आरबीआई द्वारा बड़े बकायेदारों की सूची दी गयी











 








  


लखनऊ .आरबीआई द्वारा बड़े बकायेदारों की सूची दी गयी (सूची सहित)केंद्रीय सूचना आयोग के आदेशों के अनुपालन में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लखनऊ स्थित एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को देश के 41 बड़े बकायेदारों की सूची प्रदान की है. नूतन ने देश के बड़े बकायेदारों के संबंध में आरबीआई द्वारा बनायीं गयी दो सूची से जुडी सूचना मांगी थी. बड़े बकायेदारों की प्रथम सूची में 12 कम्पनियाँ, एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, आलोक इंडस्ट्रीज लिमिटेड, एमटेक ऑटो लिमिटेड, भूषण पॉवर एंड स्टील लिमिटेड, भूषण स्टील लिमिटेड, इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लिमिटेड, इरा इन्फ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड, एस्सार स्टील इंडिया लिमिटेड, जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड, ज्योति स्ट्रक्चर लिमिटेड,लैंको इन्फ्राटेक लिमिटेड तथा मोंनेट इस्पात एंड एनर्जी लिमिटेड शामिल हैं. बड़े बकायेदारों की दूसरी सूची में 29 कंपनी हैं, जिसमे एनरेक एल्युमीनियम लिमिटेड, एशियन कलर कोटेड इस्पात लिमिटेड, बिल्ट ग्राफ़िक पेपर्स प्रोडक्ट्स लिमिटेड, कैसटेक्स टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, कोस्टल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, इस्ट कोस्ट एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, एस्सार पॉवर (झारखण्ड) लिमिटेड, एस्सार प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड, जीईटी पॉवर लिमिटेड, आइवीआरसीएल लिमिटेड, जय बालाजी इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड, जायसवाल नेको इंडस्ट्रीज लिमिटेड, मोंनेट पॉवर कंपनी लिमिटेड तथा नागार्जुन आयल कारपोरेशन लिमिटेड शामिल हैं. इसके अलावा आर्किड केमिकल एंड फर्मसितिकल लिमिटेड, रूचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सेल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड, शक्ति भोग फ़ूड लिमिटेड, सोमा एंटरप्राइज लिमिटेड, ट्रांसस्ट्रॉय (इंडिया) लिमिटेड, यूनिटी इन्फ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड, उषदेव इंटरनेशनल लिमिटेड, उत्तम गलवा मैटेलिक लिमिटेड, उत्तम गलवा स्टील्स लिमिटेड, विडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, विडियोकॉन टेलीकम्यूनिकेशन लिमिटेड, विसा स्टील लिमिटेड तथा विंड पॉवर (इंडिया) लिमिटेड भी इस सूची में हैं. आरबीआई के जन सूचना अधिकारी ने आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(डी) में सूचना देने से मना कर दिया था, जबकि अपीलीय अधिकारी ने इसे बैंकों द्वारा दी गयी ऋण विषयक सूचना बताते हुए इसे आरबीआई एक्ट की धारा 45ई में निषिद्ध बताया था. सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा ने नूतन की इस बात से सहमति व्यक्त की थी कि यह सूचना पूरी तरह जनहित से जुडी है क्योंकि बड़े बकायेदारों की सूची का लोकहित में विशेष महत्व है तथा लोगों को इनके नाम जानने का पूरा अधिकार है, अतः इन बड़े बकायेदारों का नाम छिपाया जाना आरबीआई एक्ट के विपरीत होगा.
















 




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