“विधेयकों के विभिन्न पहलुओं के बारे में सदस्यों को जानकारी प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों का सहयोग
नई दिल्ली : आज संसदीय ज्ञानपीठ में मीडिया कर्मियों से संवाद करते हुए, लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने कहा कि सभा में पुरःस्थापित किए जाने वाले विधेयकों के विभिन्न पहलुओं के बारे में सदस्यों को जानकारी प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने आशा जतायी कि इस प्रकार की व्यवस्था से सरकार द्वारा सभा में प्रस्तुत किए जाने वाले विधायी प्रस्तावों की पृष्ठभूमि और विस्तार के बारे में बेहतर समझ को विकसित करने में सहायता मिलेगी।
1952 के बाद से सभा में हुए ऐतिहासिक वाद-विवादों का उल्लेख करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि जल्द ही संसद सदस्यों की सुविधा के लिए एक “एप्प” को विकसित किया जाएगा, जिससे उन्हें ऐसे वाद-विवादों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इस लक्ष्य कोप्राप्त करने के लिए, दूरदर्शन के अभिलेखागारों में भी खोज की जाएगी।
श्री बिरला ने एकत्रित हुए मीडिया कर्मियों को हाल ही में समाप्त हुए सत्रहवीं लोक सभा के पहले सत्र की संसदीय कार्यवाहियों की रिपोर्टिंग करने में सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए धन्यवाद दिया। प्रेस की आज़ादी पर ज़ोर देते हुए, श्री बिरला ने कहा कि आम लोगों में संसद की कार्यवाहियों के बारे में सकारात्मक धारणा का निर्माण करने हेतु संसदीय लोकतंत्र में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मीडिया के द्वारा ही सुनिश्चित किया जाता है कि सभी लोगों के द्वारा संसद के कामकाज को देखा और सुना जाए और इससे संसदीय लोकतंत्र में लोगों का विश्वास बढ़ता है।
श्री बिरला ने कहा कि 17वीं लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए पहले सत्र की कार्यवाहियों को संचालन करना एक चुनौती भी थी और एक अवसर भी था। यह सत्र 37 दिन चला और इसमें 35 विधेयक पारित किए गए। श्री बिरला ने यह भी कहा कि उन्हें आशा है कि वे अपना सकारात्मक योगदान जारी रखेंगे और दलों और ग्रुपों के नेताओं तथा सदस्यों से प्राप्त हुए सहयोग से उन्हें प्रसन्नता हुई है। उन्होंनें इस बात पर ज़ोर दिया कि पहले सत्र में पहली बार निर्वाचित हुए अधिकांश सदस्यों को बोलने का मौका मिला है।
श्री बिरला ने यह भी सूचित किया कि लोक सभा सचिवालय के कार्यकरण को जल्द ही कागजरहित बनाया जाएगा जिससे कि करोड़ो रुपयों का सरकारी धन बचेगा और कागज के उपयोग में भी कमी आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल तरीकों के उपयोग से सदस्यों को हार्डकॉपियों को पहुँचाने में होने वाली देरी में भी कमी आएगी। इस पहल के हिस्से के रूप में सदस्यों को संसदीय पत्रों को ई-कॉपी या हार्डकॉपी के माध्यम से प्राप्त करने के लिए विकल्प दिया जाएगा।
एक विधायक के रूप में अपने अनुभवों को साझा करते हुए, श्री बिरला ने यह कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों की अपनी अलग समस्याएं हैं और आम लोग यह देखना चाहते हैं कि उनके निर्वाचित प्रतिनिधि संसद में उनकी समस्याओं को किस प्रकार उठाते हैं और किस प्रकार संसद में होने वाले वादविवादों के द्वारा महत्वपूर्ण विधेयकों का पारित किया जाना सुनिश्चित किया जाता है।
श्री बिरला ने इस बात की भी जानकारी दी कि प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत के निर्माण के संकल्प में संसद भवन के विस्तार और आधुनिकीकरण को भी शामिल करने का आग्रह किया गया है।