जय श्रीराम के नारों के उद्घोष से प्रारंभ हुई भगवान श्रीराम की बारात शोभा यात्रा

श्रीराम मित्र मण्डल नोएडा द्वारा आयोजित रामलीला मंचन सेक्टर-62  के चौथे दिन भगवान श्रीराम की बारात शोभा यात्रा सेक्टर 20  के हनुमान मंदिर से संजयशर्मा प्रबंध निदेशक टाइम्स न्यूज, एस एम गुप्ता, सुधीर पोरवाल, संदीप पोरवाल, रंजीव गुप्ता, सुधीर पोरवाल, चक्रपाणी गोयल,  के संयोजन मे बड़े धूम धाम से निकाली गयी। जय श्रीराम के नारों के उद्घोष से प्रारंभ हुई।


सेक्टर 20 से निकली भगवान श्रीराम की बारात में शहर के सभी धर्मों के लोगों ने शामिल होकर सामाजिक समन्वय की अनूठी मिसाल पेश की । सैकङों की संख्या में मौजूद लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगा कर वाता वरण को राममय कर दिया। बेंड बाजे के साथ निकली राम बारात का जगह जगह फूल मालाओं के साथभव्य स्वागत किया गया । भगवान गणेश  , राजा दशरथ ,राम, लक्ष्मण ,भरत ,शत्रुघ्न ,ऋषि वशिष्ठ एवं अन्य राजा अपने अपने रथों एव घोड़ों पर सवार होकर निकले। बारात सेक्टर 26, 27, 19, हरौला सेक्टर 5, 9,11,12,22,55,56  होते हुए रामलीला स्थल पहुंची इस दौरान सेक्टर 26 पर बारात का स्वागत वरिष्ठ सपा नेता अशोक चौहान, विकास तिवारी-रागिनी पोरवाल, राजीव जैन सेक्टर9, आई -70, सेक्टर 5 पर अध्यक्ष धर्मपाल गोयल एवं मुकेश गोयल ,मुकेश गर्ग, राजनरायन पोरवाल हरौला, कलम कुमार इलेक्ट्रा, आत्माराम अग्रवाल सेक्टर 9, राकेश गुप्ता स्वानी फर्नीचर, प्रदीप अग्रवाल, पवन गोयल मेट्रो हॉस्पिटल सेक्टर 11, आशीष  , रंजीत गुप्ता सेक्योर 56, सतनारायण गोयल सेक्टर 55, श्याम लाल, आरडब्लूए सेक्टर 55, ओर मनोज गुप्ता एडवोकेट द्वारा विभिन्न स्थानों पर बारात का स्वागत किया गया । रामलीला स्थल पर बारात का जनक का किरदार निभा रहे  श्रीराम मित्र मंडल नोएडा के महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा एवं कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा भव्य स्वागत किया गया ।तत्पश्चात मुख्य अतिथि कथा वाचक पंडित रामअवतार शास्त्री द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ लीला का शुभारंभ हुआ। इसके उपरांत चारमंडपों में श्रीराम जानकी सहित चारों भाइयों का विधि विधान से विवाह संपन्न होता है। विवाह के पश्चात राजा जनक से अयोध्या नगरी वापस जाने की आज्ञा माँगने पर राजा जनक की आखों से अश्रु छलक पड़ते हैं। जानकी विदाई का मार्मिक मंचन किया गया जिसमे जानकी विदाई के समय राजा जनक की हृद यवय्था का मार्मिक मंचन किया गया। राजा दशरथ गुरू वशिष्ठ जी से कहते हैं कि मेरी एक अभिलाषा हैं कि राम को युवराज पद दे दिया जाये यह सुनकर मुनि वशिष्ठ अति प्रसन्न हुए। राजा ने अपने मंत्री और सेवकों को बुलाकर पूछा अगर आप लोगों को अच्छा लगे तो राम का राजतिलक कर दिया जाये।  राम के राज तिलक की बात सुनकर सभी अयोध्यावासी खुशी से झूम उठते हैं और गाते हैं । उधर देवता सोचते हैं कि अगर राम को वनवास नहीं होता हैं तो निशाचरों का नाश कैसे होगा  इसके लिए उन्होंने सरस्वती जी से प्रार्थना की और सरस्वती कैकेयी की दासी मंथरा की बुद्धि  फेर देती हैं। मंथरा कैकेयी को समझाती हैं कि इस राजतिलक में सिर्फ राम का भला है । भरत को कुछ नहीं मिलेगा। कैकेयी कोप भवन में चली जाती हैं और जब राजा दशरथ कैकेयी से कोप भवन में जाने का कारण पूछते हैं तो वह राजा को पहले दिये गये उनके वचन को याद दिलाती है कि समय आने पर दो वरदान मांग लेना, मैं पहला वरदान भरत को राज व दूसरा रामको 14 वर्ष का वनवास मांगती हूँ। राजा के समझाने के बावजूद कैकेयी नहीं मानती तो यह सुनकर दशरथ हेराम हेराम कहते हुए मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ते हैं। इसी के साथ पांचवे दिन की रामलीला मंचन का समापन होता है।


श्रीराम मित्र मंडल के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार गर्ग ने बताया  04 अक्टूबर को राम वन गमन, राम -केवट संवाद, भरत-कैकई संवाद, सुपर्णखा प्रसंग, खरदूषण वध आदि प्रसंगों का मंचन किया जायेगा। इस अवसर संस्थापक अध्यक्ष बी0पी0 अग्रवाल, मुख्य यजमान उमाशंकरगर्ग, उप मुख्यसंरक्षक ओमबीर शर्मा ओंकारनाथ अग्रवाल, अध्यक्ष धर्मपाल गोयल, महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सह – कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, सतनरायण गोयल, तरुण राज, मनोज शर्मा, मुकेश गोयल, मुकेश गुप्ता, संजय शर्मा, रविन्द्र चौधरी, आत्माराम अग्रवाल, मीडिया प्रभारी चंद्रप्रकाश गौड़, मुकेश गर्ग, एस एम गुप्ता, गिरिराज बहेड़िया, पवन गोयल,मुकेश अग्रवाल, सुधीर पोरवाल, राकेश गुप्ता,अजय गुप्ता, रामनिवास बंसल, ओपी गोयल,कुलदीप गुप्ता, चंद्रप्रकाश गौड़, गिरिराज बहेड़िया सहित आयोजन समिति के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।


 


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