2 अक्टूबर को होगा धनुष यज्ञ , सीता स्वयंवर, लक्ष्मण- परशुराम संवाद आदि लीलाओं का मंचन

नोएडा। श्रीराम मित्र मण्डल द्वारा आयोजित राम लीला मंचन सेक्टर-62  के तीसरे दिन मुख्य अतिथि नवाब सिंह नागर अध्यक्ष लाल बहादुर शास्त्री गन्ना किसान संस्थान, जुगल किशोर केंद्रीय मंत्री विश्व हिंदू परिषद, राजेन्द्र फोगाट धर्म प्रचार क्षेत्र प्रमुख पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उमानंदन कौशिक वरिष्ठ नेता विश्व हिंदू परिषद  द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन के साथ लीला का शुभारंभ हुआ। श्रीराम मित्र मंडल राम लीला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल गोयल एवं महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा द्वारा मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह प्रदान किया और अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया गया। प्रथम दृश्य मे वेदवती भगवान विष्णु की आराधना मे लीन होती है तभी रावण उसके सौन्दर्य को देखकर आकर्षित हो जाता है और वह वेदवती को पाने की इच्छा जाहिर करता है परंतु वेदवती उसे भगवान विष्णु का बखान करती है और कहती है वह सिर्फ भगवान विष्णु को ही सर्वश्रेष्ठ मानती है रावण अहंकार वश विष्णु का उपहास उड़ाता है और जबरजस्ती वेदवती को पाने का प्रयास करता है वेदवती क्रोधित होकर उसे श्राप देती है कि बिना किसी स्त्री की इच्छा के अगर तुम उसे छुओगे भी तो तुम भष्म हो जाओगे इतना कहकर वह अपना शरीर अग्नि को समर्पित कर देती है । मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें वसिष्ठ ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया. ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक धरती जोतने लगे तभी उन्हें धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई एक सुंदर कन्या मिली राजा जनक की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उस कन्या को हाथों में लेकर उन्हें पिता प्रेम की अनुभूति हुई राजा जनक ने उस कन्या को सीता नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया । प्रभु राम मुनि विश्वामित्र के साथ रास्ते में जाते हैं इसी बीच एक आश्रम दिखाई दिया जिसमें पशु पक्षी व जीव जन्तू  नहीं थे। भगवान राम ने पत्थर की शिला देखकर विश्वामित्र जी से पूछा, विश्वामित्र ने पूरी कथा राम जी को बताई कि यह शिला गौतम मुनि की पत्नी हैं जो श्राप वश पत्थर की देह धारण किये है। श्रीराम जी के पवित्र चरणों की रज का स्पर्श पाते ही अहिल्या प्रकट हो जाती हैं एवं भगवान के चरणों में लिपट जाती है और कहती हैं ।  ऐसी प्रार्थना कर अहिल्या पति लोक को चली जाती हैं। अगले दृश्य में मुनि विश्वामित्र के साथ चलते-चलते जनकपुर के निकट पहुंच जाते हैं। जनकपुर पहुंचकर श्रीराम एवं लक्ष्मण जनक बाजार में पहुंचते हैं जहाँ तरह तरह की दुकानें सुसज्जित थी विभिन्न प्रकार के पकवान एवं तरह तरह की मिठाईयां देख उनका मन प्रसन्न हो गया । अगले दृश्य मे माता सीता मनचाहे वर के लिए माता गौरी की पूजा करती हैं ताकि उन्हें राम वर के रुप मे प्राप्त हो और वह अपना मन चाहा वर प्राप्त कर सकें इसके साथ ही  तीसरे  दिन की लीला का समापन होता है। श्रीराम मित्रमंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतनारायण गोयल ने बताया कि 2 अक्टूबर को धनुष यज्ञ , सीता स्वयंवर, लक्ष्मण- परशुराम संवाद आदि लीलाओं का मंचन किया जायेगा । इस अवसर पर संस्थापक अध्यक्ष बी0पी0 अग्रवाल, मुख्य यजमान उमाशंकरगर्ग, उप मुख्यसंरक्षक ओमबीर शर्मा ओंकारनाथ अग्रवाल, अध्यक्ष धर्मपाल गोयल, महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा, शिव कुमार शर्मा , अजीत भाई महामंत्री विश्व हिंदू परिषद नोएडा महानगर, लाल मनी पांडे कार्यकारी अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद नोएडा महानगर,कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सह – कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, सतनरायण गोयल, तरुण राज, मनोज शर्मा, मुकेश गोयल, मुकेश गुप्ता, संजय शर्मा, रविन्द्र चौधरी, आत्माराम अग्रवाल, मीडिया प्रभारी चंद्रप्रकाश गौड़, मुकेश गर्ग, एस एम गुप्ता, पवन गोयल,मुकेश अग्रवाल, सुधीर पोरवाल, राकेश गुप्ता,अजय गुप्ता, रामनिवास बंसल, ओपी गोयल,कुलदीप गुप्ता, नरेंद्र आर्या प्रजापति सहित आयोजन समिति के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।


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