साझे मूल्यों पर आधारित भारत और कनाडा के संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण रहे हैं: लोक सभा अध्यक्ष
कैंप टोरंटो (कनाडा) : लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला के नेतृत्व में राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के 25वें सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा की यात्रा पर गए भारतीय संसदीय शिष्टमंडल ने आज ओंटारियो (कनाडा) की लेजिस्लेटिव असेम्बली के स्पीकर, माननीय टेड आरनोट से भेंट की ।
इस अवसर पर श्री बिरला ने कहा कि साझे मूल्यों और बहुलतावादी संस्कृति पर आधारित होने के कारण भारत और कनाडा के संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण रहे हैं और बढ़ते हुए आर्थिक सहयोग, नियमित उच्च स्तरीय दौरों और दोनों देशों की जनता के बीच परस्पर संपर्क से ये संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं । श्री बिरला ने कनाडा-भारत संसदीय मैत्री दल की स्थापना का स्वागत करते हुए कहा कि चूंकि दोनों देशों की जनता संसदीय संस्थाओं के कार्यकरण पर भरोसा करती है, इसलिए इस कदम से न केवल दोनों देशों के विधानमंडलों के बीच संसदीय सहयोग बढ़ेगा, बल्कि इसके माध्यम से विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान से संसदीय लोकतंत्र के कार्यकरण के बारे में समझ भी बढ़ेगी । भारत और कनाडा अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में साथ मिलकर काम कर रहे हैं ।
यह टिप्पणी करते हुए कि भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी करने की बहुत संभावनाएँ हैं, श्री बिरला ने इस बात पर खुशी ज़ाहिर की कि कनाडा की कई कंपनियाँ भारत में नियमित रूप से निवेश कर रही हैं और 400 से अधिक ऎसी कंपनियों ने इस समय भारत में निवेश किया हुआ है । उन्होंने आगे कहा कि भारत विदेशी निवेश को बढ़ावा देने में तेजी से विकसित हो रही अग्रणी अर्थव्यवस्था है तथा भारतीय सरकार की व्यापार अनुकूल नीतियों, करों की दरों में कटौती और 'एक राष्ट्र, एक कर' की नीति लागू करने के कारण अर्थव्यवस्था पर व्यापार जगत का भरोसा और भी बढ़ा है ।
श्री बिरला ने कहा कि हालांकि कनाडा में अनेक संस्कृतियों, क्षेत्रों और भाषाओं के लोग रहते हैं फिर भी वहां भारत की ही तरह 'अनेकता में एकता' है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के 1. 6 मिलियन लोगों ने कारोबार, व्यापार, उद्योग जैसे हरेक क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है और हमारी संयुक्त सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण किया है ।
श्री बिरला ने आशा व्यक्त की कि इस यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्ध और मजबूत होंगे तथा भारत और कनाडा के बीच साझे संसदीय मूल्यों और परम्पराओं के साथ-साथ सांस्कृतिक, बौद्धिक और व्यापारिक साझेदारी भी बनी रहेगी । उन्होंने माननीय टेड आरनोट को न्यौता दिया कि वह भारत आकर यह देखें कि भारत की संसदीय संस्थाएं किस प्रकार लगभग 1.3 बिलियन लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जुटी हुई हैं ।