अपनी दिव्य उपस्थिति से योगदा साधकों को ईश्वरीय प्रेम रस में सराबोर कर गए स्वामी चिदानंद
नोएडा।बहुप्रतिक्षित भारत भ्र्रमण कार्यक्रम के अनुसार योगदा सत्संग सोसायटी के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद गिरी 18 अक्टूबर को नोएडा स्थित आश्रम पहुंच कर न सिर्फ साधकों को दर्शन दिए बल्कि उन्होंने सत्संग द्वारा अपनी दिव्य उपस्थिति से श्रद्धालुओं को प्रेम रस से सराबोर कर दिया।
20 अक्टूबर को आयोजित समापन समारोह कि शुरुआत स्वामी कमलानंद ने काॅस्मिक भजनों को गा कर की। उसके उपरंात योगदा सत्संग सोसायटी के उपाध्यक्ष स्वामी स्मरणानंद ने स्वामी चिदानंद के बारे में जिज्ञासु साधकों व श्रद्धालुओं को जानकारी देते हुए बताया कि स्वामी गिरी 42 वर्षों से योगदा के संन्यासी हैं और वे सोसायटी के पांचवा अध्यक्ष हंै।सन 2009 में वे बोर्ड के सदस्य बने थे।स्वामी चिदानंद जी पूर्व अध्यक्ष मुणालिनी माता के साथ सोसायटी के कार्याें से जुड़े रहे है। भारत में उनका यह दूसरा आगमन है। उन्होंने उम्मीद जताया कि स्वामी चिदानंद भविष्य में भारत आते रहेंगे और साधकों पर प्रेम की वर्षा करते रहेंगे।
रविवार को आयोजित इस सत्संग में आए हजारों योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए अध्यक्ष स्वामी चिदानंद गिरी ने कहा कि वे परम गुरु व गुरु योगानंद से प्रार्थना करते हैं कि समारोह में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं तक हीलिंग प्रकाश द्वारा वे अपना आशीर्वाद पहुंचा दे।उन्होंने कहा कि गुरु का दिव्य प्रेम हमसभी के पास पहुंच रहा है। हम सब मिल कर एक साथ जब ध्यान करते हैं तब न सिर्फ अपना भला करते हैं बल्कि इससे पूरे संसार को फायदा मिलता है।
उन्होंने प्रवचन देते हुए कहा कि आज की भौतिकवादी दुनिया में स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए जिस कौशल की नितांत आवश्यकता है , वह टेक्निक गुरु जी ने हमें दिया है।जो आध्यात्मिक आदर्शों वाले हैं वे जानते हैं कि कैसे हम स्वयं को भौतिकवाद से विषाक्त वर्तमान परिवेश से बचा कर रख सकते हैं।
आज के भौतिकवादी दुनिया में एक आध्यात्मिक जीवन जीने की कोशिश कर रहे व्यक्ति के सामने आने वाली चुनौतियों को जानते हुए स्वामी चिदानंदजी ने योगदा भक्तों को यह परामर्श दिया।
स्वामी चिदानंद गिरी ने कहा कि अपने सर्वोच्च हित के लिए हमें यह जानना जरूरी है कि कृत्रिम जीवन शैली से उत्पन्न “अ-स्वास्थ्य” से हम स्वयं को कैसे मुक्त करें ताकि हम वास्तविक शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकें। भौतिकता प्रधान सभ्यता के कारण हम यह भूल जाते हैं कि आध्यात्मिक चेतना में रोग-मुक्ति और कष्ट-निवारण के असंख्य साधन छिपे हुए हैं। जैसा कि परमहंस योगानन्दजी ने कहा है कि जब हम मानव व्यक्तित्व के सम्पूर्ण स्वरूप को समझ पाते हैं, तब हम में यह ज्ञान जागृत होता है कि मानव केवल एक भौतिक प्राणी मात्र नहीं है।उसके भीतर ऐसी अनेक क्षमताएँ हैं जिनकी शक्ति को वह न्यूनाधिक मात्रा में इस संसार की परिस्थितियों के साथ स्वयं को अनुकूल बनाने के लिए प्रयोग में लाता है। एक साधारण व्यक्ति इन क्षमताओं के बारे में जो अनुमान लगा पाता है, उससे कहीं अधिक इनकी शक्ति होती है।
परमहंस योगानन्दजी की योग प्रणाली, जो कि क्रिया योग मार्ग है, की रूपांतरकारिणी शक्ति को इंगित करते हुए स्वामी गिरी ने कहा कि क्रिया योग विज्ञान यह सिखाता है कि मनुष्य का स्नायु तंत्र हमारे भौतिक अस्तित्व और आध्यात्मिक क्षमता, दोनों को व्यक्त करने का एकमात्र साधन है। यह स्नायु तंत्र अवरोध भी बन सकता है या द्वार भी। यह हम पर निर्भर करता है कि हम इसका प्रयोग कैसे करते हैं। परमहंस योगानन्द जी द्वारा सिखाये गये क्रिया योग ध्यान तथा संतुलित आध्यात्मिक जीवन शैली के दैनिक अभ्यास और साधना द्वारा हम अपनी इंद्रियों, स्नायुओं, भावनाओं, और सम्पूर्ण चेतना को निर्मल बना सकते हैं और इस तरह दिव्य जीवन के आनंदमय उच्चतर आयामों के प्रति उन सब को ग्रहणशील और समस्वर बना सकते हैं, जिससे कि न केवल हम अपने जीवन का उत्थान कर पाते हैं, बल्कि उन सबको भी प्रभावित करते हैं जो हमारे संपर्क में आते हैं।“
स्वामीजी का प्रवचन, योगदा सत्संग सोसाइटी और सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप के गुरु और संस्थापक,परमहंस योगानंदजी की शिक्षाओं पर आधारित था। इन संस्थाओं को योगानन्दजी ने अपनी क्रिया योगकी शिक्षाओं को विश्व-भर में प्रसारित करने के लिए स्थापित किया था। योगदा सत्संग सोसाइटी ने 2017 में अपना शताब्दी वर्ष और 2018 में परमहंस योगानंद के जन्म की 125 वीं वर्षगांठ मनाई।
दो दिन पहले, शुक्रवार 18 अक्टूबर 2019 को स्वामी चिदानंदजी ने योगदा सत्संग द्वारा प्रकाशित कई सारे प्रकाशनों का विमोचन किया था। उनमें से एक था आटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी (योगी कथामृत) के हिन्दी रूपान्तरण का आडिओ-बुक। इस आडिओ-बुक का निर्माण भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अनुदान द्वारा किया गया था।
समापन समारोह में योगदा सत्संग के महासचिव महासचिव स्वामी ईश्वरानंद,स्वामी विश्वानंद,स्वामी नित्यानंद ,स्वामी वासुदेवानंद
स्वामी ललिता नंद, ब्रह्मचारी शीला नंद, ब्रह्मचारी विनया नंद , ब्रह्मचारी अलोका नंद
के अलावा कई अन्य संन्यासी गण
सेवक श्री बक्शी, बाबू राम समेत दर्जनों स्वयंसेवक भी उपस्थित थे।
ज्ञात हो कि स्वामी चिदानंद गिरि योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया और सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप के आध्यात्मिक प्रमुख और अध्यक्ष हैं। इन दो संस्थाओं के संस्थापक श्री श्री परमहंस योगानंद हैं, जो सुविख्यात आध्यात्मिक गौरव ग्रंथ, “आटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी” के लेखक के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। स्वामी चिदानंदजी वर्तमान में भारत का दौरा कर रहे हैं और नोएडा में इस कार्यक्रम के बाद हैदराबाद और मुंबई का दौरा करेंगे।