भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली व किसानों के लिए लागू मूल्य समर्थन प्रणाली विश्व में अनूठी


संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली-पूर्व शिखर सम्मेलन को कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया संबोधित

विकासशील देशों के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका-श्री तोमर 


नई दिल्ली:केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि विकासशील देशों के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन और जनता तथा पृथ्वी के बेहतर भविष्य के लिए कृषि को महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होगी, क्योंकि 17 में से 12 सतत विकास लक्ष्य सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि भारत, खाद्यान्नों की कमी वाले देश की स्थिति से उबरकर अग्रणी खाद्यान्न निर्यातक देश के रूप में स्थापित हो चुका है। भारत में हरित क्रांति के बाद श्वेत क्रांति व नीली क्रांति के साथ-साथ सार्वजनिक वितरण प्रणाली और किसानों के लिए लागू मूल्य समर्थन प्रणाली विश्व में अनूठी हैं।

कृषि मंत्री श्री तोमर ने यह बात संयुक्त राष्ट्र खाद्य प्रणाली-पूर्व शिखर सम्मेलन में वर्चुअली कही। संयुक्त राष्ट्र व इटली सरकार द्वारा आयोजित तीन दिनी सम्मेलन में श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत ने किसानों की आय बढ़ाने, बेरोजगारी दूर करने, फसलोपरांत अवसंरचना विकास जैसी अनेक सशक्त पहल की है। छोटे व सीमांत किसानों पर भारत सरकार का फोकस है व खेती को लाभप्रद बनाने के लिए सरकार ने एक के बाद एक कई ठोस कदम उठाए हैं। हमारे कृषि क्षेत्र ने कोरोना महामारी के संकट के दौर में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और खाद्यान्न तथा बागवानी का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, साथ ही कृषि निर्यात भी नई बुलन्दियों को छू रहा है और इस प्रकार वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भारत श्रेष्ठ योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान अब कृषि में उत्पादकता बढ़ाने, खेतों तक इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाएं उपलब्ध कराने और किसानों व खरीदारों को एकीकृत राष्ट्रीय बाजार देने पर है ताकि इन सभी को लाभ मिलें। 

श्री तोमर ने बताया कि भारत सरकार ने फार्म गेट व कृषि विपणन अवसंरचना के लिए एक लाख करोड़ रुपए का एग्री इंफ्रा फंड बनाया है। छोटे किसानों को बड़े पैमाने पर लाभ के लिए 10 हजार कृषक उत्पादक संगठन बनाने की स्कीम प्रारंभ की गई है। छोटे किसानों को आय सहायता के लिए हर साल छह हजार रु. डीबीटी द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में दिए जा रहे हैं। इसके तहत 11 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में 1.37 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। 

उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं के प्रति भारत पूरी तरह सचेत हैं और हमने कृषि को टिकाऊ बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। सिंचाई के लिए "प्रति बूंद- अधिक फसल" योजना, जैविक खेती के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना लागू की गई है। "मृदा स्वास्थ्य कार्ड" योजना भी प्रारंभ की गई है, जिसमें किसानों को मिट्टी परीक्षण की नि:शुल्क सेवाएं प्रदान की जाती हैं। कृषि, मौसम आधारित होती है, ऐसे में भारत सरकार किसानों की जोखिम कवर करते हुए बीमा सुरक्षा प्रदान करने के लिए देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित कर रही है। अल्प व कुपोषण की समस्या के समाधन के लिए भारत, सबसे बड़ा खाद्य आधारित सुरक्षा कार्यक्रम चला रहा है, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली व मध्याह्न भोजन योजना शामिल है।

श्री तोमर ने कहा कि कदन्नों को वैश्विक स्तर पर केंद्र में लाने के लिए भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में वर्ष 2023 को "अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष" के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था। प्रसन्नता की बात है कि संयुक्त राष्ट्र ने सदस्य देशों के भारी समर्थन के साथ हमारे प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए वर्ष 2023 को "अंतर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष" के रूप में घोषित किया है। ये सारे बहुत महत्वपूर्ण कदम हैं, जो भारत ने अपनी कृषि खाद्य प्रणालियों को टिकाऊ बनाने व किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ देश में भूख की समस्या के समाधान के लिए उठाए हैं। उन्होंने आशा जताई कि सतत विकास लक्ष्य- 2030 में निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के अपने प्रयासों को भारत जारी रखेगा और जनसमुदाय की अपेक्षाओं पर निश्चित ही पूरी तरह खरा उतरेगा। 

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने सम्मेलन में पंद्रह सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। कोविड-19 महामारी को देखते हुए पूर्व-शिखर सम्मेलन का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में श्री तोमर के अलावा कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे, नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद, अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, इटली में भारत की राजदूत डॉ नीना मल्होत्रा और कृषि, ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय; मत्स्य पालन, कृषि अनुसंधान और शिक्षा, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे।

तीन दिवसीय इस सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव श्री एंटोनियो गुतेरस, इटली के प्रधानमंत्री श्री मारियो ड्रैगी तथा विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।

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