जल संरक्षण तथा संवर्धन के लिए अमृत सरोवर योजना अत्यंत महत्वपूर्ण

  

डॉ दिनेश प्रसाद मिश्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 में वर्ष में आयोजित आजादी अमृत महोत्सव के अवसर पर 24 अप्रैल सन 2022 को आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देश के प्रत्येक जनपद में 75अमृत सरोवर बनाए जाने की योजना की घोषणा की है, जिन्हें अगस्त तक निर्मित कर राष्ट्र को समर्पित करना है। वस्तुतः जीवन में जल का अत्यधिक महत्व है ,जीवन के लिए आवश्यक  तत्वों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण वायु एवं जल ही हैं, जिनके अभाव में जल, थल एवं नभ में विचरण करने वाले  समस्त जीव जंतुओं तथा शैवाल, घास फूससे लेकर विशालकाय वृक्ष आदि वनस्पतियों के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, किंतु दुर्भाग्य से दिनानुदिन जल एवं वायु के प्रदूषित होने के साथ ही साथ उनकी उपलब्धता भी निरंतर कम होती जा रही है। निरंतर बढ़ रही आबादी तथा वर्षा की अनियमितता तथा उसमें निरंतर हो रही कमी के कारण आवश्यकता के विपरीत पृथ्वी  के जल स्तर में लगातार कमी आ रही है जिससे समस्त विश्व के समक्ष जल की समस्या विकराल रूप धारण कर उपस्थित हुई है, जिससे भारत भूमि भी अछूती नहीं है। देश के अनेक महानगर यथा बैंगलोर चेन्नई विशाखापट्टनम मुंबई आदि जलविहीनता की स्थिति में आ गए हैं और उन का जल स्तर बहुत ही नीचे पहुंच चुका है जिससे गर्मी में पानी के  अभाव में त्राहि-त्राहि मच जाती है, जिसके दृष्टिगत जल संरक्षण तथा संवर्धन हेतु अमृत सरोवर योजना अत्यंत महत्वपूर्ण


हो जाती है।

‌ भारत में प्राचीन काल से ही जल स्थानों यथा वापी कूप सरोवर के निर्माण की प्रवृत्ति एवं परंपरा रही है । कठोपनिषद में जल संस्थानों  के निर्माण को लोक और परलोक दोनों के लिए ही कल्याणकारी तथा पुण्यदायक माना गया है। महाकवि बाण द्वारा रचित कादंबरी मैं सरोवरों की जल धारण की क्षमता के आधार पर उनके अनेक प्रकार बताए गए तथा वापी खूब तड़ाग आदि के निर्माण को लोक कल्याणकारी बताया गया है। सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत लोथल में भी एक प्राचीन कुंवां तथा जल प्रवाह प्रणाली प्राप्त हुई है जो प्राचीन भारत में जल व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने तथा समस्त जीव-जंतुओं हेतु जल की उपलब्धता बनाए रखने हेतु इनके निर्माण तथा संरक्षण कार्य को अभिव्यक्त करती है। इसी परंपरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा भी निरंतर जल की हो रही कमी तथा जल में व्याप्त प्रदूषण को दृष्टि में रखकर जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा उसे प्रदूषण मुक्त करने हेतु अमृतसरोवरों की श्रृंखला तैयार कर समस्त जीव-जंतुओं तथा जड़ चेतन को उसकी आवश्यकतानुसार  जल उपलब्ध कराने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य योजना प्रस्तुत की है, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 तालाबों का निर्माण या विकास करना है। इस योजना के अंतर्गत निर्मित या विकसित किए जा रहे प्रत्येक तालाब में कम से कम 1 एकड़ अधिकतम 5 एकड़ जल क्षेत्र अवश्य होगा , जिसमें लगभग 10,000 घन मीटर तक की जल धारण क्षमता होगी।

‌ अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक जिले में 75 सरोवरों का निर्माण किया जाना अपेक्षित है, साथ ही प्रत्येक जिला पंचायत द्वारा भी पांच अमृत सरोवरों का निर्माण कराया जाएगा। पूरे देश में इस योजना के अंतर्गत 50,000 सरोवरों का निर्माण न्यूनतम 1 एकड़ तथा 5 एकड़ से कम भूमि में किया जाएगा। सरोवर के चारों ओर मजबूत बांध बनाकर उसमें पौधारोपण किया जाएगा तथा सरोवर के माध्यम से प्रत्येक वर्ष वर्षा जल को संरक्षित किया जाएगा ,जिससे आवश्यकता पड़ने पर सरोवर का जल कृषि की सिंचाई एवं पेयजल के रूप में प्रयोग में लाया जा सके। सरोवर में स्वच्छ जल का संभरण होगा। किसी भी स्थिति में गंदी नालियों तथा गंदे नालों का जल उस तक नहीं पहुंचेगा। सरोवरों में वर्षा के पर्याप्त जल के पहुंचने की व्यवस्था होगी तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरोवर में उसकी क्षमता के अनुसार जल भरा हो। इन सरोवरों का नामकरण शहीदों  के नाम पर किया जाएगा तथा यहां पर 15 अगस्त को एक उत्सव के रूप में झंडारोहण संपन्न किया जाएगा। यह सरोवर आदर्श सरोवर के रूप में विकसित होंगे जिनमें नौकायन पैदल भ्रमण आदि की सुविधा उपलब्ध होगी। अमृत सरोवर योजना को मूर्त रूप देने हेतु ग्रामीण विकास मंत्रालय , जल शक्ति मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय , पंचायती राज मंत्रालय , पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग तथा सूचना विज्ञान संस्थान सतत् सहयोग देंगे तथा निर्माण कार्य की प्रगति एवं स्थिति का निरंतर अनुश्रवण करेंगे।समस्त जिलाधिकारियों को इनके निर्माण हेतु भूमि की पहचान करने तथा मनरेगा के माध्यम से भूमि की खुदाई कर  निर्माण का कार्य अगस्त 2022 तक पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। अमृत सरोवरों के निर्माण हेतु भूमि चयन करते समय  पुराने तालाबों का विकास संरक्षण भी इस योजना के अंतर्गत सम्मिलित है, जिसके अंतर्गत 1 एकड़ से अधिक तथा 5 एकड़ से कम जल ग्रहण क्षमता की भूमि वाले तालाबों का भी विकास अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत किया जाना है, जिससे मृतप्राय तालाबों का भी संरक्षण एवं संवर्धन सुनिश्चित हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अब तक लगभग 40,000 तालाब लुप्त हो चुके हैं ।शहरी विकास के दृष्टिगत नगरों की सीमा में आने वाले तालाबों को , बिल्डर नेता एवं अधिकारियों के त्रिगुट ने बड़े-बड़े भवन बनाते हुए कंक्रीट के जंगल उगाकर , लील लिया है। ऐसे विलुप्त तालाबों की स्थिति को देखते हुए समय-समय पर देश के न्यायालयों ने निर्णय पारित कर उन्हें पुनर्जीवित करने के आदेश दिए हैं। इस संदर्भ में माननीय उच्च न्यायालय  इलाहाबाद द्वारा प्रयागराज तथा फर्रुखाबाद  तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा आगरा के विलुप्त तालाबों में हुए निर्माण को नेस्तनाबूद कर  उन्हें पुनर्जीवित करने के आदेश अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री द्वारा योजना की घोषणा होते ही विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा योजना को मूर्त रूप देने हेतु युद्ध स्तर पर कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में राजस्व अभिलेखों के अनुसार 600000 तालाब हैं,जिनमें से अपेक्षित  क्षेत्रफल में भूमि रखने वाले 6000 तालाबों का अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत विकास मनरेगा के अंतर्गत किया जाना है , उल्लेखनीय है कि पूर्व में अनेक जनपदों में तालाबों का विकास मनरेगा के अंतर्गत किया जा चुका है। सभी तालाबों को  विकसित कर देने पर भूगर्भ के जल स्तर में वृद्धि के साथ-साथ जल संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होगा। इन सरोवरों के निर्माण एवं विकास में मनरेगा तथा 15वें वित्त आयोग की राशि का उपयोग होगा।सरोवर निर्माण के साथ-साथ आसपास पौधारोपण किया जाएगा पर्यावरण संरक्षण संवर्धन के साथ-साथ जल संरक्षण एवं भूगर्भ जल संवर्धन की दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण  कार्य होगा। अमृत सरोवर योजना से जहां एक ओर वर्षा का जल संरक्षित होगा वहीं दूसरी ओर भूगर्भ का जल भी वर्षा जल के भूगर्भ में समाहित हो जाने से संवर्धित होगा, किंतु ऐसा होने के लिए आवश्यक है कि प्रशासनिक व्यवस्था के साथ-साथ समाज भी अमृत सरोवरों के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें तथा अपने स्तर पर योगदान देते हुए इनके निर्माण में भी अपनी सतर्क दृष्टि रखें, जिससे सरकार की योजना के अनुसार ही सरोवरों का निर्माण किया जाए, क्योंकि व्यवहार में इसके विपरीत देखने को मिल रहा है।  उल्लेखनीय है के 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री द्वारा योजना की घोषणा के 20 दिन के अंदर उत्तर प्रदेश के रामपुर में प्रथम अमृत सरोवर का उद्घाटन संपन्न हो गया। निश्चित रूप से इस सरोवर का निर्माण एवं विकास अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत न होकर पूर्व से संचालित किसी अन्य योजना के अंतर्गत किया जा रहा था, जिसका निर्माण ग्राम निधि से किया जा रहा था, क्योंकि इसका क्षेत्रफल अमृत सरोवर योजना के लिए निर्धारित न्यूनतम क्षेत्रफल 1 एकड़ से कम है, जिसमें वर्षा जल के पहुंचने की सम्यक् व्यवस्था नहीं है। सूखे तथा भीषण गर्मी से उत्पन्न जलाभाव में वर्षा की प्रतीक्षा किए बिना तालाब में ट्यूबवेल आदि से भूगर्भ  के जल को निकाल कर भरा गया है,किंतु वाह वाही लूटने के उद्देश्य से संबंधित निर्माण एवं विकास को अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत बताकर उसका उद्घाटन करा दिया गया । यह तो एक तथ्य है किंतु इसके विपरीत वर्षों से गंदे गड्ढे के रूप में विद्यमान कचरा संग्रहित किए जाने वाले गड्ढे को तालाब के रूप में पुनर्जीवित कर जिला प्रशासन ने एक महत्वपूर्ण कार्य किया है।इसी प्रकार बदायूं जनपद के अमृतसर सरोवर ओं की भी लगभग स्थिति यही है, पूर्व वर्षों में मनरेगा के अंतर्गत बनाए गए तालाबों में खर्च की गई धनराशि के सापेक्ष वर्षा जल संकलित नहीं हो सका और आज भी पूर्व निर्मित तालाब पानी से पूर्णरूपेण रिक्त हैं। मनरेगा के अंतर्गत पूर्व वर्षों में अनेक जनपदों में बनाए गए तालाबों की भी लगभग यही स्थिति है जहां मनरेगा के कार्य के नाम पर भारी धनराशि खर्च कर दी गई  किंतु तालाबों में पानी इकट्ठा नहीं हो  सका, जो जांच का विषय हो सकता है ।आवश्यकता है मनरेगा के अंतर्गत पूर्व में खोदे गए तालाबों की स्थिति का भली-भांति परीक्षण कर उनके निर्माण में व्यय किए गए धन के दुरुपयोग एवं सदुपयोग का आकलन कर ही नव निर्माण कराया जाए। इसके साथ ही उल्लेखनीय है कि अमेठी जनपद में अमृत सरोवरों का निर्माण रात के अंधेरे में जेसीबी मशीन द्वारा कराए जाने की बात सामने आ रही है, जो अमेठी जनपद के साथ ही साथ देश के अन्य जनपदों में भी हो सकती है, जिससे अमृत सरोवरों के निर्माण में निहित मनरेगा के माध्यम से श्रमिक वर्ग को रोजगार दिए जाने की अवधारणा एवं विचार के मूल को ही खोद कर  विनष्ट किया जा रहा है, जिस के दृष्टिगत प्रशासनिक व्यवस्था के साथ ही साथ समाज के के लिए यह आवश्यक है कि वह अमृत सरोवरों के निर्माण एवं विकास में दृष्टि रखें, जिससे उनके द्वारा सृजित रोजगार को भी अमृत सरोवर योजना की मूल भावना के अनुरूप मनरेगा द्वाराआम श्रमिक के लिए सुलभ बनाया जा सके।

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