कृषि करार के लिए मोदी सरकार ने किया अध्यादेश लाने का फैसला
“मूल्य आश्वासन व कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षणअध्यादेश- 2020’’
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित प्रधानमंत्री श्री मोदी की अध्यक्षता में हुए महत्वपूर्ण निर्णय
कृषि व्यवसाय फर्म, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों,बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथजुड़े रहने और किसानों को उचित एवं पारदर्शी रीति से खेती सेवाओं तथा लाभकारी मूल्य परभावी खेती उत्पादों की बिक्री में मिलेगी मदद- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर
किसानों के उत्पादों की कीमत से संबंधित उतार-चढ़ाव से जुड़े जोखिम को कम किया जा सकेगा
किसान के प्रत्यक्ष विपणन में आने से बिचौलियों का सफाया होगाव मूल्य की पूर्ण प्राप्ति होगी
नई दिल्ली।कृषि करार के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क प्रदान हेतु भारत सरकार ने “मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तिकरण और संरक्षणअध्यादेश- 2020’’लाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकार वार्ता में बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। श्री तोमर ने बताया कि इससेकृषि व्यवसाय फर्म, प्रोसेसरों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों अथवा बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथजुड़े रहने और किसानों को उचित एवं पारदर्शी रीति से खेती सेवाओं तथा लाभकारी मूल्य परभावी खेती उत्पादों की बिक्री में मदद मिलेगी।श्री तोमर ने मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में कहा- कृषि क्षेत्र के लिए आज ऐतिहासिक दिन है।
मंत्रिमंडल की बैठक में हुए फैसलों की, पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि गांव-गरीब और किसानों की भलाई के लिए सदैव चिंतित रहने वाली मोदी सरकार इन वर्गो की हितों में लगातार निर्णय ले रही है और उन पर तेजी से अमल भी किया जा रहा है। इसी तारतम्य में आज प्रधानमंत्री श्री मोदी की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।
इस अध्यादेश की पृष्ठभूमि व इसे लाने के उद्देश्य के बारे में श्री तोमर ने बताया कि भारतीय कृषि लघु जोतों के कारण विखंडित श्रेणी में वर्गीकृत की जाती है और इसमें मौसम पर निर्भरता, उत्पादन की अनिश्चिताएं तथा अप्रत्याशित बाजार जैसी कुछ कमियां मौजूद हैं। इसमें इनपुट एवं आउटपुट प्रबंधन दोनों के संबंध में कृषि जोखिमपूर्ण और गैर-प्रभावोत्पादक हो जाती है। इस प्रकार की चुनौतियों का समाधान उत्पादकता बढ़ाकर लागत प्रभावी उत्पादन और उत्पाद के सक्षम मौद्रिकरण के द्वारा किए जाने की आवश्यकता है ताकि किसानों की आय बढ़ सके।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन की प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर इस आशय का अध्यादेश जारी करना जरूरी समझा गया, ताकि इस क्षेत्र की क्षमताओं का पूरा उपयोग किया जाए और किसानों को उनके उत्पादों की कीमत से संबंधित उतार-चढ़ाव से जुड़े जोखिम को कम किया जा सके।
गौरतलब है कि कृषि से संबंधित आर्थिक पैकेज के तीसरे चरण के रूप में केंद्रीय वित्तमंत्री ने 15 मई 2020 को एक सहायक विधिक फ्रेमवर्क की घोषणा की थी ताकि कृषि उत्पाद मूल्य और गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित करने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से किसान प्रोसेसरों, एग्रीगेटरों, बड़े खुदरा व्यापारियों, निर्यातकों आदि को नियोजित कर सकें।
लाभ
- यह किसानों को कृषि उत्पाद और गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित करने के लिए उचित और पारदर्शी तरीके से प्रोसेसर, एग्रीगेटरों, बड़े खुदरा विक्रेताओं एवं निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम करेगा।
- यह अध्यादेश मंडी की अप्रत्याशितता के जोखिम को किसान से प्रायोजक को अंतरित कर देगा और किसानों को आधुनिक तकनीक और बेहतर आदानों का उपयोग करने में सक्षम करेगा।
- यह विपणन की लागत को कम करेगा और किसानों की आय में सुधार करेगा।
- वैश्विक बाजारों में भारतीय कृषि उपज की आपूर्ति हेतु आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्यसे एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा।
- किसानों को उच्च मूल्य कृषि के लिए प्रौद्योगिकी व सलाह प्राप्तहो सकेगी और ऐसी उपज के लिए तैयार बाजार मिलेगा।
- किसान प्रत्यक्ष विपणन में संलग्न होंगे, जिससे बिचौलियों का सफाया होगाऔर मूल्य की पूर्ण प्राप्ति होगी।
- इस पहल के परिणामस्वरूप फसल विविधीकरण होगा, क्योंकि किसान बुवाई से पहले ही विपणन समझौते करके बेहतर फसल नियोजन करेंगे।
- वैश्विक मानकों को अपनाने से उत्पादन की उच्च गुणवत्ता से न केवल उपभोक्ताओं को लाभ होगा, बल्कि यह भारतीय कृषि के लिए नए वैश्विक अवसर भी प्रदान करेगा।
- किसानों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गई है और शिकायतनिवारण के लिए स्पष्ट समय-सीमा के साथ प्रभावी विवाद समाधान तंत्र प्रदान किया गया है।
अध्यादेश की मुख्य विशेषताएं
- किसानों व प्रायोजकों के बीच कृषि करारों के लिए एक विधिक व्यवस्था स्थापित करना।
- केंद्र सरकार सुग्रहण के लिए माडल कृषि करारों का प्रावधान कर सकती है।
- समझौतों के लिए उत्पादन के दौरान किसानों द्वारा फसलों के स्वामित्व को बनाए रखने की आवश्यकता हो सकतीहै।
- आदान उपलब्ध कराने तथा जोखिम वहन करने के लिएप्रायोजक के लिए भी समझौते उपलब्ध कराए जा सकते हैं।
- उपरोक्त दो योगों का एक संयोजन हो सकता है।
- कृषि उपज की बिक्री और खरीद के विनियमन और आवश्यक वस्तु अधिनियम के विनियमन के लिए किसी भी राज्य अधिनियम से छूट।
- अगर खेती के समझौते किसीभागीदार फसलोत्पादक के अधिकारों का हनन करतेहैं तो ऐसा करना सम्भव नहीं हो सकता।
- गुणवत्ता और मूल्यों के संबंध में और अधिक सुनिश्चितता स्थापित करना।
- गुणवत्ता और श्रेणी मानकों को अपनाना।
- गारंटीयुक्त मूल्य के अध्यधीन लचीली कीमतों का निर्धारण करना।
- उत्पाद के संवितरण व भुगतान की समय पर स्वीकार्यता सुनिश्चित करने के लिए उसको प्रायोजित करना।
- किसानों की भूमि के विक्रय, पट्टाकरण एवं मोर्टगेज पर पाबंदी लगाने के साथ-साथ किसानों की जमीनों को किसी भी प्रकार की वसूली से दूर रखना।
- किसानों की देयता प्रायोजक द्वारा प्रदत्त आदानों की लागत व प्राप्त अग्रिम तक सीमित होगी।
- आश्वासन व ऋण संसाधनों के साथ कृषि करारों का संबंध।
- ऐसे करारों की ई-रजिस्ट्री करने के लिए पंजीकरण प्राधिकरण की अधिसूचना।
- सुलह व विवाद के निपटारे के लिए प्रावधान।