राजस्थान के हिस्से का जी.एस.टी. और सी.एस.टी. के तहत क्षतिपूर्ति का करीब 8000 करोड जारी करे केंद्र सरकार - सुभाष 





नई दिल्ली । राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के प्रतिनिधि के तौर पर सूचना एवं जनसम्पर्क राज्यमंत्री श्री सुभाष गर्ग ने 6 राज्यों के वित्त मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के प्रतिनिधियों के साथ आज बुधवार को नई दिल्ली के नार्थ ब्लॉक में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण के साथ बैठक कर जीएसटी के तहत क्षतिपूर्ति की बकाया राशि से संबंधित मांगों का ज्ञापन सौंपा।
उन्होंने बताया कि हमने केंद्रीय वित्त मंत्री से मांग रखी है कि राजस्थान के हिस्से का जीएसटी के तहत क्षतिपूर्ति का केंद्र सरकार पर बकाया चार हजार करोड़ तथा सीएसटी के तहत बकाया अन्य चार हजार करोड रुपए की क्षतिपूर्ति की राशि (कुल आठ हजार करोड़) को जल्द से जल्द जारी किया जाए ताकि राजस्थान को हो रहे वित्तीय नुकसान की भरपाई की जा सके।
उन्होंने बताया कि राजस्थान के हिस्से का केंद्र सरकार पर जीएसटी के तहत क्षतिपूर्ति का सितंबर 2019 तक 3,129 करोड़ रुपया बकाया है तथा यह राशि अक्टूबर-नवंबर को मिलाकर करीब 4000 करोड़ रुपए हो गई है। जिसके तुरंत रिलीज करने की मांग रखी गई है। इसी तरह केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) के तहत क्षतिपूर्ति का केंद्र सरकार पर बकाया 4000 करोड रुपए की राशि को भी जल्द से जल्द जारी करने की मांग की है।
केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ बैठक के बाद श्री गर्ग ने बताया कि जब से जीएसटी लागू किया गया है तब से जीएसटी के कानून में यह प्रावधान है कि जीएसटी लागू होने के बाद यदि राज्यों के राजस्व में क़ोई गिरावट होती है तो केंद्र सरकार ने गारंटी दी हुई है कि जो रेवेन्यू का नुकसान राज्यों को होगा उसके अगेंस्ट 14 प्रतिशत गारंटेड रेवेन्यू ग्रोथ केंद्र सरकार देगी। इसी गारंटेड रेवेन्यू के तहत मिलने वाली क्षतिपूर्ति का केंद्र सरकार पर जी.एस.टी. के तहत अब तक 4000 करोड रुपए बकाया हो चुका है।
श्री गर्ग ने बताया कि केंद्र सरकार के पास 'सेस' लगाने से जो आय होती है उससे केंद्र सरकार के पास करीब 50 हजार करोड रुपए इकट्ठा हो चुका है। बावजूद इसके अभी तक केंद्र सरकार ने किसी भी राज्य को जीएसटी के लागू करने से जो रेवेन्यू का नुकसान हुआ है उसकी क्षतिपूर्ति की कोई राशि जारी नहीं की है इसलिए आज 6 राज्यों के वित्त मंत्रियों और संबंधित मुख्यमंत्रियों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री को ज्ञापन सौंपकर राज्यों की वित्तीय समस्याओं से विस्तार से अवगत करवाया है।
श्री गर्ग ने कहा कि राज्यों की उधारी की लिमिट भी काफी बढ़ चुकी है वही राज्यों के पास कमाई के संसाधन भी कम है। राज्य जीएसटी लगने के बाद केंद्र सरकार पर काफी निर्भर हो चुके हैं ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द एक तो जीएसटी के तहत बकाया पैसा रिलीज किया जाए तथा जीएसटी के तहत जो कलेक्शन हो रहा है उसमें से केंद्र राज्यों का बकाया पैसा समय पर राज्यों को हस्तांतरित करें ताकि राज्य अपने वित्तीय कार्य ठीक से कर सकें।
केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) के बारे में बताते हुए श्री गर्ग ने कहा कि जब जीएसटी लागू किया गया था तब सीएसटी का रेट 4 परसेंट था उसे घटाकर 3 परसेंट किया गया फिर 2 परसेंट कर दिया गया उस वक्त राज्यों से केंद्र सरकार द्वारा यह कहा गया था कि टेक्स रेट कम करने से राज्यों को रेवेन्यू का जो नुकसान होगा उसकी क्षतिपूर्ति की जावेगी परंतु सीएसटी से होने वाले इस रेवेन्यू नुकसान की क्षतिपूर्ति राज्यों को अभी तक नहीं की गई है इसी के तहत राजस्थान का अभी तक केंद्र पर करीब 4000 करोड रुपए बकाया है जिसे केंद्र सरकार जल्द से जल्द जारी करने की मांग की गई है।
    श्री गर्ग ने कहा कि राजस्थान ऐसा राज्य है जहां भौगोलिक परिस्थितियां काफी विकट है राज्य का काफी हिस्सा रेगिस्तान का है तथा आए दिन अकाल से दिक्कतें होती हैं कई बार बाढ़ भी आ जाती है। सरकार पर लगातार सामाजिक जिम्मेदारियां बढ़ रही हैं वेलफेयर स्कीम्स पर राजस्थान सरकार बहुत संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है ऐसे में राजस्थान सरकार को वित्तीय संसाधनों की बहुत ज्यादा जरूरत है, जिस पर केंद्र सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए , विशेषकर ऐसी परिस्थितियों में जब जीएसटी के कलेक्शन की रेट राजस्थान की बहुत बेहतर है।
उन्होंने बताया कि जीएसटी के कलेक्शन को लेकर राजस्थान का प्रदर्शन बहुत बेहतर है। केंद्रीय स्तर पर की जीएसटी की संपूर्ण कलेक्शन रेट 3.72 परसेंट है वहीं राजस्थान की कलेक्शन ग्रोथ रेट 14 से 15 प्रतिशत के करीब है इसके बावजूद राजस्थान को केंद्र सरकार द्वारा कोई विशेष आर्थिक सहयोग नहीं दिया जा रहा है। श्री गर्ग ने मांग रखी कि ऐसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों को तो अतिरिक्त वित्तीय सहयोग केंद्र सरकार द्वारा दिया जाना चाहिए।
अन्य प्रमुख मांगों का जिक्र करते हुए श्री गर्ग ने कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच स्वास्थ्य वित्तीय संबंधों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्तर पर एक “ग्रीवेंसेज मैकेनिज़्म“ डिवेलप किया जाना चाहिए ताकि केंद्र - राज्यों के वित्तीय संबंधों को लेकर राज्यों की जो शिकायत और जरूरत होती है उनको इस स्तर पर बेहतर तरीके से सकारात्मकता के साथ सुना और सुलझाया जा सके।
श्री गर्ग ने बताया कि हमने केंद्रीय वित्त मंत्री से जीएसटी काउंसिल में वाइस - चेयरमैन की नियुक्ति किए जाने की भी मांग रखी है। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल में वाइस चेयरमैन की नियुक्ति से केंद्र राज्यों के बीच मजबूत एवं स्वस्थ वित्तीय संबंध तथा काउंसिल में राज्यों को प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने हमारी मांगों पर जल्द से जल्द पैसा रिलीज करने का भरोसा दिया है तथा कहा है कि राज्यों की वित्तीय हालात को देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय जल्द ही इन सभी विषयों पर विचार-विमर्श करके राज्यों के बकाया क्षतिपूर्ति की राशि को रिलीज करने की दिशा में कारगर कदम उठाएगा।



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