एमएसएमई सेक्टर है आर्थिक विकास का ग्रोथ इंजन, उद्योग लगाना आसान

एमएसएमई को 10 करोड़ तक के ऋण पर 8 प्रतिशत तक ब्याज अनुदान -उद्योग मंत्री श्री मीणा


जयपुर । उद्योग व राजकीय उपक्रम मंत्री परसादी लाल मीणा ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों को देश के आर्थिक विकास का ग्रोथ इंजन बताते हुए कहा है कि कृृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार के अवसर एमएसएमई सेक्टर ही उपलब्ध कराता है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के दौर में एमएसएमई सेक्टर ने नवाचारों को अपनाते हुए नए सिरे से अपनी भूमिका तय की है। राज्य में नए एमएसएमई उद्योगों की स्थापना को आसान करते हुए तीन साल तक आवश्यक विभागीय अनुमतियों और निरीक्षणों से मुक्त किया है। प्रदेश में 5 हजार उद्यमों ने राजउद्योगमित्र पोर्टल से मात्र दो मिनट से भी कम समय में एकनोलेजमेंट प्राप्त कर सुविधाओं का लाभ उठाने की पहल की है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने एमएसएमई सेक्टर की वित्तीय जरुरतों को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री लघु उद्यम प्रोत्साहन योजना शुरु की है जिसमें 10 करोड़ तक के ऋण पर अधिकततम 8 प्रतिशत तक का ब्याज अनुदान दिया जा रहा है।


उद्योग मंत्री श्री मीणा ने अंतररास्ट्रीय एमएसएमई डे की चर्चा करते हुए कहा कि एमएसएमई की विश्वव्यापी भूमिका को देखते हुए ही संयुक्त राष्ट्र् द्वारा अप्रेल, 17 में एक प्रस्ताव पारित कर प्रतिवर्ष 27 जून को यूएनएमएसएमई डे मनाने का निर्णय किया है। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ स्माल बिजनस की रिपोर्ट की माने तो दुनिया में 70 फीसदी रोगार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से एमएसएमई सेक्टर द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे हैं। प्रदेश के औद्योगिक विकास में एमएसएमई सेक्टर को भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। कोरोना काल में भी एमएसएमई इकाइयों के कारण राज्य में आवश्यक वस्तुओं की कमी से नहीं जूझना पड़ा। 


अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने एमएसएमई सेक्टर को आर्थिक विकास की बेकबोन ‘‘रीढ‘‘ बताते हुए कहा कि देश मेें जहां 30 करोड़ लोगों को एमएसएमई सेक्टर से रोजगार प्राप्त हो रहा है वहीं राज्य में उत्पादन व सर्विस सेक्टर में लगी करीब 5 लाख एमएसएमई इकाइयों से 40 लाख प्रदेशवासी आजीविका प्राप्त कर रहे हैं। देश की जीडीपी में एमएसएमई सेक्टर का लगभग 29 प्रतिशत योगदान है वहीं कुल निर्यात में 48 फीसदी भागीदारी है।


डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां एमएसएमई सेक्टर को प्रोत्साहित करते हुए एक के स्थान पर चार सुविधा परिषद का गठन किया है। वहीं जिला स्तर पर विवाद एवं शिकायत निवारण समितियों का गठन किया गया है। कोविड-19 के बावजूद परस्पर समन्वय व सामंजस्य का परिणाम है कि प्रदेश में उत्पादन में लगी 56 हजार से अधिक एमएसएमई इकाइयों व हजारों की संख्या में सर्विस सेक्टर इकाइयों ने काम करना शुरु कर दिया और उत्पादन क्षेत्र में लगभग 3 लाख श्रमिक काम पर आने लगे हैं। 


कोरोना के विरुद्ध संघर्ष में आगे आया एमएसएमई सेक्टर


एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन के कारण बंद कई उद्योग धंधों ने राज्य सरकार के समन्वित प्रयासों से विविधकरण अपनाते हुए देश व प्रदेश में पीपीई किट की मांग और घर-घर की जरुरत बने सेनेटाइजर और मॉस्क बनाने के काम के लिए प्रदेश की इंटरनेशनल स्तर की डूंगरपुर की न्यू जील, या फालना-पाली की अंब्रेला इण्डस्ट्री, जयपुर की परफ्यूम बनाने वाली पद्मावती इण्डस्ट्री व खादी संस्थाएं आदि ने समय की मांग को देखते हुए नवाचार अपनाया है। रेनवियर बनाने वाली डूंगरपुर की न्यू जील ने एक लाख 10 हजार से ज्यादा पीपीई किट उपलब्ध कराए हैं वहीं अंतररास्ट्रीय पटल पर पहचान बना चुके फालना के अंब्रेला उद्योग के साथ मिलकर पाली की इकाइयों ने कोरोना वारियर्स के उपयोग के हजारों की संख्या में पीपीई किट बनाकर उपलब्ध कराए हैं। अकेली खादी संस्थाओं ने ही रिवाशेवल दो लाख से अधिक मास्क बना कर उपलब्ध कराए हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार प्रदेश में एमएसएमई इकाइयों द्वारा ढाई से तीन लाख पीपीई किट व लाखों की संख्या में मास्क बनाने का काम किया है।


 


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