जीवन के रोडमैप में कृषि के छात्रों-युवाओं का अच्छा किसान बनना जरूरी- तोमर

 


अपने क्षेत्र के लोगों को खेती के लिए प्रेरित करे विद्यार्थी, सेवानिवृत्त कर्मचारी भी करें खेती जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने 8 जोन में बड़ी कांफ्रेंस करने की मंत्रालय की तैयारी


पूसा कृषि विज्ञान मेले की तर्ज पर विभिन्न जोन में आयोजित किए जाएंगे अलग-अलग मेले


नई दिल्ली।केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय स्तर के पूसा कृषि विज्ञान मेला-2020 का रविवार को शुभारंभ किया। इस अवसर पर श्री तोमर ने कहा कि जीवन के रोडमैप में कृषि के छात्रों-युवाओं काअच्छा किसान बनना जरूरी है। ये विद्यार्थीअपने-अपने क्षेत्र के लोगों को खेती के लिए प्रेरित करे, साथ ही कृषि विभाग के हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारी-अधिकारी भी यदि खेतीकरें तो कृषि के क्षेत्र में काफी सकारात्मक बदलाव आ सकता है। श्री तोमर ने बताया कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए देश के 8 जोन में बड़ी कांफ्रेंस करने की मंत्रालय की तैयारी है, साथ ही पूसा कृषि विज्ञान मेले की तर्ज पर विभिन्न जोन मेंअलग-अलग मेले आयोजित करने के लिए भी उन्होंने अधिकारियों को कहा है।


मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने फीता काटकर इस वृहद मेले का शुभारंभ किया। इस अवसर पर विशेष अतिथि- राज्यमंत्री श्री परषोत्तमरूपाला व श्री कैलाश चौधरी भी मौजूद थे। तीनों मंत्रियों ने मेले में लगे स्टालों का अवलोकन किया तथा किसानों से भी रूबरू हुए। कृषि क्षेत्र के कुंभ माने जाने वाले इस मेले की इस साल की थीम हैं- सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु पूसा संस्थान की कृषि प्रौद्योगिकियां। मेले में देशभर से हजारों किसान शामिल हुए हैं।


शुभारंभ समारोह में श्री तोमर ने कहा कि कृषि का क्षेत्र हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। हानि हो या लाभ, कृषि किसानों के लिए आवश्यक ही हैl कृषि की तरफ़ लोगों के कम आकर्षण पर चिंताजताते हुए उन्होंने कहा कि पैसा प्रचुर मात्रा में होने पर भी यदि खाद्यान्न नहीं है तो पैसे से ख़रीदेंगे क्याय़ऐसे में पैसे के साथ खेती में लगाव भी ज़रूरी हैl खेती लाभ का कार्य बने, इसके प्रति लगाव निरंतर बना रहे, खेती उत्कृष्ट बने, देश की आवश्यकता पूरी करे औरनिर्यात बढ़े, यह कृषि से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी है l 


उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ समय में कृषि के क्षेत्र में नए आयाम प्राप्त हुए हैंl इस सक्षमता में किसानों के परिश्रम, वैज्ञानिकों के अनुसंधान व सरकार की कृषि हितैषी योजनाओं का योगदान हैl उन्होंने इस प्रकार के मेलों के आयोजन को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि मेलों में किसानों को फसलों की उन्नत क़िस्मों, नए बीजों और आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी मिलती हैl कृषि शिक्षा और इसके महत्व की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि विद्यार्थी एक अच्छा कृषक बने और अपने क्षेत्र के लोगों को भी खेती के लिए प्रेरित करें। इसके लिए कृषि शिक्षक, वैज्ञानिक सभी विद्यार्थियों के जीवन में रोडमैप बनाकर उन्हें एक उन्नत किसान बनने हेतु प्रेरित करेंl उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने कृषि शिक्षा में पेस्टीसाइड का विषय जोड़ने के निर्देश दिए है।


उन्होंने कहा कि कृषि विभाग के हजारों अनुभवी सेवानिवृत लोगों की ऊर्जा यदि खेती में लगे तोखेती के क्षेत्र में शीघ्र ही सकारात्मक परिवर्तन आएँगेl इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने ऐसे लोगों का सम्मेलन करने के लिए अधिकारियों से कहा है। किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने हेतु प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने खेती-किसानी को सबसे प्राथमिकता पर रखा है। इसके तहत एमएसपी लागत का डेढ़ गुना करना, पीएम किसान के तहत किसानों को 6,000 रू. की वार्षिक सहायता देना, किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को ऋण देना सुनिश्चित किया गया हैl साथ ही खेती को प्रोत्साहित करने हेतु भरपूर बजटीय प्रावधान किया गया है।


श्री तोमर ने बताया कि खेती के सामने भौगोलिक क्षेत्र और मौसम की चुनौतियों से निपटने के लिए कृषि अनुसंधान परिषद् निरंतर उन्नत क़िस्मों पर अनुसंधान कर रहा है। इसके अतिरिक्त भविष्य में इन चुनौतियों से निपटने के लिए देश के आठ ज़ोन में तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित करने को कहा गया है, जिसमें भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए अग्रिम तैयारी की जाएगी।किसान कल्याण के मद्देनज़रपीएम किसान के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड दे रहे है। पीएम किसान के माध्यम से मात्र एक साल में ही 8 करोड़ 52 लाख किसानों को 50 हज़ार करोड़ रू. दिए गए हैं। मोदी सरकार बिचौलियों को समाप्त करते हुए पारदर्शिता से काम कर रही है, अब पूरे 100 के 100 रू. नीचे तक पहुंच रहे हैं।


चित्रकूट में प्रधानमंत्री जी ने 10 हज़ार किसान उत्पादक संगठन की योजना लांच की है। किसानों व अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि ये FPOs विश्वसनीय और सशक्त बने, जिससे किसानों की आमदनी और कृषि उत्पादन बढ़ाने में इनका सहयोग मिले, ताकि देश की जीडीपी में कृषि का योगदान बढ़े। सरकार द्वारा प्रति FPO 15 लाख रू. की सहायता दी जाएगी, इसके लिए 6600 करोड़ रू. का आवंटन बजट में किया गया है। इन्हें क्रेडिट उपलब्ध करवाने हेतु डेढ़ हज़ार करोड़ रू. का क्रेडिट गारंटी फंड नाबार्ड व एनसीडीसी के साथ मिलकर बनाया गया है। 


समारोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री परषोत्तमरूपाला ने सुझाव दिया कि इस तरह के मेलों का आयोजनहर प्रांत में किया जाना चाहिए। उन्होंने कृषि संस्थानों व वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि सही क्वालिटी के बीज उचित दाम पर किसानों को उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें।


केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री  कैलाश चौधरी ने कहा कृषि उत्पादन बढ़ाने व कृषि में तकनीक का समावेश करने में पूसा संस्थान वआइसीएआर का योगदान है। सरकार भी किसान हित में अनेक योजनाएं चलारही हैं। किसान ऋणलेने वाला नहीं, वरन देने वाला बने। श्री तोमर ने संस्थान के प्रकाशनों, स्मारिका तथा पत्रिका का विमोचन भी किया। समारोहमें आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र तथा श्री टी.आर. शर्मा, श्री अशोक कुमार सिंह, श्री ए.के. सिंह ने भी संबोधित किया। श्री जे.पी. शर्मा ने आभार माना।


 


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