कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए आईसीएमआर की मंजूरी मिली

यह बिना किसी अतिरिक्त संसाधनों के परीक्षणों में तत्‍काल दो से तीन गुना बढ़ोतरी कर सकती है


New Delhi


सार्स-कोव-2 का पता लगाने के लिए हैदराबाद स्थित सीएसआईआर की घटक प्रयोगशाला सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) द्वारा विकसित ड्राई स्वैब-डायरेक्ट आरटी-पीसीआर की सरल और तेज़ विधि को अब आईसीएमआर द्वारा उनकी स्वतंत्र मान्यता के आधार पर मंजूरी दे दी गई है। सीएसआईआर-सीसीएमबी द्वारा विकसित यह विधि मौजूदा स्वर्ण मानक आरटी-पीसीआर विधि का एक सरल रूपांतरण है और बिना किसी संसाधनों के नए निवेश के साथ परीक्षण को आसानी से 2 से 3 गुना तक बढ़ा सकती है। इस पद्धति का मूल्यांकन करने और 96.9% की समग्र सहमति पाने और इसकी कम लागत और समय के साथ तेजी से परिणाम दिखाने की क्षमता पर विचार करने के बाद, आईसीएमआर ने अब सीएसआईआर-सीसीएमबी ड्राई स्वाब विधि के उपयोग के लिए एक परामर्श जारी किया है। 


सीएसआईआर-सीसीएमबी, हैदराबाद अप्रैल 2020 से कोरोनावायरस के नमूनों का परीक्षण कर रहा है। तेलंगाना के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करने के बाद, इसने कुछ प्रमुख मुद्दों की पहचान की जो परीक्षण प्रक्रिया को धीमा कर देतें है। उन मुद्दों को दूर करने के लिए,यहां के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 वायरस के लिए ड्राई स्वाब आरएनए-निष्कर्षण नि:शुल्क परीक्षण विधि विकसित की। खास बात यह है कि ड्राई स्वाब-डायरेक्ट आरटी-पीसीआर विधि में खुष्‍क अवस्था में नाक-श्वास को इकट्ठा करना और प्रेषित करना शामिल है। दूसरे, नमूने से आरएनए अलगाव के चरण को छोड़ दिया गया है और इसमें आईसीएमआर द्वारा अनुशंसित किट का उपयोग करके सीधे आरटी-पीसीआर की प्रक्रिया के बाद नमूने का केवल सरल प्रसंस्करण शामिल है। आरएनए अलगाव के कदम को छोड़ने से पारंपरिक पद्धति पर भारी लाभ मिलता है, क्योंकि समय, लागत और प्रशिक्षित जनशक्ति के संदर्भ में आरएनए अलगाव एक बड़ी अड़चन है। इसे देखते हुए, समान संसाधनों और बिना किसी अतिरिक्त लागत के नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है और आसानी से कम से कम 2-3 गुना तक परीक्षणों को बढ़ाया जा सकता है। डीजी-सीएसआईआर, डॉ.शेखर सी मांडे ने इस आविष्कार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ड्राई-स्वाब डायरेक्ट आरटी-पीसीआर विधि लागत की दृष्टि से किफायती है, जिसे नई किट की आवश्यकता के बिना लागू करना आसान है, और मौजूदा कार्मिक बिना किसी अतिरिक्त प्रशिक्षण के इस परीक्षण को कर सकते हैं। अत: यह देश में परीक्षण क्षमता को तेजी से बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।


डॉ. राकेश मिश्रा, निदेशक, सीसीएमबी का कहना है, “ऑटोमेशन के साथ भी आरएनए निष्कर्षण में लगभग 500 नमूनों में 4 घंटे लगते हैं। वीटीएम और आरएनए निष्कर्षण दोनों कोरोनोवायरस के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षण के लिए आवश्यक धन और समय के मामले में महत्वपूर्ण बोझ डालते हैं। हमारा मानना है कि तकनीक की योग्यता सभी प्रकार की सेटिंग्स के लिए है और इसमें परीक्षण की लागत और समय में 40-50% तक कमी लाने की क्षमता है।


गौरतलब है कि सीएसआईआर-सीसीएमबी की संशोधित पद्धति भी कई प्रमुख संस्थानों और अस्पतालों द्वारा स्वतंत्र रूप से अनुमोदित की गई है जैसे सेंटर फॉर डीएनए फ़िंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नॉस्टिक्स (सीडीएफडी), आईआईएसईआर - बरहामपुर, सीएसआईआर-नीरी, जीएमसीएच-नागपुर, जेनपेथ पुणे, आईजीजीएमएसएच और एमएएफएसयू, नागपुर में स्थित है और अपोलो अस्पताल, हैदराबाद भी इसमें शामिल हैं। इसके अलावा, इस संशोधित विधि कोसीएसआईआर-सीसीएमबी द्वारा समीक्षित प्रत्रिका और अन्य वैज्ञानिक समूहों द्वारा दुनिया भर में कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है।


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