बैंकों का मर्जर निजीकरण की और एक कदम

 


नई दिल्ली :  भारतीय मजदूर संघ से समबद्ध नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स केंद्र सरकार द्वारा 10 बैंकों  के मर्जर से 4 बैंकों  के निर्णय का विरोध करता है । ये मर्जर बैंकों के निजीकरण की और एक कदम है। सरकार के इस निर्णय के विरोध में आज सभी कर्मचारी अधिकारी  काली पट्टी बांधकर शाखाओं में कार्य किया एवं देश भर में प्रदर्शन किये । केंद्र सरकार द्वारा जल्दी बाजी में लिया गया यह निर्णय देश की आर्थिक स्थिति  को कमजोर करने की कड़ी में एक कदम सिद्ध होगा । सरकार जब 5 ट्रिनियल अर्थव्यवस्था की बात कर रही है ऐसे में ये मर्जर का फैसला गलत सिद्ध होगा। 


इससे आने वाले समय में बैंक कर्मचारियों की  छटनी, शाखाओं का बंद होना, ग्राहक सेवा पर असर, और नए कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगना, कर्मचारी अधिकारियों की पदोन्नति पर रोक लगना, ऐसे कई कार्य है  जैसे दुष्परिणाम सामने आएंगे। इससे पहले हुए मेर्जर्स से अभी बैंक संभल नहीं पाए हैं।  अभी तक उन बैंकों में ठीक प्रकार से काम नही हो रहा है। कई बैंकों ने अपनी बहुत सी शाखाएं बन्द कर दी हैं। 


मर्जर से बैंको का एकीकरण तो हो जाएगा लेकिन कर्मचारियों, अधिकारियों की सेवा शर्तों, प्रोमोशन, सीनियोरिटी, ट्रांसफर आदी का एकीकरण बहुत मुश्किल होगा। कर्मचारी पहले से ही लंबे समय से वेतन वृद्धि न होने कारण नाराज हैं ऐसे में ये निर्णय उनकी काम कि क्षमता को और कमजोर करेगा।


Department of Financial Services (DFS) Ministry of Finance के आदेश अनुसार  17, 18 अगस्त को बैंकों के क्षेत्रीय कार्यलय अनुसार और 22, 23 अगस्त को स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की बैठकों का आयोजन किया गया और मंथन हुआ कि किस प्रकार बैंक सरकार की 5 ट्रिनियल अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकते हैं। लेकिन सरकार ने उन सभी सुझावों को दरकिनार करते हुए पहले से निर्धारित फैसला को सुना दिया है।


अच्छा होता यदि सरकार इस प्रकार के फैसले से पहले सभी पक्षों से इस बारे बात करके कुछ निर्णय लेती। हमारी सरकार से मांग है की इस मर्जर को वापिस लिया जाए और सभी पक्षों से बात करके कोई और रास्ता निकाला जाये ।


 


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