सेल ने की दूसरी तिमाही के नतीजे घोषित   

किसी भी दूसरी तिमाही में अब तक का सर्वाधिक हॉट मेटल


और क्रूड स्टील का उत्पादन दर्ज किया


 


नई दिल्ली । स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के वित्तीय परिणाम आज जारी किए। कंपनी ने वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के दौरान 342.84 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है। दूसरे अन्य घरेलू स्टील उत्पादकों की ही तरह, पिछले कुछ महीनों के दौरान बाज़ार की मांग में कमी और वैश्विक स्तर पर इस्पात खपत में कमी के रुझानों के चलते कंपनी का लाभ प्रभावित हुआ है। विस्तारित मानसून और इस्पात खपत वाले मुख्य क्षेत्रों में कम वृद्धि के चलते भी घरेलू इस्पात खपत प्रभावित हुई है। इन सबके बावजूद, सेल ने वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही के दौरान अब तक की किसी भी दूसरी तिमाही का सर्वाधिक हॉट मेटल और क्रूड स्टील का उत्पादन दर्ज किया है।


 


सेल के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार चौधरी ने इस अवसर पर कहा, “वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही घरेलू और वैश्विक दोनों से जुड़े अनेक कारकों से प्रभावित रही। इस दूसरी तिमाही के दौरान ऑटो, बुनियादी ढांचे और विनिर्माण समेत इस्पात खपत वाले कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों ने अपनी क्षमता के अनुरूप बेहतर प्रदर्शन नहीं किया। इसके साथ ही कीमतों को लगातार गिरावट का भी सामना करना पड़ा, जिसका असर वित्तीय परिणाम पर दिखाई दिखाई पड़ा है।


 


उन्होंने और कहा, "इस दौरान, कंपनी पूरे संगठन में लागत में कमी के लिए कई उपाय लागू किए हैं। इन उपायों में तकनीकी-आर्थिक निष्पादन को बेहतर बनाने, कच्चे माल के विवेकपूर्ण उपयोग करने और दूसरे अन्य साधनों के जरिये आय बढ़ाने के जरिये प्रचालन दक्षता को और बेहतर करना शामिल है। इन प्रयासों के जरिये लागत नियंत्रण के प्रयासों में कार्मिकों की अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित की गई है। कंपनी आने वाली तिमाहियों में लागत नियंत्रण के क्षेत्र में इस तरह के प्रयास जारी रखेगी।


 


इस बीच, सरकार की तरफ से सही समय पर लागू किए गए नए कार्पोरेट कर दरों (Tax Rates) और बुनियादी ढांचा तथा इस्पात खपत बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों से आने वाले समय के लिए उम्मीद जागती है। इसके परिणाम आने वाली तिमाहियों के वित्तीय परिणामों में दिखने लगेंगे। सरकार की नई कर प्रणाली की दिशा में उठाए गए कदम से बाज़ार में नगदी का आगमन बढ़ेगा, जिससे नई परियोजनाओं में निवेश की उम्मीद है। सरकार द्वारा निवेश और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर नए सिरे से जोर के साथ ही उद्योग अनुकूल उपायों से वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में स्टील की मांग को बढ़ाने में मदद करेगा, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि यह निराशाजनक दौर जल्द ही समाप्त होने जा रहा है।


 


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