“प्राचीन क्रिया योग आज के मानव के लिए अधिक प्रासंगिक है” - स्वामी चिदानंद गिरि

 “आज की दुनिया में स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए जिस कौशल की नितांत आवश्यकता है – खासकर उन लोगों के लिए जो आध्यात्मिक आदर्शों वाले हैं – वह यह जानना है कि कैसे हम स्वयं को भौतिकवाद से विषाक्त वर्तमान परिवेश से बचा कर रख सकते हैं।” ये शब्द स्वामी चिदानंद जी ने रविवार को मुंबई में स्थित भारतीय क्रीड़ा मंदिरमें एकत्र 2000 से भी अधिक श्रोताओं को संबोधित करते हुए अपने सत्संग में कहा।


स्वामी चिदानंद गिरि योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया और सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप के आध्यात्मिक प्रमुख और अध्यक्ष हैं। इन दो संस्थाओं के संस्थापक श्री श्री परमहंस योगानंदहैं, जो सुविख्यात आध्यात्मिक गौरव ग्रंथ, “आटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी” के लेखकके रूप में विश्व-भर में प्रसिद्ध हैं। स्वामी चिदानंदजी वर्तमान में भारत का दौरा कर रहे हैं और नोएडा तथा हैदराबाद में कार्यक्रम करने के बाद अभी वे मुंबई में आए हुए हैं।


मुंबई के वडाला में स्थित योगदा सत्संग ध्यान केंद्र-मुंबई द्वारा आयोजित इस तीन-दिवसीय कार्यक्रम में 1500 सेभी अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का समापन सत्संग,10 नवंबर, 2019 को हुआ जिसमें संस्था के अध्यक्ष ने “आज की दुनिया में क्रिया योग की उपोयोगिता और प्रासंगिकता” के विषय पर सार्वजनिक सत्संग दिया। सभा मेंयोगदा सत्संग के उपाध्यक्ष, स्वामी स्मरणानन्द,महासचिव, स्वामी ईश्वरानंद के अलावा कई अन्य संन्यासी गण, भक्त और अतिथि भी उपस्थित थे।


आज के भौतिकवादी दुनिया में एक आध्यात्मिक जीवन जीने की कोशिश कर रहे व्यक्ति के सामने आने वाली चुनौतियों को जानते हुए, स्वामी चिदानंदजी ने इन साहसी लोगों को यह परामर्श दिया:


“अपने सर्वोच्च हित के लिए हमें यह जानना ज़रूरी है कि कृत्रिम जीवन शैली से उत्पन्न “अ-स्वास्थ्य” से हम स्वयं को कैसे मुक्त करें ताकि हम वास्तविक शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकें। भौतिकता प्रधान सभ्यता के कारण हम यह भूल जाते हैं कि आध्यात्मिक चेतना में रोग-मुक्ति और कष्ट-निवारण के असंख्य साधन छिपे हुए हैं। जैसा कि परमहंस योगानन्दजी ने कहा: “ जब हम मानव व्यक्तित्व के सम्पूर्ण स्वरूप को समझ पाते हैं, तब हम में यह ज्ञान जागृत होता है कि मानव केवल एक भौतिक प्राणी मात्र नहीं है। उसके भीतर ऐसी अनेक क्षमताएँ हैं जिनकी शक्ति को वह न्यूनाधिक मात्रा में इस संसार की परिस्थितियों के साथ स्वयं को अनुकूल बनाने के लिए प्रयोग में लाता है। एक साधारण व्यक्ति इन क्षमताओं के बारे में जो अनुमान लगा पाता है, उससे कहीं अधिक इनकी शक्ति होती है।“


परमहंस योगानन्दजी की योग प्रणाली, जो कि क्रिया योग मार्ग है, की रूपांतरकारिणी शक्ति को इंगित करते हुए, स्वामीजी ने कहा: “क्रिया योग विज्ञान यह सिखाता है कि मनुष्य का स्नायु तंत्र (nervoussystem) हमारे भौतिक अस्तित्व और आध्यात्मिक क्षमता, दोनों को व्यक्त करने का एकमात्र साधन है। यह स्नायु तंत्र अवरोध भी बन सकता है या द्वार भी। यह हम पर निरभर करता है कि हम इस काप्रयोग कैसे करते हैं। परमहंस योगानन्द जी द्वारा सिखाये गये क्रिया योग ध्यान तथा संतुलिन आध्यात्मिक जीवन शैली के दैनिक अभ्यास और साधना द्वारा हम अपनी इंद्रियों, स्नायुओं, भावनाओं, और सम्पूर्ण चेतना को निर्मल बना सकते हैं और इस तरह दिव्य जीवन के आनंदमय उच्चतर आयामों के प्रति उन सब को ग्रहणशील और समस्वर बना सकते हैं, जिससे कि न केवल हम अपने जीवन का उत्थान कर पाते हैं, बल्कि उन सबको भी प्रभावित करते हैं जो हमारे संपर्क में आते हैं।“


स्वामी जी का प्रवचन, योगदा सत्संग सोसाइटी और सेल्फ-रियलाइज़ेशन फेलोशिप के गुरु और संस्थापक,परमहंस योगानंदजी की शिक्षाओं पर आधारित था। इन संस्थाओं को योगानन्दजी ने अपनी क्रिया योगकी शिक्षाओं को विश्व-भर में प्रसारित करने के लिए स्थापित किया था। योगदा सत्संग सोसाइटी ने 2017 में अपना शताब्दी वर्ष और 2018 में परमहंस योगानंद के जन्म की 125 वीं वर्षगांठ मनाई।


दो दिन पहले, शुक्रवार 8 नवंबर 2019 को स्वामी चिदानंदजी ने योगदा सत्संग द्वारा प्रकाशित कई सारे प्रकाशनों का विमोचन किया था। उनमें से एक था: आटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी (योगी कथामृत) के मलयालम रूपान्तरण का आडिओ-बुक। इस आडिओ-बुक का निर्माण भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अनुदान द्वारा किया गया था। इस आडिओ-बुक को कोई भी व्यक्ति इस वैबसाइट लिंक पर जाकर फ्री डौन्लोड कर सकता है: https://yssofindia.org/audiobook/aymalayalam.php


इसके अलावा यहाँ परमहंस योगानन्दजीद्वारा लिखित धर्म-विज्ञान के गुजराती रूपान्तरण का भी विमोचन हुआ।


ज्ञात हो कि आटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी का अनुवाद 52 भाषाओं में हो चुका है, अर्थात, विश्व के 95% लोग इस पुस्तक को अपनी मातृ-भाषा में पढ़ सकते हैं।


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