कैल्शियम की कमी खतनराक हो सकती है हड्डियों के लिए

नई दिल्ली : शरीर में हड्डी एक प्रकार का ऐसा उत्तक होता है। जो कि शरीर को आकार और मजबूती प्रदान करता है। शरीर के कई अंगों का संरक्षण करना भी इसकी एक जिम्मेदारी होती है। हड्डी खनिज को अपने अंदर रखती है और रक्तसेलों के विकास के लिए एक माध्यम बनाती है, जिसे मैरो के नाम से जाना जाता है। हड्डी के तीन मुख्य उत्तक होते हैं - कांपैक्ट टिश्यू यानि अविरल उत्तक, कैंसलस टिश्यू, सबकोंड्रल टिश्यू आदि।
पी.डी.हिंदुजा नेशनल अस्पताल के आर्थोपेडिक्स विभाग के हेड डा.संजय अग्रवाला का कहना है कि हड्डी के सेल निम्र प्रकार के होते है जैसे कि ओस्टियोब्लास्ट, ओस्टियोक्लास्ट, ओस्टियोसाइट। हड्डी कैंसर, फाइबरस डिस्प्लेसिया, ओस्टियोमलेशिया, रिकेट्स, ओस्टियोमाइयेलिटिस, अवेस्कुलर नेक्रोसिस, ओस्टियोपोरोसिस। ओस्टियोपोरोसिस हड्डी के भीतर ही पाया जाता है। इसका कार्य है-हड्डी को जीवित कोशिका के रूप में बरकरार रखना। फैट सेल और हीमेटोपायोटिक सेल बोन मैरो में पाए जाते हैं। हीमेटोपायोटिक सेल का निर्माण करते हैं क्योंकि हड्डी के कार्य जटिल होते हैं जैसे शरीर को स्थिरता देने से लेकर रक्तसेलों का रख-रखाव आदि। तो, इन प्रक्रियाओं के चलते कई बीमारियां हड्डी को विकारग्रस्त कर सकती हैं। हड्डी की मुख्य बीमारियों को कुछ इस प्रकार से विभाजित किया जाता है। हड्डी की वह बीमारी है, जिसमें हड्डी का क्षरण होने लगता है और हड्डी की क्षमता कम होती जाती है। हड्डियों में आसानी से फ्रेक्चर हो जाता है। हड्डी का घनत्व कम हो जाता है। यह अक्सर वृद्ध लोगों में पाया जाता है। ओस्टियोपोरोसिस को ठीक करने के लिए अब एक नई तकनीक की शुरुआत की गई है-एल सी पी।
डा.संजय अग्रवाला का कहना है कि लाकिंग प्लेट (एल सी पी), जिसका मुख्य आकर्षण है, इसके स्कू हैड और प्लेटों का आपसी जोड़।  इसके परिणामस्वरूप बेहतर बायोमेकैनिकल गुण बनते हैं।  इस एल सी पी को बाकी अन्य प्लेटों की तरह कार्य करने के लिए हड्डिïयों में लगाया जा सकता है, जैसे कि यह जोड़ पर दबाव बना सकता है, बचाव और ब्रिजिंग का काम आसानी से कर सकता है। जब कि बाकी दूसरी प्लेटें जैसे लैस इंवेसिव स्टेबिलाइजेशन सिस्टम (लिस्स)आदि प्लेट केवल ब्रिजिंग और अंदरूनी जोड़ का कार्य कर सकते हैं। दरअसल, शंक्वाकार धागों से बनी इस स्क्रू हैड की सतह प्लेट के धागोंं के साथ अच्छी तरह फिक्स हो जाती है। जिसमें, बायोमेकैनिकल गुण बनते हैं। इसके कोणात्मक स्थिर स्क्रू की वजह से हड्डïी को स्थिर करने के लिए अधिक दबाव बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इन लाकिंग प्लेट्ïस को अंदरुनी जोड़ के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वैसे आदर्श तौर पर इसका पेरिओस्ट्ïयूम से कोई संबंध नहीं होता है. इससे क्षतिग्रस्त हïड्डी में आसानी से रक्त प्रवाह होने लगता है और हड्डी कïो स्थिरता मिलती है जिससे कैलस फार्मेशन होता है और जल्द ही चोट ठीक हो जाती है। एल सी पी अस्थिर होता है। इसके  पांचों बायोमेकैनिकल गुणों के कारण इसे अंदरूनी जोड़ के साथ-साथ रीडक्शन यंत्र की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन, एल सी पी को इस्तेमाल करने से पहले ध्यानपूर्वक यह प्लानिंग कर लेनी चाहिए कि स्क्रू  को कौन से आर्डर में लगाना है? लाकिंग हेड स्क्रू का इस्तेमाल करने से पहले यह बेहद जरूरी है कि फाइनल रीडक्शन ले ली जाए।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*"आज़ादी के दीवानों के तराने* ’ समूह नृत्य प्रतियोगिता में थिरकन डांस अकादमी ने जीता सर्वोत्तम पुरस्कार

सेक्टर 122 हुआ राममय. दो दिनों से उत्सव का माहौल

ईश्वर के अनंत आनंद को तलाश रही है हमारी आत्मा