गांवों के साथ ही देश बनेगा आत्मनिर्भर- केंद्रीय मंत्री श्री तोमर

गांवों की आत्मनिर्भरता एवं पंचायती राज विषय पर हुआ राष्ट्रीय ई-सम्मेलन


सामुदायिक भावना के विकास से होगा पंचायतों की व्यवस्थाओं का बेहतर उपयोग


र्ष 2022 तक स्व-सहायता समूहों से कुल 10 करोड़ बहनों को जोड़ने का लक्ष्य


नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि विगत वर्षों में भारत सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था के सुदृढी़करण के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने के साथ ही समुचित प्रशासनिक व्यवस्थाएं की हैं। गांव आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर भी हो रहे हैं, गांवों से ही देश भी आत्मनिर्भर बनेगा। गांवों में सामुदायिक भावना और बढ़ने के साथ वहां विकास भी ज्यादा तेजी से होगा। श्री तोमर ने यह बात सोमवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र एवं तीसरी सरकार संस्था द्वारा गांवों की आत्मनिर्भरता एवं पंचायती राज विषय पर आयोजित राष्ट्रीय ई-सम्मेलन में कही। 


केंद्रीय पंचायती राज मंत्री श्री तोमर ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी  का प्रमुख आव्हान है। प्रधानमंत्री ने जब आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात कही तो देश में इस पर चिंतन-मनन भी शुरू हो गया है। आत्मनिर्भर भारत निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पहले गांवों को आत्मनिर्भर बनाना होगा। इस दिशा में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। जबसे केंद्र में प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के नेतृत्व में सरकार बनी, इस दिशा में तेजी से कार्य हुआ है। श्री तोमर ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत देश में बनाए गए 66 लाख स्व- सहायता समूहों से लगभग 7 करोड़ बहनें जुड़ी हुई हैं। वर्ष 2022 तक इसमें कुल 10 करोड़ बहनों को जोड़ने का लक्ष्य है। इन स्व-सहायता समूहों में सामुदायिकता का बहुत अच्छा भाव हैं। ये समूह गांवों के विकास के बारे में सोचते हैं। देश में स्व-सहायता समूहों को 2 लाख करोड़ रूपए का कर्ज दिया गया, लेकिन उनका एनपीए 2 प्रतिशत से भी कम हैं। इन बहनों ने अपनी आजीविका भी विकसित की है और बैंकों का कर्ज भी समय पर लौटाया है। 


श्री तोमर ने कहा कि जिन गांवोँ में स्व-सहायता समूह मजबूत हैं, वहां ओडीएफ के बेहतर परिणाम मिले है। कोरोना के चलते लाकडाउन के दौरान भी इन बहनों ने मास्क व सैनेटाइजर बनाने से लेकर कम्युनिटी किचन संचालित कर अपेक्षा से बहुत बढ़िया सहयोग किया है। श्री तोमर ने कहा कि पंचायतों के पास फंड और संसाधनों की कमी नहीं है। वित्त आयोग की सिफारिशों को मानते हुए प्रधानमंत्री जी ने पंचायतों के अंतर्गत विकास कार्यों के लिए अब तक की सबसे ज्यादा राशि दी है। श्री तोमर ने कहा कि पंचायतों के लिए बनाए गए ई-ग्राम स्वराज पोर्टल से पारदर्शिता व सुशासन आया है। पंचायतों तक शत-प्रतिशत धनराशि पहुंच रही हैं। श्री तोमर ने बताया कि सरकार ने विगत वर्षों में ई-पेंमेंट के साथ-साथ ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) बनाने पर बल दिया है। इससे गांवों में सुनियोजित तरीके से विकास हो रहा है। जहां जरूरत हैं, वहीं पर ही पैसा खर्च हो रहा है। गांवों में सड़क, नाली बन जाएं, यही विकास नहीं है, बल्कि समग्र विकास की दृष्टि होना चाहिए। सरपंचों को यह भी देखना चाहिए कि गांवों में टीकाकरण, पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा की दिशा में किन कार्यों की जरूरत है, वे ठीक से हो रहे है या नहीं। कृषि, गांवों की अर्थव्यवस्था का आधार है, ऐसे में गांवों की विकास योजना में कृषि का जुड़ाव जरूरी है।


कार्यक्रम में वरिष्ठ चिंतक-विचारक एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मश्री  रामबहादुर राय, एनआईआरडीपीआर के पूर्व महानिदेशक डा. डब्ल्यू. आर. रेड्डी, मिशन समृद्धि के संस्थापक अरूण जैन, केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार के पूर्व कुलपति प्रो. जनक पाण्डेय, वरिष्ठ लेखक डा. सच्चिदानंद जोशी सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक शामिल हुए।


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