एडवांस स्पाइन रोबोटिक्स सिस्टम से सफलतापूर्वक की जा रही कंप्लेक्स स्पाइनल सर्जरी
नई दिल्ली, : एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करते हुए इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी), नई दिल्ली अमेरिका से बाहर का पहला ऐसा हॉस्पिटल बन गया है जहाँ स्पाइन सर्जरी के लिए आधुनिकतम रोबोटिक्स सिस्टम उपलब्ध है। हॉस्पिटल में हाल ही में लगे आधुनिकतम स्पाइन रोबोटिक्स सिस्टम के जरिए अब तक 5 सफल सर्जरी को अंजाम दिया जा चुका है।
इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी), नई दिल्ली के मेडिकल डायरेक्टर कम चीफ ऑफ स्पाइन सर्विसेज, डॉ. एच एस छाबड़ा कहते हैं, “इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर यूएस के बाहर स्थित दुनिया का पहला ऐसा अस्पताल है जहाँ एडवांस स्पाइन रोबोटिक सिस्टम उपलब्ध है। रोबोटिक्स के जरिए की जाने वाली सर्जरी में इम्प्लांट की अनुपयुक्तता, रिवीजन सर्जरी, रेडिएशन एक्सपोजर, अस्पताल में ठहरने की अवधि और संक्रमण आदि का खतरा बेहद कम हो जाता है। तमाम मापदंड (पैरामीटर्स) इस तरह के बेहतरीन सुधार क्लीनिकल क्षमताओँ को बढाते हैं और दीर्घकाल में स्वास्थ्य देखभाल संस्थानोँ पर पड़ने वाले बोझ को भी कम करते हैं। हमेँ इस नए सिस्टम को अस्पताल में लाए जाने की घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है क्योंकि यह आईएसआईसी के डॉक्टरोँ को स्पाइन इंजरी के मरीजोँ का बेहतर और कम खर्च में इलाज उपलब्ध कराने में सहायक साबित होगा।“
इसी सप्ताह नई तकनीक की सहायता डॉ. एच एस छाबडा, मेडिकल डायरेक्टर कम चीफ ऑफ स्पाइन सर्विसेज, की अगुवाई में डॉक्टरोँ की एक टीम ने प्रीति पांडेय नाम की एक 33 वर्षीय महिला का सफल ऑपरेशन किया जो प्री ट्युबिकुलर कायफोटिक डीफॉर्मिटी पॉट स्पाइन से पीड़ित थी। यह ट्यूबरकुलोसिस यानी तपेदिक का एक प्रकार है जो फेफड़ों के बाहर होता है और कशेरुक में दिखता है। प्रीति के दोनों निचले अंगों में गंभीर और बढ़ने वाली कमजोरी थी, आंत्र और मूत्राशय को नियंत्रित करने में वह असमर्थ थी और पीठ में विकृति की शिकायत थी। रीढ़ की हड्डी में टीबी के कारण उनमें सर्विक-थोरेटिक कायफोसिस का निदान किया गया, जहां दो प्रक्रियाओं - रोबोट पोस्टीरियर स्टैबिलाइजेशन, वर्टेब्रा कॉलम रीसेक्शन, डीफार्मिटी करेक्शन (विकृति सुधार) और मेश केज इंसर्शन फ्यूजन - की विकृति को ठीक करने और उनकी गतिविधि को स्थिर करने के लिए ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद उन्होंने मामूली दर्द का अनुभव किया और एक दिन के अंदर चलना शुरू कर दिया।
एक अन्य मामले में, डॉक्टरोँ ने 50 वर्षीय मरीज, सतीश कुमार का स्पाइनल फ्युजन प्रॉसीजर किया गया। यह मरीज बीजिंग, चाइना स्थित एम्बेसी में कार्यरत हैं। उन्हेँ कमर के निचले हिस्से में दर्द (फूटना) शुरू हुआ जो पैरोँ तक जाता था और साथ ही उन्हेँ दोनोँ पैरोँ में भारीपन महसूस होता था जिसके चलते वह 100 मीटर तक भी नहीं चल पा रहे थे। जांच में पता चला कि उन्हें स्पॉन्डिलोलिस्थेसिस है, यह रीढ़ से संबंधित एक बीमारी है जिसमेँ एक हड्डी (वर्टिब्रा) नीचे की ओर सरक जाती है। उनकी रोबोटिक मिनिमल इंवेसिव ट्रांसफोरएमिनल लम्बर इंटरबॉडी फ्युजन (टीएलआईएफ) की गई जिसमेँ बेहद मामूली सा चीरा लगता है और ब्लीडिंग बहुत कम होती है। सर्जरी के बाद सतीश काफी बेहतर महसूस कर रहे हैं और सर्जरी के 3 दिनों के अंदर उन्होंने चलना शुरू कर दिया और पैर में बिना दर्द के वे लगभग 3 किलोमीटर तक चले।
रोबोटिक स्पाइन सर्जरी के क्षेत्र में एक नई एडवांसमेंट है, जो कि एक स्पेशलाइज्ड तकनीक है जिसकी मदद से जटिल से जटिल सर्जिकल प्रक्रियाएँ भी योजना बनाकर बेहद सटीक ढंग से की जा सकती हैं। रोबोटिक्स स्पाइन में इम्प्लांट को ले जाने में सहायक है-स्पाइन सर्जंस के लिए तो यह एक वरदान की तरह है, खासकर इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी) जैसे केंद्रोँ में जहाँ बढी संख्या में मरीज आते हैं।
इस रोबोटिक सिस्टम को आधुनिक सॉफ्टवेयर, रोबोटिक तकनीक, नेविगेशन और इंस्ट्रुमेंटेशन के साथ कम्बाइन किया गया है। एडवांस सॉफ्टवेयर में बेहतरीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सॉफेस्टिकेटेड 3डी एनालिटिक्स कम्पोनेंट है। इस नई पीढी के रोबोटिक्स में एक इंफ्रा-रेड कैमरा भी है जो लगातार इंस्ट्रुमेंट को ट्रैक करता है और उसे नेविगेट भी करता है, साथ ही मरीज की शारीरिक संरचना एवम सर्जिकल योजना के हिसाब से इम्प्लांट को सफल बनाता है। हार्डवेयर के मामले में, यह सिस्टम एक कस्टमाइज्ड रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल करता है जो बेहद जटिल प्रक्रियाओँ को भी बेहद सटीक ढंग से अंजाम देने में सक्षम बनाता है।
डॉ. छाबड़ा कहते हैं, “स्पाइन यानी रीढ़ शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगोँ में से एक है और इसपर किसी तरह की सर्जरी करना बहुत मुश्किल काम होता है क्योंकि इसमेँ मामूली सी गलती भी मरीज के शरीर पर गम्भीर और दीर्घकालिक परिणाम छोड़ सकती है, जिसके परिणाम भयानक हो सकते हैं। ऐसे में स्पाइन की सर्जरी करने वाले चिकित्सकों को सर्जरी के तरीके के चयन में काफी सावधानी बरतनी पडती है और ऐसे में इससे बेहतर क्या होगा कि उन्हे एक ऐसी तकनीक मिल जाए जो प्रॉसीजर की सटीकता और बेहतर परिणाम सुनिश्चित कर सके। वे लोग जो गर्दन और पीठ की समस्या से परेशान होते हैं उन्हे यह तकनीक तुरंत आराम उपलब्ध करा सकती है क्योंकि इसकी सहायता से सर्जन बेहद मामूली सा चीरा लगाकर सर्जरी को अंजाम देता हैं, जिसमेँ ऑपरेशन में होने वाली ब्लीडिंग बहुत कम होती है, और ऐसे में उनकी रिकवरी तेज होती है और अस्पताल मे कम समय के लिए रुकना पडता है-इस तकनीक की सहायता से सर्जन पूरे प्रक्रिया की योजना बनाकर एक ब्लू प्रिंट तैयार कर सकते हैं। इस तकनीक की मदद से गम्भीर मेडिकल जटिलताओँ जैसे कि स्कोलियोसिसऔर कायफोसिस, डीजनरेटिव डिस्क डिजीज, हर्निएटेड डिस्कऔर स्पॉन्डिलोलिस्थेसिस आदि का सफल इलाज किया जा सकता है। साथ ही उन लोगोँ क लिए भी यह एक वरदान साबित हो सकती है जो स्पाइनल फ्युजन अथवा पहले की सर्जरी फेल होने के बाद रिवीजन सर्जरी कराना चाहते हैं।
यह तकनीक सर्जन को कम्युटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (सीटी स्कैन) की तस्वीरेँ इस्तेमाल कर सर्जरी से पहले ही एक ब्लू प्रिंट तैयार करने में सहायक होती है। इन तस्वीरोँ को एक कम्प्युटराइज्ड 3डी प्लानिंग सिस्टम में लोड किया जाता है। ऑपरेशन कक्ष में सर्जन फिजिकल सर्जरी करते है जबकि यह सिस्टम उनके इंस्ट्रुमेंट को स्पाइनल इम्प्लांट के प्लेसमेंट सम्बंधी पूर्व योजना के हिसाब से गाइड करता रहता है। सर्जरी के दौरान, रोबोट को मरीज के करीब रखा जाता है और इसे या तो मरीज के बेड के साथ अटैच कर दिया जाता है अथवा सीधे मरीज की स्पाइन के साथ समन्वय में रखा जाता है।