मेट्रो अस्पताल विश्व स्ट्रोक संगठन के प्लेटिनम पुरस्कार से सम्मानित

न्यूरो साइंसे विभाग की तकनीकी कौशल और उपचार के लिए मिला सम्मान


नोएडा। विश्व स्ट्रोक संगठन, स्विटजरलैंड के जिनेवा स्थित वैश्विक निकाय ने नोएडा के मेट्रो अस्पताल के सेंटर फॉर न्यूरोसाइंसेस को स्ट्रोक के मरीजों की देखभाल के लिए उच्चतम गुणवत्ता की सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्लेटिनम पुरूस्कार से सम्मानित किया है। इस प्रतिष्ठित पुरूस्कार से सम्मानित होने वाला यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र और भारत का चौथा अस्पताल है। मेट्रो अस्पताल नोएडा के न्यूरोसाइंसेस के मेट्रो सेंटर की निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सोनिया लाल गुप्ता ने बताया कि स्ट्रोक विश्वभर में मृत्यु और विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण है। प्रतिवर्ष स्वस्थ्य जीवन के 11 करोड़ 60 लाख वर्ष बर्बाद करने का जिम्मेदार है। व्यक्तियों, परिवारों और समाज पर इसके प्रभाव का अनुमान लगाना संभव नहीं है। स्ट्रोक के विभिन्न अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क का कौनसा भाग प्रभावित हुआ है और कितनी जल्दी उपचार किया गया। डॉ. सोनिया ने बताया कि अथेरोस्क्लेरोसिस, स्ट्रोक की चपेट में आने के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। स्ट्रोक के मामले उम्र बढ़ने के साथ काफी बढ़ जाते हैं। इसके अलावा कई और कारक भी हैं, जो जोखिम बढ़ा देते हैं। उनमें तंबाकू का सेवन, शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर आहार, शराब का अत्यधिक सेवन, उच्च रक्तचाप, एट्रियल फैब्रिलेशन, रक्त में लिपिड का उच्च स्तर, मोटापा, पुरुष होना तथा अनुवांशिक और मनोवैज्ञानिक कारक शामिल हैं। वरिष्ठ सलाहकार डॉ. कपिल सिंघल ने बताया कि स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जहां मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति बाधित होती है, जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की कमी के कारण मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है और अपने निर्धारित कार्य नहीं कर पाता है। यह अक्सर मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी में थक्का जमने के कारण होता है। इस स्थिति को इस्चेमिया या इस्किमिया कहते हैं। यह रक्तस्त्राव के कारण भी हो सकता है। जब एक नलिका के फटने से मस्तिष्क में रक्त लीक हो जाता है। स्ट्रोक से स्थायी क्षति हो सकती है, जिसमें आंशिक पक्षाघात, बोलने और समझने में समस्या होना और याद्दाश्त खराब होना सम्मिलित हैं।


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