क्या जीएसटी में व्यापारियों के साथ धोखा हुआ

नोएडा


 सुशील कुमार जैन, चेयरमैन, कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स दिल्ली एन सी आर ने आज जी एस टी की विसंगतियो के वारे मे बोलते हुये कहा कि  अगर 2017 के मार्च-अप्रैल मई-जून के महीनों में जाएं, जिस समय जीएसटी कानून की मार्केटिंग सरकार भव्य तरीके से कर रही थी.  व्यापारी भी उनके साथ जुड़कर इस कानून की जानकारी गांव गांव में जाकर दे रहे थे. उस समय क्या कहा गया था ? 
जीएसटी को एक सरल और अच्छा कर का माध्यम बताया गया था. यह भी बताया गया था कि अब सारी झंझट से मुक्त होकर व्यापारी को सिर्फ एक ही कर का पालन करना होगा, तथा वह खुलकर व्यापार कर सकेगा. अगर उस समय कि हम बातों पर गौर करें, हम संज्ञान में लाएं की क्या कहा गया था.
 कहां गया था जीएसटी R1 यानी अपनी बिक्री/अपनी सप्लाई का पूरा विवरण देशभर के व्यापारी gstr-1 में भरेंगे. जब सारे व्यापारी gstr-1 में अपनी बिक्री का विवरण भर देंगे, तो अपने आप सरकार द्वारा/जीएसटीएन द्वारा फॉर्म जीएसटीआर 2 तैयार हो जाएगा .  सारे व्यापारियों को सरकार जीएसटीएन के माध्यम से gstr2 भेजेगी उसे व्यापारी को देखना है. अगर उसमें कुछ कम-ज्यादा है तो उसे दुरुस्त करना है. जीएसटीएन को भेज देना इस आधार पर जीएसटी मासिक विवरण अपने आप तैयार कर देगा. उसमें gstr-3b नाम की कोई चीज नहीं थी.
 इस पर बी सी भरतिया जी राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रवीन खंडेलवाल राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि आज क्या परिस्थिति है. यह सारे दांव सरकार के उल्टे पड़ गए. फॉर्म 3b आ गया.  व्यापारी त्रस्त हो गया. एक-एक बिल का विवरण भरते भरते परेशान है . पोर्टल की क्षमता नहीं है इतने व्यापारियों का विवरण ले सके. व्यापारी कर भरना चाहता है, मगर जीएसटीएन का तंत्र ऐसा है जिस में  कि उसे स्वीकार करने की क्षमता नही है . हम कैसे कर के कानून वह उसका विवरण लेने का तरीका बना रहे हैं।
इसी बात को अगर हम आगे लेकर जाएं तो कहा गया था कि जब ई-वे बिल बनेगा तो तीन जगह s.m.s. जाएंगे। प्राप्तकर्ता को s.m.s. जाएगा, ट्रांसपोर्टर को s.m.s. जाएगा व भेजने वाले को s.m.s. जाएगा. इससे मालूम पड़ेगा कि कहां माल जा रहा है और जिसे जा रहा है अगर उसने माल नहीं मंगाया तो वह उस ई-वे बिल को रद्द कर सकता है। क्या आज ऐसा हो रहा है ? किससे पूछें कौन जवाब देगा। क्या किसी की जवाबदारी बनती है ? एक बहुत बड़ी समस्या सामने आ गई है।
  बोलना क्या और करना क्या। क्या इसमें समानता नहीं होना चाहिए। एक गंभीर विषय है ।
 यह भी कहा गया था कि रास्ते में अगर कोई पूछे माल के विवरण के बारे में, तो आप s.m.s. बता देना। आपको कोई रुकेगा नहीं। आज क्या हाल है।
रास्ते में गाड़ी रोकी जा रही है। अगर ई-वे बिल  बता भी दिया तो भी  मांग होती है सारे कागज देखने की।  जब ई-वे बिल अगर है ड्राइवर के पास, तो आप बाकी विवरण क्यों मांग रहे हैं। आप यह देख ले कि ई वे बिल में क्या माल का विवरण है और गाड़ी के अंदर क्या माल है। मगर ऐसा नहीं हो रहा।
 आज व्यापारी जीएसटी को लेकर त्रस्त  हो गया है। एक भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा भंडार व्यापारी को दिख रहा है। घबराहट हो रही है। टैक्स  से ज्यादा पेनाल्टी और लेट फी हो रही है। हम ऐसी परिस्थिति में व्यापार को आगे ले जाने की बात कर रहे हैं। क्या यही सरल और अच्छा कर है? सरकार को सोचना पड़ेगा। व्यापारी सरकार के लिए कर का संग्रह करता है और उसे जिस दृष्टि से देखा जा रहा है, जैसे उसको तकलीफ हो रही है इसका समाधान तुरंत निकालना जरूरी है।


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