदिन हो रही ऐसी दयनीय हालत् को देखते हुये आज मैं बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की जयन्ती के खास मौके पर अपने ऐसे सभी दुःखी व पीड़ित लोगों को यह कहना जरूरी समझती हूँ कि ‘‘यदि इन लोगों ने स्वाभिमान के साथ खुद अपने पैरों पर खड़े होने के लिए बाबा साहेब की बात मानी होती, साथ ही ये लोग जातिवादी व पूँजीवादी पार्टियों के बहकाये में नहीं आये होते तो आज हमें पूरे देश में इस फैली महामारी के दौरान् इनकी ऐसी खराब व दयनीय दुर्दशा देखने के लिए नहीं मिलती।
जबकि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने भारतीय संविधान के लागू होने के बाद अपने इन वर्गाें के लोगों को स्पष्ट तौर पर यह कहा था कि ‘‘मैंने काफी कड़े संघर्ष व अथक प्रयासों से, अपने इन वर्गाें के लोगों को, अर्थात् दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गाें के लोगों को जिन्दगी के हर पहलू में आगे बढ़ने व खुद के अपने पैरांे पर खड़े होने के लिए, भारतीय संविधान में कानूनी अधिकार तो दिला दिये हंै, जिसमें वोट देने का खास अधिकार भी शामिल है’’, लेकिन इनका पूरा लाभ लेने के लिए इन वर्गाें के लोगों को संगठित होकर व अपना एक अलग से राजनैतिक प्लेटफार्म, बनाकर इन्हें फिर खासकर केन्द्र व राज्यों की भी ‘‘राजनैतिक सत्ता की मास्टर चाबी’’ खुद अपने हाथों में ही लेनी होगी जिसकी तरफ अभी तक भी इन वर्गाें के लोगों का बराबर ध्यान नहीं जा रहा है जो यह काफी चिन्ता की भी बात है और फिर यह स्वाभाविक है कि ऐसे में इनकी हमेशा यही ‘‘दुर्दशा’’ बनी रहेगी, जैसे कि अभी हाल ही में देश में ‘‘लाॅकडाउन’’ लगने के बाद इनकी हमें काफी दुर्दशा देखने के लिए मिली है।
और इस मामले में वैसे इनको देश की राजधानी दिल्ली से भी काफी कुछ सीख लेने की जरूरत है जहाँ अभी हाल ही में विधानसभा के हुये आमचुनाव में खासकर ‘‘आम आदमी पार्टी’’ ने इन्हें किस्म-किस्म के प्रलोभन देकर इनका वोट तो ले लिया है और अपनी फिर से यहाँ सरकार भी बना ली है लेकिन यहाँ विशेष ध्यान देने की बात यह है कि इस जातिवादी व गरीब विरोधी ‘‘आम आदमी पार्टी’’ की सरकार ने इनकी इस मुश्किल की घड़ी में मदद करने की बजाए बल्कि इनको पर्दें के पीछे से खुद आनन्द बिहार बस अड्डे पर भिजवाकर इन्हें इनके मूल राज्यों में जाने के लिए मजबूर कर दिया 
लगभग यही स्थिति हमें इन लोगों की अन्य और राज्यों में भी देखने के लिए मिली है किन्तु इससे अब इन वर्गाें के लोगों को बहुत कुछ सबक सीखने की जरूरत है और अब वास्तव में इन्हें अपने-अपने खुद के मूल राज्यों में अपने पैरों पर खडे़ होने के लिए इन्हें वहाँ इधर-उधर भटकने की बजाए, बल्कि अपनी खुद की एक मात्र हितैषी, पार्टी ‘‘बी.एस.पी.’’ की ही सरकार बनानी होगी।
इसके साथ ही इन्हें फिर आगे चलकर केन्द्र में भी अपनी पार्टी की ही सरकार   बनानी होगी ताकि फिर इनको आगे कभी भी ऐसी अपमानजनक व दुर्दशा वाली स्थिति ना झेलनी पड़े और अब इसके लिए इनको मेरी यही खास सलाह है कि सबसे पहले इन सभी वर्गाें के लोगों को अपनी इस पार्टी के साथ पूरी ईमानदारी व निष्ठा से जुड़ना है तथा हर प्रकार से अपनी पार्टी को मजबूत भी बनाना है जो यह पार्टी बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के अधूरे कारवाँ को पूरा करने के लिए पूरे जी-जान से लगी है हालाँकि इस पार्टी को   कमजोर करने के लिए आयदिन यहाँ विरोधी पार्टियाँ ‘‘साम, दाम, दण्ड, भेद’’ आदि अनेकों हथकण्डों का भी काफी इस्तेमाल कर रही है जिनसे भी इन सभी वर्गों के लोगों को हमेशा सावधान रहना है।
इतना ही नहीं बल्कि अब तो विरोधी पार्टियाँ पर्दें के पीछे से हमारे लोगों में से ही कुछ स्वार्थी किस्म के लोगों को इस्तेमाल करके व उनके जरिये अनेकों संगठन व पार्टियाँ आदि भी बनवाके इनके वोटों को बांटने का भी पूरा-पूरा प्रयास कर रही हैं ताकि ये लोग कभी भी सत्ता पर काबिज नहीं हो सकंे और हमेशा इनके ‘‘गुलाम व लाचार’’ ही बने रहें जबकि इस मामले में, यहाँ खास ध्यान देने की बात यह है कि बाबा साहेब ने इन वर्गांे के हितांे के लिए कभी भी अपने ईमान को नहीं बेचा है और अपने बड़े-बड़े से ओहदे’ (पद) तक को भी इन्होंने कुर्बान कर (ठुकरा) दिया है और इस बात के अनेकों सबूत हैं जिनसे प्रेरणा लेकर, इनके अनुयायियों को अपनी पार्टी की मूवमेन्ट को आगे बढ़ाना है और इन्हें सत्ता तक पहुँचकर फिर अपनी सभी समस्याओं का समाधान खुद ही करना है।
अर्थात् इसके लिए इनको दूसरों से मांगने वाला नहीं बल्कि खुद देने वाला समाज ही बनना है और यह बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का अपने लोगों के लिए मूल मन्त्र भी था। मुझे पूरी उम्मीद है कि देश में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गाें व गरीबों तथा मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी व बौद्ध आदि इन सभी समुदायों में से, जो लोग अभी तक भी इधर-उधर भटके हुये है तो वे लोग, बाबा साहेब के इस मूल-मन्त्र पर अमल करते हुये अपनी ‘‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’’ की पार्टी को ही अर्थात्    बी.एस.पी. को ही सभी स्तर की सत्ता में जरूर लायेंगे और यही इनकी आज बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जयन्ती के शुभ अवसर पर इनके प्रति सच्ची श्रद्धा भी होगी।
इन्हीं जरूरी बातों के साथ ही अब मैं  पुनः बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की जयन्ती के मौके पर भी अपनी पार्टी के सभी जनप्रतिनिधियों व सामथ्र्य लोगों से भी यह अपील करती हूँ कि वे इस समय पूरे देश में कोरोना वायरस की मार झेल रहे जरूरतमन्द लोगों की बराबर मदद करते रहें। हालाँकि अभी तक अच्छी बात यह रही है कि इस मामले में ये लोग शुरू से ही मेरी हर अपील पर इनकी हर सम्भव पूरी-पूरी मदद करते रहे हैं  और इसी प्रकार ये लोग जरूरतमन्द लोगों की आगे भी जरूर मदद करते रहेंगे जब तक यह बीमारी देश में (यहाँ) पूरे तौर से खत्म नहीं हो जाती है, ऐसी मैं उनसे उम्मीद भी करती हूँ।
 इसके साथ-साथ, इस महामारी से बचने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा भी समय-समय पर जो भी जरूरी दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं और सम्भव है कि अभी आगे और भी जरूरी दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे तो उन पर भी हमारी पार्टी के लोग, जरूर अमल करेंगे।
इसके साथ ही, हमारी पार्टी का यह भी कहना है कि कोरोना वायरस के प्रकोप की वजह से देश में जारी लाॅकडाउन की हर स्तर पर गहन समीक्षा करके व व्यापक जनहित का भी पूरा ध्यान रखकर यदि केन्द्र सरकार कुछ शर्तों के साथ भी इसे और आगे बढ़ाने का कोई आज फैसला लेती है, तो बी.एस.पी.  इसका समर्थन व पूरा स्वागत भी करेगी। लेकिन यहाँ हमारी पार्टी का यह भी कहना है कि ऐसे समय में, केन्द्र सरकार को खासकर देश के गरीबों, कमजोर तबकों, मजदूरों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों आदि के हितों का तथा इनकी पूरी मदद का भी जरूर ध्यान रखना चाहिये। 
और इस मामले में ख़ासकर यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगी कि हमें ज्यादातर लोगों की यह भी शिकायतें मिल रही हंै कि जिनके पास कोई राशन कार्ड आदि नहीं है तो उन्हें अभी तक राशन भी नहीं मिल पा रहा है। सरकार को इसका जल्दी ही कोई ना कोई हल जरूर निकालना चाहिये, वरना ये लोग कोरोना से कम बल्कि भूखे रहकर ज्यादा मर जायेंगे।
इसके साथ ही जो लाखों गरीब व मजदूर लोग पैसा खत्म होने व वहाँ कि सरकारों की अनदेखी करने की वजह से मजबूरी में अपने-अपने राज्यों को निकल पड़े थे तो अब वो ज्यादातर बीच में ही अटके पड़े हंै। उन्हें एक वक्त का भी पूरा पेट भरके खाना नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे लोगों की भी समस्या का सरकार को जल्दी ही कोई ना कोई सार्थक हल जरूर निकालना चाहिये ताकि ये लोग सुरक्षित अपने-अपने घरों में पहुँच सकें और वहाँ भी सरकार को इनकी कुछ ना कुछ आर्थिक मदद भी जरूर करनी चाहिये  वरना इससे आगे चलकर स्थिति काफी बदत्तर हो सकती है। इसलिए सरकार को इन सब मामलों में भी बहुत जल्दी ही कुछ ठोस कदम उठाने चाहिये। यह भी सरकार से अपील है।
इतना ही नहीं बल्कि इस महामारी से  जूझने वाले सभी डाक्टरों, नर्सों, सफाई व पुलिसकर्मियों तथा अप्रत्यक्ष तौर पर ऐसी देश सेवा में लगे अन्य सभी लोगों के हर  प्रकार के बचाव व उनकी पारिवारिक सुरक्षा आदि के लिए भी केन्द्र व राज्य सरकारों को काफी गम्भीरता व तत्पर दिखना चाहिये और इनसे सेवा ले रही जनता को भी इनके सम्मान का पूरा ध्यान रखना चाहिये। ताकि इनकी हौंसला अफजाई होती रहे और फिर ये लोग अपनी ड्यूटी पर पूरी जी-जान से लगे (डटे) रहे।
अन्त में, मैं बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के अनुयायियों से व खासकर     बी.एस.पी. के लोगों से भी यह अनुरोध करती हूँ कि वे कोरोना महामारी के चलते, आज यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उनका कोई भी पड़ोसी भूखा नहीं रहना चाहिये और वे अपने खुद के भोजन में से उनके लिए भी थोड़े भोजन आदि की व्यवस्था जरूर करेंगे। इस उम्मीद के साथ ही, अब मैं पुनः बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को अपने हार्दिक श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुये अपनी बात यहीं समाप्त करती हूँ। जय भीम, जय भारत


 


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