देश के 86% छोटे व सीमांत किसानों के समूह रचेंगे विकास का नया संसार- श्री तोमर
10 हजार कृषक उत्पादक संगठनों के रूप में ग्रामीण क्षेत्र में एक बड़ी ताकत खड़ी होगी
मूल्य संवर्धन, विपणन व निर्यात को बढ़ावा देने हेतु "एक जिला-एक उत्पाद" की रणनीति
योजना में 2 करोड़ रू. प्रति एफपीओ तक उपयुक्त क्रेडिट गारंटी उपलब्ध कराने सहित कई प्रावधान
लघु उद्योग भारती व सहकार भारती के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से बैठक में सार्थक चर्चा
नई दिल्ली। शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से लघु उद्योग भारती व सहकार भारती के साथ बैठक आयोजित की गई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि राज्यमंत्री परषोत्तम रूपाला व श्री कैलाश चौधरी एवं केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल शामिल हुए। बैठक में श्री तोमर ने कहा कि देश में 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से किसानों के समूहों का एक नया संसार खड़ा होने वाला है। देश में लगभग 86% किसान छोटे व सीमांत हैं, जिनके एफपीओ के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में एक बड़ी ताकत खड़ी होगी। यह ताकत समाजोपयोगी हो और देश की प्रगति में काम आए, यह बहुत जरूरी है। कृषि क्षेत्र की उन्नति में तो एफपीओ काम आएंगे ही, इनके माध्यम से देश में विकास के अन्य सोपान भी सामने आएंगे।
श्री तोमर ने बताया कि प्रारंभ में एफपीओ में सदस्यों की न्यूनतम संख्या प्लेन एरिया में 300 और उत्तर-पूर्व व पहाड़ी क्षेत्रों में 100 रहेगी। छोटे, सीमांत व भूमिहीन किसानों के लिए गठित होने वाले एफपीओ के माध्यम से विभिन्न चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकेगा, उन्हें इससे काफी ताकत मिलेगी। एफपीओ गतिविधियों का इस तरह प्रबंधन करेंगे ताकि सदस्यों को प्रौद्योगिकी, इनपुट, वित्त व उपज के लिए अच्छा बाजार व बेहतर कीमत मिल सकें और वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सपने को साकार किया जा सकें। एफपीओ से उत्पादन लागत और विपणन लागत कम करने में मदद मिलेगी और कृषि व बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता में सुधार लाने में भी यह योजना सहायक होगी। देश में प्रसंस्करण में भी सुधार होगा। यह किसानों की आय में काफी सुधार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में काफी सुधार होगा व रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
बजट 2020-21 में मूल्य संवर्धन, विपणन व निर्यात को बढ़ावा देने हेतु "एक जिला-एक उत्पाद" की रणनीति के माध्यम से बागवानी उत्पादों हेतु क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाने का भी प्रस्ताव है। यह केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसका कुल बजट 6,865 करोड़ रूपए हैं। हरेक एफपीओ को प्रोफेशनल सपोर्ट व हैंडहोल्डिंग 5 साल तक प्रदान किया जाएगा। एफपीओ को कंपनी अधिनियम या किसी राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाएगा, जैसा कि एफपीओ के सदस्यों द्वारा तय किया जाए। 15% एफपीओ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट में बनना हैं और एफपीओ का गठन अधिसूचित जनजातीय क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर किया जाना है। यह प्रोड्यूस क्लस्टर आधारित योजना है। एफपीओ जैविक/प्राकृतिक खेती को बढ़ावा भी देंगे। योजना लागू करने के लिए NABARD, SFAC और NCDC जैसी एजेंसियां होगी।
आर्थिक मजबूती हेतु मेचिंग इक्विटी बेसिस पर 15 लाख रू. तक इक्विटी ग्रांट की सुविधा होगी। नाबार्ड व एनसीडीसी के साथ क्रेडिट गारंटी फंड होगा, जिसमें 2 करोड़ रू. प्रति एफपीओ तक उपयुक्त क्रेडिट गारंटी उपलब्ध कराई जाएगी। हितधारकों की क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण,कौशल विकास महत्व को समझते हुए, संगठनात्मक प्रबंधन, संसाधन नियोजन, विपणन, प्रसंस्करण क्षेत्रों में विशेष राष्ट्रीय/क्षेत्रीय संस्थानों के माध्यम से प्रशिक्षण लेने का प्रावधान किया है ताकि एफपीओ के संगठन व व्यवसाय का अच्छी तरह से प्रबंधन किया जा सके।
बैठक में लघु उद्योग भारती से जुड़े विभिन्न प्रतिनिधियों ने अनेक सुझाव दिए और परस्पर संवाद के माध्यम से अनेक मुद्दों पर सार्थक चर्चा हुई।