भारत के लोग समर्पण और सेवा की भावना के साथ किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर सकते हैं और विजय प्राप्त कर सकते हैं: लोक सभा अध्यक्ष
लोक सभा अध्यक्ष ने डीएवी यूनाइटेड समारोह को संबोधित किया
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महर्षि दयानंद सरस्वती ने 1857 के स्वतंत्रता-संग्राम को नेतृत्व एवं दिशा प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी: लोक सभा अध्यक्ष
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दयानंद जी के विचार कालजयी हैं और आज भी हमें प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं: लोक सभा अध्यक्ष
नई दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला ने आज नई दिल्ली में आयोजित तीसरे डीएवी यूनाइटेड समारोह को संबोधित किया। इस समारोह का आयोजन डीएवी यूनाइटेड फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा किया गया था। केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री किरेन रिजीजू और केंद्रीय वित्त एवं कारपोरेट कार्य राज्य मंत्री, श्री अनुराग सिंह ठाकुर भी इस अवसर पर उपस्थित थे। सर्वप्रथम, श्री बिरला ने राष्ट्र और समाज की सेवा के लिए डीएवी परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया। इसके साथ-साथ, उन्होंने यह भी कहा कि इस महान डीएवी परिवार का एक सदस्य होने पर उन्हें गर्व है।
महर्षि दयानंद सरस्वती के योगदान की सराहना करते हुए, श्री बिरला ने दूरदर्शी नेता और राष्ट्रवादी विचारधारा तथा सामाजिक प्रगति को दिशा प्रदान करने में उनके द्वारा निभायी गई भूमिका को याद किया।
श्री बिरला ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने 1857 के स्वतंत्रता-संग्राम को नेतृत्व एवं दिशा प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद, वीर सावरकर, राम प्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपत राय और भगतसिंह, जैसे कई देशभक्तों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया। श्री बिरला ने यह भी कहा कि दयानंद जी के विचार कालजयी हैं और आज भी हमें प्रेरित और प्रोत्साहित करते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिक्षा के जरिए ही सामाजिक परिवर्तन को संभव बनाया जा सकता है और डीएवी संस्थानों ने इस महान परंपरा को बनाए रखा है। श्री बिरला जी ने यह भी कहा कि डीएवी देश के अत्यंत दूरदराज के क्षेत्रों में भी शिक्षा प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है और इस प्रकार से वंचित वर्ग को मुख्यधारा में लाने का प्रयास करते हुए राष्ट्र की प्रगति में महान महती योगदान देता रहा है।
श्री बिरला जी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को बेहतर बनाने में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत के 130 करोड़ लोगों के प्रति भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने पूरे विश्व को यह दिखा दिया कि वैश्विक महामारी के कठिन दौर में भी भारत के लोग समर्पण और सेवा की भावना के साथ किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर सकते हैं और विजय प्राप्त कर सकते हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री अनुराग ठाकुर ने डीएवी संस्थानों के द्वारा शिक्षा और विकास के क्षेत्र में किए जा रहे योगदान के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रशंसा करते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने गरीबों को पक्के घर, शौचालय, गैस कनेक्शन, बैंक खाते और इंटरनेट सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान डिजिटल डिवाइड एक महत्वपूर्ण चुनौती बनकर उभरा है और सरकार ने इसको पाटने के लिए कई पहलें की हैं। उन्होंने देशवासियों से यह अपील की कि डिजिटल डिवाइड को पाटने के लिए सभी को एक साथ आना होगा। श्री ठाकुर ने कहा कि ‘केयरिंग इज शेयरिंग’ अर्थात् एक दूसरे के साथ बांटना ही एक दूसरे की देखभाल है, इसलिए विद्यार्थी भी दूसरों की सहायता करने के लिए अपनी पुस्तकों, टेबलेट, खेलकूद उपकरणों, आदि का दान कर सकते हैं। उन्होंने डीएवी फाउंडेशन से भी इस अभियान में योगदान करने की अपील की।
श्री किरेन रिजीजू ने अपने संबोधन में कहा कि विगत कुछ वर्षों के दौरान विश्व भर में भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि काफी बेहतर हुई है और हमारा देश और अधिक आत्मविश्वास पूर्ण राष्ट्र के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र अपनी नियति को लेकर आत्मविश्वास से भरा होता है, वह निश्चित रूप से समृद्धि प्राप्त करता है। उन्होंने भारत के युवाओं के आत्मविश्वास की सराहना की, जिन्होंने वैश्विक महामारी से निपटने की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं के जज्बे को देखते हुए उन्हें पूरा विश्वास है कि युवा अपनी प्रतिबद्धता,नवोन्मेष, ज्ञान और ऊर्जा के जरिये आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे।
श्री रिजीजू ने इस बात की घोषणा भी की कि आगामी कुछ महीनों में एक डीएवी संस्थान को खेलकूद के उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस पहल के लिए युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। श्री किरेन रिजीजू ने कहा कि उनका सपना खेलकूद के मामले में भारत को सशक्त बनाना और 2028 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में शीर्ष 10 देशों में पहुंचाना है।